भ्रामक विज्ञापन बंद न करने पर दंड मिलेगा !

सर्वोच्च न्यायालय की पतंजलि को चेतावनी !

न‌ई देहली – भ्रामक विज्ञापन तुरंत रुकने चाहिए, अन्यथा न्यायालय को इस विषय में गंभीर दखल लेना पड़ सकता है और प्रत्येक उत्पाद पर १ करोड रुपए दंड लगाना पड़ सकता है, ऐसी चेतावनी सर्वोच्च न्यायालय ने योगऋषि रामदेवबाबा के पतंजलि आयुर्वेद को दी । पतंजलि के विज्ञापनों के विरुद्ध भारतीय वैद्यकीय संगठन (‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’) द्वारा प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई के समय न्यायालय ने उपर्युक्त चेतावनी दी । ‘इस वाद को ‘एलोपैथी विरुद्ध आयुर्वेद’ का स्वरूप देने की हमारी इच्छा नहीं है । हम भ्रामक विज्ञापनों की समस्या का समाधान ढूंढना चाहते हैं,’ यह भी इस अवसर पर न्यायालय ने स्पष्ट किया ।

इस याचिका पर गत वर्ष सुनवाई के समय सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि समेत केंद्रशासन के आरोग्य मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय को भी नोटिस भेजा था ।

संपादकीय भूमिका

  • किस प्रतिष्ठान के कौनसे विज्ञापन भ्रामक हैं और कौनसे वास्तविक, यह जनता को स्पष्ट बताना आवश्यक है !
  • किसी भी उत्पाद के विज्ञापन १०० प्रतिशत खरे नहीं होते, यह जनता को भी पता है । इसलिए, प्रत्येक विज्ञापन की जांच होनी चाहिए । इसके लिए एक तंत्र बनना चाहिए !