पन्ना (मध्य प्रदेश) – यहां नचना कुठारा गांव में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा किए जा रहे उत्खनन में अब तक ज्ञात सबसे पुरातन मंदिर एवं शिवलिंग उजागर हुए हैं। यह शिवलिंग प्रथम या पंचम शताब्दी का माना जाता है। चौमुखनाथ मंदिर के समीप टीले के नीचे ४ मार्च से उत्खनन किया जा रहा है।
१. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जबलपुर क्षेत्र के पुरातत्ववेत्ता डॉ. शिवकांत वाजपेई के नेतृत्व में मंदिर परिसर के समीप स्थित ८ टीलों में से २ टीलों के समीप उत्खनन का कार्य चल रहा है। १५ दिन के उत्खनन के उपरांत यहां पार्वती मंदिर से ३३ मीटर दूर टीले से शिवलिंग निकला है। इतिहासकार इसे गुप्तकालीन शिवलिंग बताते हैं। शिवलिंग कैसे बना? इसका शोध चल रहा है। वाजपेई के अनुसार उत्खनन में और भी ऐतिहासिक वस्तुएं मिलेंगी।
२. पुरातत्वविदों का मानना है कि जिस गांव में जहां शिवलिंग मिला है वहां गुप्त काल में एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र रहा होगा। वाजपेई के अनुसार, पुरातत्व विभाग के पहले महानिदेशक, जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने इस गांव में २ पुरातन मंदिरों का शोध लगाया था । इस संबंध में वर्ष १८८५ में एक प्रतिवेदन भी प्रकाशित हुआ था , जिसमें पहला पार्वती मंदिर और दूसरा चतुर्मुख शिव मंदिर का उल्लेख किया गया था। तभी से यह स्थान विभाग की ऐतिहासिक धरोहरों की सूची में सम्मिलित कर लिया गया था।
३. पुरातत्ववेत्ता डॉ. नारायण व्यास ने कहा कि नाचन का पार्वती मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर दो तलों का है। इसमें एक मंडप और गर्भगृह है। इसकी छत समतल है। इससे ज्ञात होता है कि तब तक मंदिर के शिखरों का निर्माण प्रारंभ नहीं हुआ था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंगा और यमुना की सुंदर छवियां उकेरी गई हैं ।
४. मंदिरों पर कुछ पौराणिक कहानियां भी अंकित हैं। ये गुप्त काल से प्रभावित हैं। मंदिर वास्तुकला का प्रारंभ गुफा मंदिरों से हुआ। हीनयान बौद्ध परंपरा की गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में अजंता में किया गया था।
५. डॉ. व्यास ने बताया कि विदिशा के समीप बेसनगर में एक प्राचीन मंदिर की नींव के अवशेष मिले हैं। यह संभवतः लकडी से निर्मित है और ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी का है। यहां एक गरुड स्तंभ है, जिसे स्थानीय लोग ‘खाम बाबा’ कहते हैं।