हिन्दुओं के पुनरुत्थान हेतु आयोजित ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ का संक्षिप्त वृत्तांत !

अशांत विश्व, शांति प्रस्थापित करने के लिए हिन्दू मूल्यों से प्रेरणा ले !

थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्री. श्रेथा थाविसिनी

बैंकॉक (थाइलैंड) – यहां के प्रधानमंत्री श्री. श्रेथा थाविसिनी ने यहां पर आयोजित तीसरी वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के लिए संदेश दिया कि अशांति से लडनेवाले विश्व में अहिंसा, सत्य, सहिष्णुता और सद्भाव जैसे हिन्दू मूल्यों से ही प्रेरणा लेनी होगी, तभी विश्व में शांति स्थापित होगी । यह संदेश उद्घाटन के सत्र में पढकर दिखाया गया ।

इस संदेश में प्रधानमंत्री श्री. श्रेथा थाविसिनी ने आगे कहा कि ‘हिन्दू धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों पर आयोजित वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस का आयोजन हमारे देश के लिए सम्मानजनक है । थाइलैंड और भारत में भौगोलिक दूरी कितनी भी हो, हिन्दू धर्म के सत्य एवं सहिष्णुता जैसे मूल्यों का सदैव आदर ही किया गया है । विश्व में हिन्दुओं का परिचय ‘एक प्रगतिशील एवं प्रतिभासंपन्न समाज’ के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से ही इस भव्य परिषद का प्रारंभ हुआ है ।’ (२६.११.२०२३)

संपादकीय भूमिका 

  • विश्व में अशांति फैलानेवालों को सबक सिखाने के लिए भी प्रयत्न करना आवश्यक है !
  • हिन्दू धर्म की महानता थाइलैंड के प्रधानमंत्री समझ सकते हैं; परंतु भारत के पाखंडी धर्मनिरपेक्षतावादी, आधुनिकतावादी और नास्तिकतावादियों को यह महानता समझ में नहीं आती !

‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में वक्ताओं के प्रेरक विचार

‘एक बार बना मंदिर, सदा के लिए मंदिर ही रहता है’, इस सिद्धांत को अपनाएं ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

इस्लामिक कानून कहता है कि एक बार मस्जिद बन जाए, तो वह सदा मस्जिद ही रहती है । यदि कोई भूमि वक्फ बोर्ड द्वारा अधिग्रहित की जाती है, तो वह सदा वक्फ के पास ही रहती है । इसी प्रकार, सनातन धर्म का तत्त्व है, ‘एक बार मंदिर, सदा के लिए मंदिर’; परन्तु दुर्भाग्य है कि हम इस सिद्धांत को नहीं अपनाते । श्रीराम मंदिर के निर्णय के समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘एक बार भगवान की मूर्ति स्थापित होने के उपरांत वहां उसका अधिकार सदा स्थापित रहता है ।’

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‘हिन्दू, एक आर्थिक वृद्धि दर’ कहकर अवमानना करनेवालों को भारत पीछे छोड आया !’ – आशीष चौहान, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज, भारत

श्री. आशीष चौहान

१९७० के उत्तरार्ध में और १९८० के प्रारंभ काल में भारत की आर्थिक वृद्धि दर केवल २ प्रतिशत थी । इसका उपहास उडाते समय कुछ देश इसे ‘हिन्दू, एक आर्थिक वृद्धि दर’ संबोधित कर अपमानजनक पद्धति से नीचा दिखाते थे । हिन्दुओं में दूरी होने के कारण आपस में लडाई होने से भारत का अर्थिक विकास रुक गया था । पिछले ३० वर्षों में उदारीकरण के पश्चात हिन्दू आर्थिक वृद्धि दर ७.५० प्रतिशत पर पहुंची है और वर्ष २०२७ तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर है।

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अश्‍लील विषय दिखाना तथा उसका प्रसार करना राष्ट्रविरोधी कृत्‍य है ! – लेखक उदय माहूरकर

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वर्ष २०२१ में बंगाल में हुई हिंसा वर्ष १९४६ में मुसलमानों के ‘डाइरेक्ट एक्‍शन डे’ के समान अमानवीय है ! – नूपुर शर्मा, मुख्‍य संपादिका, ‘ऑप इंडिया’

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२६/११  के आक्रमण से ‘हिन्‍दू आतंकवाद’ की कथा रचने का था षड्‍यंत्र ! – स्‍वाति गोयल शर्मा, वरिष्ठ संपादक, ‘स्‍वराज्‍य मार्ग’

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पिछले ७०-७५ वर्षों में भारतीयों को उन पर हुए ऐतिहासिक अन्याय को भूल जाना सिखाया गया ! – आनंद रंगनाथन्, सलाहकार संपादक, स्वराज्य


सनातन धर्म का द्वेष करनेवालों का अधिक प्रभावी रूप से सामना करने का संकल्प !

वर्ष २०२६ में मुंबई में होगी चौथी परिषद !

बैंकॉक (थाइलैंड) – हिन्दू संगठनों में एकता निर्माण करना और सनातन धर्म का द्वेष करनेवालों का अधिक प्रभावी रूप से सामना करना, इन संकल्पों के साथ यहां आयोजित ३ दिवसीय ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ संपन्न हुई । इस परिषद में ६१ देशों के २ सहस्र १०० प्रतिनिधि सहभागी हुए । आगामी परिषद २०२६ में मुंबई में आयोजित करने की घोषणा इस समय आयोजकों द्वारा की गई ।

(बाएं से) हिन्दू जनजागृति समिति के सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, कत्थक कलाकार पद्मश्री नलिनी अस्थाना, हिन्दुत्वनिष्ठ मीनाक्षी शरण, कत्थक कलाकार पद्मश्री कमलिनी अस्थाना, शिवानी शरण एवं जर्मन लेखिका मारिया वर्थ

‘हिन्दुत्व’ शब्द के लिए प्रयुक्त किए जानेवाले ‘हिन्दुइज्म’ शब्द का उपयोग रोका जाएगा !

‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में प्रस्ताव पारित !

बैंकॉक (थाइलैंड) – ‘हिन्दुत्व’ के स्थान पर अंग्रेजी में ‘हिन्दुइज्म’ शब्द प्रयुक्त किया जाना, हिन्दुत्व की अच्छाई पर एक प्रकार से आक्रमण ही है । ‘हिन्दुत्व’ को ‘हिन्दुनेस’ भी कहा जा सकता है, ऐसा प्रस्ताव यहां पर आयोजित ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में पारित किया गया ।

‘हिन्दुनेस’ शब्द प्रयुक्त किया जाएगा !

इस प्रस्ताव में आगे कहा है कि,

१. ‘हिन्दू’ शब्द ‘सनातन’ नामक शाश्वत को दर्शाता है । धर्म का अर्थ है, ‘जो स्थायी है ।’ जो शाश्वत रूप में सबकुछ धारण करता है, जिसमें एक व्यक्ति, परिवार, समाज और प्रकृति है, जो हिन्दू धर्म का प्रतीक है । ‘हिन्दुइज्म’ पूर्णतः अलग है; क्योंकि इसमें ‘इज्म’ शब्द जोडा गया है । वह दमननीति और भेदभाव का प्रतीक है ।

२. १९ वीं शताब्दी के मध्य में अमेरिका में ‘इज्म’ शब्द का उपयोग आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन को अपमानजनक पद्धति से दर्शाने के लिए किया गया था । वर्ष १८७७ में ईसाई सोसायटी ने अपनी पुस्तक में पहली बार यह शब्द प्रयुक्त किया । बौद्धिक दृष्टि से यह अनुचित है । पिछले १५० वर्षों में हो रही हिन्दू विरोधी गतिविधियों के लिए यह शब्द उत्तरदायी है ।

३. हमारी पिछली पीढी ने ‘हिन्दुइज्म’ की तुलना में ‘हिन्दुत्व’ शब्द के उपयोग को प्राथमिकता दी; क्योंकि ‘हिन्दुत्व’ शब्द अधिक उपयुक्त है और ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ भी इसमें समाविष्ट है । हिन्दुत्व का अंग्रेजी अर्थ ‘हिन्दुनेस’ है ।

४. सार्वजनिक चर्चाओं में कुछ शिक्षा विशेषज्ञ और बुद्धिवादी हिन्दुत्व को हिन्दू धर्म के विरुद्ध और नकारात्मक स्तर पर चित्रित करते रहते हैं । इन में से कुछ लोग कहते हैं कि ‘अज्ञानता के कारण किया’; परंतु अधिकांश लोग हिन्दू धर्म के संदर्भ में उनके द्वेष और पूर्वाग्रह के कारण हिन्दुत्वविरोधी होते हैं ।

५. राजनीति और व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से प्रेरित राजनेता सनातन धर्म का सदैव विरोध करनेवालों के गुट में सम्मिलित हुए हैं ।

हिन्दुओं के पुनरुत्थान हेतु आयोजित ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में अन्य वक्ताओं के प्रेरक विचार पढने हेतु sanatanprabhat.org/hindi देखें ।