केंद्रीय पुरातत्‍व विभाग द्वारा एक बार पुन: श्रीमहालक्ष्मी देवी की मूर्ति को अशास्‍त्रीय पद्धति से संरक्षित करने का निश्‍चय !

मंदिर सरकारीकरण के गंभीर दुष्‍परिणाम !

  • १४ और १५ अप्रैल को होगा मूर्ति संरक्षण

  • उत्‍सवमूर्ति को भक्‍तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा

श्रीमहालक्ष्मी देवी

कोल्‍हापुर (महाराष्ट्र) – पश्‍चिम महाराष्ट्र मंदिर प्रबंधन समिति ने केंद्रीय पुरातत्‍व विभाग को श्रीमहालक्ष्मी देवी की मूर्ति के संरक्षण के बारे में सूचित किया था । इसी के अंतर्गत केंद्रीय पुरातत्‍व विभाग १४ और १५ अप्रैल को श्रीमहालक्ष्मी देवी की मूर्ति का संरक्षण करने जा रहा है । इस कालावधि में भक्‍त श्रीमहालक्ष्मी देवी के दर्शन नहीं कर पाएंगे । उस समय भक्‍तों के लिए उत्‍सवमूर्ति और कलश दर्शन के लिए रखा जाएगा । मंदिर प्रबंधन समिति के जिलाधिकारी तथा प्रशासक अमोल येडगे ने भक्‍तों से पीतल के छत्र के बाहर से कलश और उत्‍सवमूर्ति के दर्शन लेने की अपील की है । (धार्मिक शिक्षा के अभाव के कारण उचित उपाय न करके रासायनिक लेप जैसे सतही उपाय करना अनुचित है । तथापि, प्रशासन को कम से कम मूर्ति के निर्णय के लिए धर्माचार्यों, संतों की राय लेनी चाहिए तथा उसके अनुसार कार्य करना चाहिए ! – संपादक)

मूर्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पडने पर भी संरक्षण हेतु आग्रह करनेवाला प्रशासन हिन्‍दूद्रोही है !

वर्ष २०१५ में पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्‍थान प्रबंधन समिति ने कोल्‍हापुर में श्रीमहालक्ष्मी देवी की मूर्ति पर रासायनिक वज्रलेप की प्रक्रिया की थी । इस वज्रलेप का देवी के भक्‍तों ने बहुत विरोध किया, परंतु विरोध के उपरांत भी वह किया गया । उसके उपरांत मात्र दो वर्ष में देवी की मूर्ति पर लगा रासायनिक लेप उतरने लगा, मूर्ति पर सफेद दाग दिखने लगे तथा मूर्ति खराब होती चली गई । इस प्रक्रिया के दौरान मूर्ति का मूल स्‍वरूप बदल दिया गया। इस रासायनिक प्रक्रिया पर हिंदू जनजागृति समिति द्वारा बार-बार विरोध करने पर भी, भक्‍तों पर यह अधर्मिक रासायनिक लेप थोप दिया गया । हाल ही में पुरातत्‍व विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारियों द्वारा दी गई रिपोर्ट में स्‍पष्ट रूप से कहा गया है कि श्रीमहालक्ष्मी देवी की गर्दन के नीचे का भाग नष्‍ट हो गया है और यह कटाव  वर्ष २०१५  में किए गए रासायनिक संरक्षण के अवशेषों के कारण हुआ है । देवी की नाक, होंठ और ठोड़ी पर दरारें आ गई हैं, हालांकि यह स्‍पष्ट है कि तो पुन: एक बार मूर्ति संरक्षण का हठ प्रशासन क्‍यों कर रहा है ।