Law Against Deepfake : ‘डीपफेक वीडियो’ के विरोध में जल्द ही कानून बनेगा !

झूठे समाचार प्रसारित न होने देने का दायित्व सामाजिक माध्यमों का ही है !

(डीपफेक वीडियो अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तकनीक द्वारा व्यक्ति के चेहरे में बदलाव कर किसी को फंसाना) 

नई देहली – ‘डीपफेक वीडियो’ तथा गलत समाचारों पर कठोर कार्यवाही करने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कसी है । २३ नवंबर के दिन सरकार ने फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम जैसे प्रमुख सामाजिक माध्यमों की कंपनियों के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की थी । इस समय सरकार ने ‘डीपफेक वीडियो’, सिंथेटिक वीडियो (मूल चित्र बदलकर बनाया गया वीडियो) और झूठे वृत्त प्रसारित करने वाले प्रयोगकर्ताओं पर कार्यवाही नहीं की, तो इसके लिए सामाजिक माध्यम ही उत्तरदायी होंगे । इस संबंध में कठोर कानून के लिए तैयार रहें’, ऐसा स्पष्ट मत व्यक्त किया । इस संबंध में अगले माह में कानून भी बनाया जाएगा, ऐसी जानकारी केंद्रीय जानकारी तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी ।

(सौजन्य : Oneindia Hindi | वनइंडिया हिंदी) 

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने आगे कहा कि, 

१. यह कानून ऐसा होगा जिससे सामाजिक माध्यम अथवा प्रयोगकर्ता कोई भी बच नहीं सकेगा ।

२. दिसंबर के पहले सप्ताह में एक बैठक लेकर सभी पहलुओं पर चर्चाकर नियम तैयार किए जाएंगे ।

३. सरकार नए कानून में आशय जांच प्रणालियों का (‘टूल्स’ का) प्रयोग अनिवार्य करने का विचार कर रही है । इससे यदि कोई एक वीडियो कृत्रिम ढंग से तैयार किया अथवा नहीं इसकी निश्चिति की जा सकेगी ।

४. ‘डीपफेक वीडियो’ पकडे जाने के उपरांत ३६ घंटे में इसे संबंधित सामाजिक माध्यमों से हटाया नहीं गया, तो ‘आईटी ऐक्ट’ के अंतर्गत ‘इंटरमीडिएट’ की सुविधा समाप्त की जा सकती है ।

५. गूगल अथवा ‘ ऐप्पल प्लेस्टोर’ पर इस प्रकार के वीडियो बनाने वाले ‘ऐप्स’ नहीं आने चाहिएं । इस संबंध में भी कानून में प्रावधान होगा ।

६. झूठे लेख (फेक कंटेंट) रोकने का काम सामाजिक माध्यमों को उनके स्तर पर करना होगा ।

‘एआई’ पर नियंत्रण लगाने के लिए नियामक संस्था की आवश्यकता ! – वैष्णव

‘एआई’ की (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) तकनीक के प्रयोग का नियमन करने के लिए नियामक संस्था होनी चाहिए । ‘एआई’ के क्षेत्र में सामाजिक माध्यमों के स्वनियम अथवा सरकारी नियमों का अधिक परिणाम नहीं होगा । ‘एआई’ के लिए सभी पहलुओं पर दृष्टि रखी जा सके, ऐसी संस्था स्थापित की जानी चाहिए । यह गति से बढने वाला क्षेत्र है । इसी कारण नियमों में भी गतिशीलता होनी चाहिए ।

एक बार कानून तैयार किए जाने के उपरांत सामाजिक माध्यमों की कंपनियां और झूठे प्रयोगकर्ताओं की ओर से इसमें परिवर्तन करने का भय होता है । अमेरिका और चीन में इसके विरोध में प्रयास किए गए; लेकिन उन्हें भी यह रोकना संभव नहीं हुआ । इसी कारण भारत सरकार एक नियामक संस्था की स्थापना का विचार कर रही है ।