सर्वोच्च न्यायालय ने निजी चिकित्सालयों को फटकारा !
नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय ने निजी चिकित्सालयों को फटकारते हुए कहा, ‘पूरे देश के कुछ निजी चिकित्सालय सरकारी अनुदान पर भूमि लेते हैं । उस पर चिकित्सालयों का निर्माण करते हैं, साथ ही इन चिकित्सालयों में २५ प्रतिशत ‘बेड्स’ निर्धन जनता के लिए आरक्षित करने का आश्वासन देते हैं; परंतु यह आश्वासन कभी भी पूरा नहीं करते । ऐसा हमने कईबार देखा है ।’ नेत्ररोग उपचारों के लिए पूरे देश में एकसमान शुल्क निश्चित करने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती देनेवाली ‘ऑल इंडिया ओप्थॅल्मोलॉजिकल सोसाइटी’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने उपरोक्त टिपण्णी की है । ‘सोसायटी’ ने कहा है कि विशेषज्ञों का शुल्क एवं सामान्य डॉक्टर का शुल्क एकसमान नहीं हो सकते ।
संपादकीय भूमिकान्यायालय को ऐसे चिकित्सालयों को केवल फटकार कर छोड देने की अपेक्षा उनसे आश्वासनों एवं नियमों की पूर्ति हो, इसलिए कठोर नीति अपनाकर आदेश देना चाहिए, ऐसा ही आम-जनता को लगता है ! |