सतारा जिले के ३२ से अधिक मंदिरों में आदर्श वस्त्र संहिता लागू ! – सुनील घनवट, संयोजक, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ

(वस्त्रसंहिता अर्थात मंदिर में प्रवेश करते समय पहने जाने वाले कपडो के संबंध में नियमावली है ।)

पत्रकार परिषद काे संबोधित करते हुए श्री. हेमंत सोनवणे, अधिवक्ता दत्तात्रय कुलकर्णी, शिवाजीराव तुपे, श्री. सुनील घनवट, दत्तात्रय सणस, सौ. रूपा महाडिक

सतारा (महाराष्ट्र) – राज्‍य सरकार ने वर्ष २०२० में राज्‍य के सभी सरकारी कार्यालयों में आदर्श वस्‍त्र संहिता लागू की है । इतना ही नहीं, देश के कई मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों, मस्‍जिदों, अन्‍य पूजा स्‍थलों, निजी प्रतिष्ठानों, विद्यालय-महाविद्यालय, न्‍यायालयों, पुलिस आदि सभी क्षेत्रों में वस्‍त्रसंहिता लागू है । इसी पृष्ठभूमि पर मंदिरों की पवित्रता, शिष्टाचार तथा संस्‍कृति को संरक्षित रखने के लिए ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की एक बैठक आयोजित की गई । इस बैठक में जिले के ३२ से अधिक मंदिरों के न्‍यासियों ने भारतीय संस्‍कृति के अनुरूप मंदिरों में आदर्श वस्‍त्र संहिता लागू करने का निर्णय लिया है, यह जानकारी ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के संयोजक श्री. सुनिल घनवट ने दी । वे राजवाडा स्‍थित समर्थ सदन में आयोजित संवाददाता सम्‍मेलन में बोल रहे थे ।

इस अवसर पर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के सतारा जिला संयोजक एवं पंचपाली हौद दुर्गामाता मंदिर के सचिव श्री. शिवाजीराव तुपे, नागठाणे में चौंदेश्‍वरी देवस्‍थान के न्‍यासी अधिवक्‍ता, दत्तात्रय कुलकर्णी, हिन्‍दू महासभा, महाराष्ट्र क्षेत्र के मुख्‍य कार्यवाहक अधिवक्‍ता, श्रीमती रणरागिनी शाखा की श्रीमती रूपा महाडिक, हिन्‍दू जनजागृति समिति के हेमंत सोनावणे तथा अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्‍ति उपस्‍थित थे ।

श्री घनवट ने आगे कहा

१. ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की स्‍थापना ५ फरवरी २०२३ को हुई थी । फेडरेशन का काम धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है तथा मात्र एक वर्ष में ही यह पूरे प्रदेश तक पहुंच गया है । तुलजापुर मंदिर में वस्‍त्र संहिता लागू करने का विरोध हुआ; लेकिन फिलहाल महाराष्ट्र के ४५७ से अधिक मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू की गई है ।

२. ढीले कपड़े अथवा परंपराहीन वेशभूषा में मंदिरों में देवदर्शन के लिए जाना ‘व्‍यक्‍तिगत स्‍वतंत्रता’ नहीं हो सकती है । प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को यह चुनने की स्‍वतंत्रता है कि उसे अपने घरों में तथा सार्वजनिक स्‍थानों पर क्‍या पहनना है; लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्‍थान है । वहां धर्मानुसार आचरण ही होना चाहिए । वहां व्‍यक्‍तिगत स्‍वतंत्रता को नहीं, अपितु धर्माचरण को महत्‍व देना चाहिए ।

इस समय श्री. शिवाजीराव तुपे ने सात्‍विक भारतीय पोशाक के महत्‍व को समझाते हुए, मंदिर के ट्रस्‍टियों से मंदिरों में सात्‍विक वस्त्रसंहिता के बारे में सूचना फलक लगाने का आवाहन किया । अधिवक्‍ता दत्तात्रेय कुलकर्णी ने मनोगत व्‍यक्‍त किया कि मंदिर के न्‍यासियों को दर्शन के लिए आने वाले भक्‍तों को सतर्कता से सात्‍विक वस्त्रसंहिता के प्रति जागरूक करना चाहिए । अधिवक्‍ता दत्तात्रेय सणस ने ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ को हरसंभव कानूनी सहायता का आश्‍वासन दिया ।