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पंढरपुर (महाराष्ट्र) – श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर के लड्डुओं के प्रसाद में घोटाला करनेवालों का समर्थन, श्रद्धालुओं के लिए शौचालय बनाने में हुआ विलंब और किराए के लिए मंदिर के लाखो रुपयों का किया अपव्यय, साथही देवताओं के आभूषणों के लेखा-जोखा में उचित प्रविष्टियां न किए जाने का संदेहास्पद प्रकार, दैनिक ‘सनातन प्रभात’ ने सामने लाए इस दायित्वशून्य कामकाज की श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति के कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेळके ने पत्रकार वार्ता में स्वीकृती दी । इन सभी में सुधार करने के लिए कार्यवाही आरंभ हुई है, ऐसा शेळके ने पत्रकार वार्ता में बताया ।
आभूषणों की प्रविष्टियों के बारे में अपूर्ण जानकारी देकर पत्रकारों को किया दिशाहीन !
इस समय कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेळके ने ‘कोई भी आभूषण गुम नहीं हुए हैं । उनकी प्रविष्टियां हैं; परंतु लेखा में दिखाया नहीं है । इसके लिए उनका मूल्यांकन करना आवश्यक है । मूल्यांकन के लिए २ वर्ष पूर्व पत्र दिया है । पीछले सप्ताह में भी इस विषय में सरकार को पत्र भेजा है तथा उसकी सभी प्रविष्टियां हैं’, ऐसी अपूर्ण जानकारी देकर पत्रकारों को दिशाहीन किया ।प्रत्यक्ष में लेखा प्रस्तुत करने के लिए मंदिर समिति द्वारा पीछले ३८ वर्षाें में सरकार के पास कोई पत्रव्यवहार नहीं किया गया है । वर्ष २०२१-२२ का लेखापरीक्षण प्रस्तुत करने के उपरांत अपनी चूक छिपाने के लिए मंदिर समिति को इन आभूषणों के मूल्यांकन के संदर्भात सरकार से पत्राचार करना पडा; परंतु इस बात को शेळके ने छिपाया ।
कॉरिडॉर के काम के कारण शौचालयों के काम को विलंब होने की दी असत्य जानकारी !
कॉरिडॉर के काम के कारण श्रद्धालुओं के लिए शौचालय बनाने में विलंब होने की असत्य जानकारी राजेंद्र शेळके ने पत्रकार वार्ता में दी । मंदिर समिति ने रेल विभाग की भूमि पर श्रद्धालुओं के लिए शौचालय बनाने का समझौता वर्ष २०१७ में किया । मंदिर कॉरिडॉर का विषय वर्ष २०१९-२०२० में आया । शौचालय का समझौता ३५ वर्षाें के लिए किया गया और इसके लिए मंदिर समिति ने रेल विभाग को १ करोड ५४ लाख ४६ सहस्र ४१ रुपए देना निश्चित किया । इस हेतु प्रतिमाह ४ लाख ४१ सहस्र ३१५ रुपए मंदिर समिति रेल विभाग को दे रही है; मात्र समझौता करने के उपरांत ४ वर्ष शौचालय न बनाने के कारण इतने पैसे अनावश्यक ही रेल विभाग को देने पडे । शौचालय बनाने का समझौता किए जाने पर प्रत्यक्ष में प्रसाधनगृह बनाने में ३ से ४ वर्ष विलंब हुआ तथा उसका किराया देना पडा, यह बात राजेंद्र शेळके ने पत्रकार वार्ता में स्वीकार की; परंतु मंदिर के लाखो रुपयों की हुई क्षति के बारे में क्या ? इस विषय में शेळके ने कुछ नहीं कहा ।
‘लड्डुओं की गुणवत्ता नहीं रही, इस विषय में परिवाद क्यों नहीं किया ?’ इसका उत्तर दिया ही नहीं !
प्रसाद के लिए किए गए लड्डुओं की गुणवत्ता नहीं रहीं, इस बात का कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेळके ने पत्रकारवार्ता में स्वीकार किया । इसपर उपाय के रुप में वर्तमान में लड्डुओं की गुणवत्ता जांचकर ही बिक्री की जा रही है, ऐसा दायित्वशून्य उत्तर शेळके ने दिया । प्रत्यक्ष में जिस ठेकेदार को लड्डुओं का ठेका दिया गया था, उसने पैकेट पर ‘मूंगफली का तेल’ ऐसा बताकर ‘बिनौला तेल’ का उपयोग किया । इसीके साथ सुखामेवा है, ऐसा वेष्टन पर लिखा और प्रत्यक्ष लड्डुओं में उसका उपयोग किया ही नहीं । यह सब मंदिर समिति की अक्षम्य उपेक्षा के कारण हुआ । लड्डुओं में इस प्रकार घोटाला करनेवालों का डिपॉजिट अधिग्रहित करने की छुटपुट कार्यवाही मंदिर समिति ने की; परंतु श्रद्धालुओं के साथ खिलवाड करनेवालों के विरुद्ध पुलिस में परिवाद भी नहीं किया ।
(और इनकी सुनिए..) ‘२-३ दिनों में मुंबई जाकर सचिव से मिलेंगे !’
आनेवाले २-३ दिनों में हम मुंबई जाकर विधि एवं न्याय विभाग के सचिव से मिलकर लेखापरीक्षण के सूत्रों के अनुसार कार्यवाही करनेवाले हैं । वर्ष २०२२-२३ का लेखापरीक्षण जारी है तथा उसमें अच्छे सुधारणा किए जाएंगे, ऐसा शेळके ने इस समय कहा ।
संपादकीय भूमिका
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