मुस्लिमों को कानून से दूर रखा, इसलिए हमारा विरोध ! – मुस्लिम लीग
नई देहली – सीएए कानून के विरुद्ध इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की गई है । याचिका द्वारा कानून पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है । याचिका में कहा गया है, ‘नागरिकता सुधार कानून के अंतर्गत विशिष्ट धर्म के लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी, जो संविधान के विरोध में है । ‘रिट याचिका’ अर्थात मूलभूत संविधान अधिकारों का हनन करनेवाले प्रकरणों में उच्च अथवा सर्वोच्च न्यायालय को तुरंत ध्यान देने की विनती करनेवाली याचिका ।
सौजन्य Republic World
मुस्लिम लीग ने युक्तिवाद करते हुए कहा, ‘जब तक कानून संविधान की दृष्टि में मनमाने ढंग से बनाया गया हो, तब तक उसे लागू नहीं कर सकते । हम निर्वासितों को नागरिकता देने के विरुद्ध नहीं है, अपितु मुस्लिमों को इससे वंचित रखा गया है, इसका हम विरोध कर रहे हैं ।’
Indian Union Muslim League files petition in Supreme Court; seeks stay on #CAA implementation.
Our objection is to the exclusion of Muslims from the law! – Muslim League
If a law is created with a noble intent, it will inevitably be opposed by anti-India forces, which is not… pic.twitter.com/0PJo46HN6a
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 12, 2024
संपादकीय भूमिकाकोई श्रेष्ठ हेतु रखकर कानून बनाया गया, तो उसका भारतविरोधी शक्तियां विरोध करेंगी ही, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है ! मजा इसमें है कि मुस्लिम लीग गैरमुस्लिम निर्वासितों को नागरिकता देने के विरुद्ध नहीं है, इसका अर्थ वह स्वीकार करती है, ‘पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान के हिन्दू एवं सिक्खों का वंशविच्छेद हो रहा है ।’ ऐसा भले ही हो, तब भी मुस्लिम लीग वंशविच्छेद का कभी भी स्पष्ट विरोध नहीं करती, यह ध्यान में रखें ! |