Denigration Prabhu Shriram : ‘श्री राम मांसाहारी थे’ कहने वाले जितेंद्र आव्हाड के विरुद्ध नासिक में अभियोग (मुकदमा) प्रविष्ट !

  • घाटकोपर में प्रथम दृष्टया रिपोर्ट (एफआईआर) प्रविष्ट की गई

  • राज्य में अनेक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन

जितेंद्र आव्हाड

मुंबई (महाराष्ट्र) – शिरडी कैंप में ‘राम मांसाहारी थे’ का बयान देने के प्रकरण में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड के विरुद्ध नासिक के पंचवटी पुलिस थाना में अभियोग प्रविष्ट किया गया है ।

नासिक के प्रसिद्ध श्री कालाराम मंदिर के महंत श्री महंत सुधीरदास महाराज ने पुलिस में परिवाद प्रविष्ट कराया था । इसके साथ ही आव्हाड के विरुद्ध मुंबई, पुणे एवं अन्य शहरों में भी आंदोलन किए गए तथा घाटकोपर (मुंबई) में प्रथम दृष्टया रिपोर्ट (एफआईआर) प्रविष्ट की गई है । आव्हाड के विरुद्ध पुणे एवं मुंबई में भी बीजेपी की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया । इसके साथ ही आव्हाड के विरुद्ध नारे लगाए गए तथा विरोध स्वरूप उनकी तस्वीर भी लगाई गई । पुणे में आव्हाड के विरुद्ध एक ‘‘तिरडी आंदोलन’ (जीवित व्यक्ति की अर्थी निकालते हुए किया गया आंदोलन) आयोजित किया गया ।

(सौजन्य : TV9 Bharatvarsh)

ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं है कि ‘श्रीराम मांसाहारी थे’ ! – श्री महंत सुधीरदास महाराज, श्री कालाराम मंदिर, नासिक

श्री महंत सुधीरदास महाराज

श्री महंत सुधीरदास महाराज ने कहा, ”वाल्मीकि रामायण से लेकर १४ रामायणों में से किसी में भी ‘श्री राम मांसाहारी थे”, ऐसा उल्लेख नहीं है; इसके विपरीत रामरक्षा में वर्णित है कि ‘रामचंद्र फल-मूल खाकर तथा ब्रह्मचर्यव्रत का पालन करके रहे ।’ इसलिए आव्हाड का ‍वक्तव्य अत्यंत ही मूर्खतापूर्ण है ! आज जब संपूर्ण भारत में राममय वातावरण है इस कारण जैसे राक्षसों को पीडा हो रही है, वैसे ही आव्हाड को भी पीडा हो रही है । हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिन्दू देवी-देवताओं के निरंतर किए जा रहे अपमान के ‍विरुद्ध कानून बनाने की मांग करने जा रहे हैं ।

धर्मनिरपेक्षता हिन्दू धर्म का अपमान नहीं है ! – सांसद आनंद परांजपे

२४ घंटे के अंदर आव्हाड कों बंदी नहीं बनाने पर थाना में मोर्चा करने की चेतावनी !

ठाणे – धर्मनिरपेक्षता का अर्थ हिन्दू धर्म का अपमान करना नहीं है । धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि मैं अन्य धर्मों के साथ हिन्दू धर्म का भी सम्मान करूंगा । स्वयं को ऐतिहासिक शोधकर्ता कहने वाले जितेंद्र आव्हाड ने इस मिथक को तोड दिया है कि वनवास में श्रीराम मांस खा रहे थे । उनकी संस्कृति अशोभनीय ढंग से बोलने की ही है । लगातार हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करना उनकी आदत है । यदि अगले २४ घंटे में उनके विरुद्ध अभियोग  प्रविष्ट नहीं किया गया तो हम वर्तकनगर पुलिस स्टेशन पर एक बडी फेरी निकालेंगे । एनसीपी सांसद आनंद परांजपे ने चेतावनी दी कि अगली महाआरती पुलिस स्टेशन में होगी ।

सांसद परांजपे ने आगे कहा कि शिरडी में एनसीपी कैंप में जितेंद्र अव्हाड ने बेहद अभद्र टिप्पणी कर श्रीराम का अपमान किया । वीरू वाघमारे नाम का एक कार्यकर्ता विरोध स्वरूप आव्हाड के घर के सामने श्री राम की आरती करने गया, उसे पुलिस ने पकड लिया ।

श्रीराम को लेकर जितेंद्र आव्हाड का अपमानजनक बयान !

  • कभी श्री सरस्वती देवी, कभी भगवान श्रीराम, तो कभी अभद्र भाषा में वे जो तिरस्कार करते हैं, उससे पता चलता है कि उनकी रगों में कितना हिन्दू द्वेष फैला हुआ है ! क्या यह उन हिन्दुओं को स्वीकार्य है जिन्होंने आव्हाड को वोट देकर चुना ?
  • ध्यान दें कि जो लोग हिन्दुओं के देवताओं का अपमान करते हैं वे कभी मुसलमानों अथवा ईसाईयों के  श्रद्धास्थलों का अपमान नहीं करते हैं !
  • ध्यान दें कि शरद पवार बार-बार हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने वाले जितेंद्र आव्हाड के विषय में एक शब्द भी नहीं बोलते हैं, अथवा उन्हें ऐसे बयान देने से रोकते भी नहीं हैं !
  • कथित द्‍वेषपूर्ण भाषण देने के आरोप में हिन्दुओं के विरुद्ध ‘हेट स्पीच’ के अंतर्गत अभियोग प्रविष्ट करने वाली पुलिस आव्हाड के इस ‘हेट स्पीच’ पर चुप क्यों है ?

शिकार करके खाने वाला राम बहुजनों का है । राम का आदर्श बताकर लोगों पर शाकाहार थोपा जा रहा है । १४ वर्ष तक वन में रहने वाले राम शिकार खेलते थे । राम को १४ वर्ष का वनवास हुआ, तो वे शाकाहारी कैसे हो सकते हैं ? क्या कोई मुझे बता सकता है कि राम मेथी की सब्जी खाते थे ?

श्रीराम भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना ही इनकी मानसिकता है ! – विधायक राम कदम, बीजेपी

विधायक राम कदम

श्रीराम भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की मानसिकता है जीतेन्द्र आव्हाड की; किंतु वोट बटोरने के लिए वे हिन्दू धर्म का उपहास नहीं उडा सकते । बीजेपी विधायक राम कदम ने आलोचना करते हुए कहा कि श्रीराम मंदिर का निर्माण हो चुका है, यह स्थिति विपक्ष के ‘भारत’ मोर्चे को स्वीकार्य नहीं है ।

विधायक कदम ने आगे कहा कि मांस को प्रसाद के रूप में कहां दिखाया जाता है ? यदि देवताओं को मांस प्रिय होता तो प्रसाद में मांस अवश्य आता । यदि घर में कोई साधारण पूजा भी हो तो मांसाहारी लोग उस दिन शाकाहारी भोजन ही करते हैं । यदि ४ दोस्त मंदिर जा रहे हैं तथा उनमें से एक मांसाहारी भोजन किया होता है, तो वह मंदिर में प्रवेश करने की अपेक्षा मंदिर के बाहर ही रुक जाता है । यह बात जीतेंद्र अव्हाड अच्छे से जानते हैं; तो भी यह हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर अन्यों काे प्रसन्न करने की ‍वोट बैंक की राजनीति है ।