बरेली (उत्तर प्रदेश) कावड यात्रियों पर पथराव के प्रकरण में भूतपूर्व नगरसेवक उस्मान अल्वी को बनाया बंदी !

अल्वी द्वारा कावड यात्रियों को जान से मारने का आवाहन करने के उपरांत आरंभ हुआ था पथराव !

भूतपूर्व नगरसेवक उस्मान अल्वी

बरेली (उत्तर प्रदेश) – यहां के वनखंडी मंदिर के पहले एक मस्जिद के निकट कावड यात्रियों पर भीषण पथराव हुआ । इस प्रकरण में पुलिस ने उस्मान अल्वी, मस्जिद का मौलाना (इस्लाम का अभ्यासक) एवं उसका लडका, सलीम शाह, छोटे शाह, मम्मा ढोल, राशिद मुखबिर, वाहिद, चांद मुहम्मद, गुड्डू, सरदार शाह, भूरा आदि १५० लोगों के विरोध में अपराध प्रविष्ट किया गया है । इनमें से उस्मान अल्वी को पुलिस ने बंदी बनाया है । वह यहां का भूतपूर्व नगरसेवक है । इस पथराव में महिलाओं सहित कुछ कावड यात्री घायल हो गए हैं । विशेष बात यह है कि तब पुलिस वहां उपस्थित थी ।

(सौजन्य: Dastak Times ) 

कावड यात्रियों ने परिवाद किया है कि मस्जिद के निकट से जाते समय उस्मान अली ने ऊंचे स्वर में उकसाते हुए कहा था ‘इन लोगों को मार डालो !’, तत्पश्चात मस्जिद की छत से पथराव शुरू हो गया ।

गुलाल उडने से मुसलमानों द्वारा पथराव !

मुसलमानों ने दावा किया है कि कावड यात्रियों द्वारा शोभायात्रा में चित्ररथ था और गुलाल का उपयोग हो रहा था । चित्ररथ में एक पंखा था और चित्ररथ मस्जिद के निकट पहुंचते ही पंखे की दिशा उसकी ओर कर दी गई । इसकारण पंखे की हवा से गुलाल मस्जिद के निकट खडे लोगों पर उडा और इससे वाद-विवाद निर्माण होने से पथराव हुआ । (केवल गुलाल उडने से हिन्दुओं की धार्मिक यात्रा पर आक्रमण किया जाता है; जबकि दिन में ५ बार मस्जिद से ‘अल्ला से बडा कोई नहीं’ इस प्रकार की कर्णकर्कश आवाज में सुनाया जाता है तब अन्य धर्मीय सब सहन करते हैं, इसपर निधर्मीवादी कभी ध्यान देंगे ? – संपादक) 

संपादकीय भूमिका 

  • मणिपुर की घटना पर बोलनेवाले राजकीय पक्ष बरेली की घटना के विषय में क्यों कुछ नहीं बोलते ? वह इसलिए कि यहां मार खानेवाले हिन्दू एवं मारनेवाले मुसलमान होने से वे मौन साधे हैं । यदि इसके विपरीत घटना हुई होती, तो ये राजकीय पक्ष टूट पडे होते !
  • पथराव करनेवाली मस्जिदों पर उत्तर प्रदेश सरकार बुलडोजर द्वारा कार्रवाई करेगी  ?, ऐसा प्रश्न यदि कानूनप्रेमी पूछें, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए !
  • भक्ति के स्थान पर शक्तिप्रदर्शन करनेवाले मंदिर बंद करने का विधान न्यायव्यवस्था द्वारा किया जाता है, तब जहां से वास्तव में हिंसा की जाती है, उन प्रार्थनास्थलों पर प्रतिबंध लगाने के विषय में कोई कुछ क्यों नहीं बोलता  ?