Javed Akhtar on Hindu Culture : जावेद अख्तर ने कहा कि हिन्दू संस्कृति के कारण ही भारत में लोकशाही बनी हुई है। 

हिन्दू राष्ट्र के संकल्प को हिंसक ठहराने वाले गीतकार जावेद अख्तर द्वारा हिन्दू संस्कृति की प्रशंसा !

मुंबई – कुछ माह पहले एक समाचार चैनल को दी मुलाकात में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदु परिषद, और बजरंग दल जैसे हिंदूत्वनिष्ठ संगठनों की तुलना तालिबान से करके हिन्दू राष्ट्र संकल्पना को भी हिंसक ठहराने के लिए प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने मनसे के दीपोत्सव कार्यक्रम में हिन्दू संस्कृति की प्रशंसा की। ‘भारत में लोकशाही हिन्दू संस्कृति के माध्यम से ही टिकी है,’ इस गौरवपूर्ण उक्ति के साथ जावेद अख्तर ने हिन्दू संस्कृति का गौरव किया । मनसे द्वारा आयोजित दीपोत्सव उद्घाटन कार्यक्रम में वे बोल रहे थे। इस समय व्यासपीठ पर चित्रपट पटकथा लेखक सलीम खान, मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे, और चलचित्र निर्देशक आशुतोष गोवारीकर भी मौजूद थे।

(सौजन्य : TV9 Marathi) 

रामायण भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य धरोहर है!

हिन्दू संस्कृति का गौरवगान करते हुए जावेद अख्तर ने आगे कहा, “रामायण भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर है। मेरा जन्म श्रीराम और सीता के देश में हुआ है। मैं राम और सीता को केवल हिन्दू की विरासत नहीं समझता हूं। इस देश के हर व्यक्ति की यह सम्पत्ति है। राम और सीता इस देश के सभी नागरिकों के देवता हैं। भारतीय हिन्दू संस्कृति तो सहिष्णु है, इसलिए यह देश में लोकशाही बनी रहती है,” उन्होंने यह कहकर उपस्थित लोगों को ‘जय सियाराम’ की घोषणा करने को प्रेरित किया। (क्या जावेद अख्तर ने श्रीराम मंदिर को हो रहे विरोध का खंडन किया है? क्या उन्होंने काशी और मथुरा के हिन्दू मंदिरों पर मुस्लिमों के नियंत्रण के खिलाफ कभी कुछ कहा है? – संपादक)

(और इनकी सुनिए…) ‘हिन्दुओं में असहिष्णुता बढ़ रही है!’

‘हम योग्य है तथा अन्य गलती कर रहे हैं’, ऐसा दावा करना हिन्दू संस्कृति का अंग नही हो सकता। अब तो सिर्फ असहिष्णुता बढ़ रही है। (हिन्दू में असहिष्णुता बढ़ रही है का मतलब क्या? इसे जावेद अख्तर ने स्पष्ट करना चाहिए। इस तरह से अख्तर हिन्दूओं को हिंसक ठहराते हैं। हिन्दू धर्म के आधार पर हिंसा का एक उदाहरण जावेद अख्तर बताएं । – संपादक) ‘शोले’ फिल्म में देवता की मूर्ति के सामने खड़ा रहकर प्रेमी ने ‘भगवान बोल रहे है’ कहकर प्रेमिका को फसाने के दृश्य को वर्तमान काल मे विरोध किया जाता। पहले ऐसा नहीं था, यह भी इस समय जावेद अख्तर ने कहा है।

(यह हिन्दू देवता का अपमान है। पहले हिन्दू धर्म के अपमान की ओर ध्यान नहीं दिया गया था। इसलिए यह स्थिति हो गई है और इसे वैध मार्ग से विरोध किया जा रहा है। इसे जावेद अख्तर ‘असहिष्णुता’ कहेगा, लेकिन वह खुद अपने धर्मबंधुओं के बारे में चुप रहेगा, इसे ध्यान में रखें ! – संपादक)

कुछ महीने पहले एक न्यूज़ चैनल के साथ दी गई मुलाकात में, जावेद अख्तर ने कहा था कि जैसे तालिबान इस्लामिक राष्ट्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं, उसी तरह से कुछ लोग भारत में हिन्दू राष्ट्र की कल्पना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल और तालिबान जैसे संगठनों के उद्देश्यों में कोई भिन्नता नहीं है’ और इन संगठनों की मानसिकता समान है। उन्होंने यह भी कहा कि इन संगठनों के उद्देश्यों का मार्ग भारतीय राजनीति के लिए एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बना रहा है, लेकिन अगर अवसर मिले तो वे भी मर्यादा का पालन नही करेंगे ।

संपादकीय भूमिका 

  • धर्मांध मुस्लिमों के कारण देश की क्या स्थिति है, यह भी जावेद अख्तर ने बताना आवश्यक है !
  • हिन्दू राष्ट्र का संकल्प हिन्दू संस्कृति पर आधारित है। एक स्थान पर  हिंसक कहना और दूसरी ओर ‘हिन्दू संस्कृति सहिष्णु है’ कहना, यह जावेद अख्तर की अवसरवादिता है। यदि जावेद अख्तर वास्तव में हिन्दू संस्कृति को महत्त्वपूर्ण मानते हैं, तो उन्होंने पहले किए वक्तव्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए ।