Uttarakhand UCC Bill : उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरी संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) बिल प्रस्तुत !

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

डेहराडून (उत्तराखंड) – ६ फरवरी को ऐतिहासिक समान नागरी बिल उत्तराखंड विधानसभा में प्रस्तुत किया गया । सभागृह में इसपर चर्चा आरंभ हुई है । कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया है । भाजपा का बहुमत होने के कारण यह बिल स्वीकार होनेवाला है । फलतः स्वतंत्रता के पश्चात समान नागरी कानून लागू होनेवाला उत्तराखंड पहला राज्य होगा । गोवा में पुर्तगीजों के समय से ही समान नागरी कानून लागू है ।

क्या है इस बिल में ?

विवाह की आयु १८ और २१ वर्ष !

पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु २१ वर्ष और स्त्रियों के लिए १८ वर्ष अंतिम की गई है । उनके लिए विवाह का पंजीकरण अनिवार्य हो गया है । अपंजीकृत विवाह अस्वीकार्य है । विवाह का पंजीकरण सुलभ किया गया है । हिन्दू और मुसलमानों सहित सर्व धर्माें के लोगों के लिए यह लागू होगा । एक बार विवाह होने पर पहला विवाह अवैध घोषित होने तक पुरुष अथवा स्त्री फिर से विवाह नहीं कर पाएंगे ।

विवाह के १ वर्ष पश्चात विवाहविच्छेद का प्रावधान !

कोई भी पुरुष अथवा स्त्री विवाह के पश्चात तुरंत विवाहविच्छेद का प्रयत्न नहीं कर पाएंगे । विवाह के एक वर्ष पूर्ण होने पर ही विवाहविच्छेद के लिए न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की जाएगी । मुसलमानों की तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो जाएगी । कानूनी विवाहविच्छेद के लिए हिन्दू तथा मुसलमानों को एक ही प्रक्रिया से जाना होगा । पहले से ही जो विवाहित व्यक्ति है, उसे विवाहविच्छेद के बिना पुनर्विवाह की अनुमति नहीं मिलेगी । इसका उल्लंघन कर यदि कोई विवाह करेगा, तो उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं हो पाएगा ।

दत्तक बच्चे को भी संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त होगा !

मुसलमान महिला भी अभी बच्चा गोद ले सकेंगी । दत्तक बच्चे का भी संपत्ति में समान अधिकार होगा । अभिभावक जैविक बच्चों तथा कानूनी दत्तक बच्चों में भेद नहीं कर पाएंगे । पैतृक संपत्ति में भी स्त्रियों को अधिकार मिलेगा । इकलौति बेटी की मृत्यु के पश्चात अभिभावकों का दायित्व दामाद पर होगा ।

लिव-इन रिलेशन में रहनेवालों को देनी पडेगी सूचना !

लिव-इन रिलेशनशिप में (बिना विवाह एकसाथ रहना) रहनेवालों को इसके बोर में सूचित करना अनिवार्य होगा । लिव-इन दंपतियों के लिए अभिभावकों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना आवश्यक होगा । तदुपरांत इसकी सूचना पास के पुलिस थाने में देना अनिवार्य होगा । ऐसी सूचना न देनेवालों पर कार्यवाही की जाएगी । लिव-इन दंपतियों की संतति होगी, तो उन्हें भी अभिभावकों की संपत्ति में पूर्ण अधिकार होगा । इस कारण ‘लिव इन’ दंपति परस्परों को धोखा नहीं दे पाएंगे ।