‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ का सफल समापन !
गोमंतक की पावन भूमि पर १६ से २२ जून २०२३ की अवधि में अत्यंत उत्साह में एकादश ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’, अर्थात ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ संपन्न हुआ । इस महोत्सव में देश-विदेश के मान्यवरों ने विविध विषयों पर विचार-मंथन किए । इस महोत्सव में नेपाल सहित भारत के २२ राज्यों के ८०० हिन्दुत्वनिष्ठ सम्मिलित हुए थे । इस महोत्सव में हिन्दुओं पर होनेवाले आघात एवं उन पर उपायों के संबंध में विस्तृत चर्चा कर अनेक प्रस्ताव पारित किए गए । ऐसे में यहां इस महोत्सव का संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं ।
१. संविधान से ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) शब्द हटाकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ शब्द जोडें !
कोई भी राष्ट्र नियमों पर चलता है । इन नियमों को ही संविधान कहते हैं । इसमें प्राथमिकता से बहुसंख्यकों के हित की रक्षा की जाती है; परंतु आपातकाल की अवधि में अर्थात वर्ष १९७६ में संपूर्ण विपक्ष जब कारागृह में था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री (श्रीमती) इंदिरा गांधी ने असंवैधानिक रूप से भारत के संविधान में ‘सेक्युलर’ एवं ‘सोशलिस्ट’ (समाजवादी) शब्द जोडे, वास्तव में तभी से हिन्दुओं की वंचना आरंभ हो गई । इस धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक ओर हिन्दुओं का योजनाबद्ध दमन किया जा रहा है तथा दूसरी ओर अल्पसंख्यकों पर अनावश्यक लाड बरसाए जा रहे हैं । इस कथित सेक्युलरवाद के कारण ही हिन्दुओं को लव जिहाद, धर्मांतरण, हिन्दुत्वनिष्ठ नेताओं की हत्या, हिन्दुओं का विस्थापन, हिन्दू विरोधी कानून तथा हिन्दू देवता, धर्मग्रंथ, संत एवं राष्ट्रपुरुषों का अपमान आदि आघातों का नित्य सामना करना पड रहा है । इसीलिए इस महोत्सव में ऐसी आग्रही मांग की गई कि ‘देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं को न्याय दिलाने के लिए ‘सेक्युलर’ एवं ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाकर उसके स्थान पर ‘हिन्दू राष्ट्र’ एवं ‘स्पिरिच्युअल’ शब्द जोडे जाएं तथा भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए ।’ हिन्दू राष्ट्र की मांग राजनीतिक न होकर धर्माधिष्ठित एवं विश्व कल्याणकारी है । भारत अनादि काल से हिन्दू राष्ट्र ही है । भारत को पुन: उसका मूल परिचय प्राप्त करवाना आवश्यक है ।
२. लोकसभा निर्वाचन एवं हिन्दू दबावगुट
‘राजनीतिक दृष्टि से हिन्दुओं का जागृत न होना ही हिन्दुओं के पराभव का कारण है । अब हिन्दुओं को ‘निःशुल्क बिजली’, ‘निःशुल्क यात्रा’ जैसी रिझानेवाली बातें नहीं, अपितु भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने की ठोस घोषणा चाहिए । घोषणापत्र में यह सूत्र लेकर उसे पूर्ण करने का आश्वासन देनेवाले दल को ही वर्ष २०२४ में होनेवाले लोकसभा के निर्वाचन में हिन्दुओं का सार्वजनिक समर्थन मिलेगा’, समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने इस महोत्सव में ऐसी भूमिका ली । किसी भी दल की सरकार हो, तब भी अल्पसंख्यक समुदाय निर्वाचन से पूर्व एवं पश्चात भी दबावतंत्र का उपयोग कर उन्हें अपेक्षित निर्णय होने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहता है । इस अवसर पर अल्पसंख्यकों के समान स्वार्थ के लिए नहीं, अपितु धर्म एवं राष्ट्र हित का निर्णय होने के लिए ‘हिन्दू दबावगुट’ बनाने का निश्चय किया गया ।
३. देश की मंदिर संस्कृति बढाने का निश्चय
हमारे मंदिर सात्त्विकता के स्रोत हैं । उसके लिए मंदिरों की पवित्रता एवं संस्कृति की रक्षा करना आवश्यक है । इस दृष्टि से अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के नेतृत्व में महाराष्ट्र के विविध मंदिरों के न्यासियों का ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ स्थापित किया गया । इस महासंघ ने केवल ४ माह में राज्य के १५२ मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू की । अत्यंत अल्प समय में इस अभियान को इतना अधिक प्रतिसाद मिला कि अन्य राज्यों के बडे- बडे मंदिरों ने अपने मंदिरों में स्वयं ही वस्त्रसंहिता लागू कर दी । इतना ही नहीं विदेश के मंदिरों के न्यासियों ने भी अपने मंदिरों में स्वयंप्रेरणा से वस्त्रसंहिता लागू की । यह लोगों के धर्माचरण की ओर बढते झुकाव का दर्शक है । इस वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में आनेवाले समय में देश के विविध राज्यों में ऐसे मंदिर महासंघ स्थापित कर १ सहस्र ५० मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करने का निश्चय किया गया । इसके साथ ही सरकारीकृत तथा विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उद्ध्वस्त किए सर्व मंदिर मुक्त कर सरकार उन्हें भक्तों को सौंपे, इसके लिए न्यायालयीन मार्ग से तीव्र संघर्ष करने का निश्चय किया गया ।
४. ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’ स्थापित करेंगे
अधिवेशन में हिन्दू जनता एवं सरकार में समन्वय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर राष्ट्रीय स्तर तक ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’ स्थापित करने का निश्चय किया गया । इसके साथ ही हिन्दुओं की रक्षा के लिए हिन्दुओं की सक्षम ‘इकोसिस्टम’ (प्रणाली) की आवश्यकता भी प्रतिपादित की गई ।
५. धर्मांतरण तथा गोहत्या प्रतिबंधक कानून की मांग
इसके साथ ही हिन्दुत्वनिष्ठों ने ‘लव जिहाद’, धर्मांतरण तथा गोहत्या के विरुद्ध संपूर्ण वर्ष जागृतिपरक उपक्रम कार्यान्वित करने तथा इस संबंध में कठोर कानून बनाने की एकजुट मांग की । इसके साथ ही ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ के रूप में देश की अर्थव्यवस्था पर आए गंभीर संकट पर भी चर्चा हुई । हलाल जिहाद के माध्यम से हिन्दुओं से मिलनेवाले पैसे का उपयोग लव जिहाद के आरोपियोें, ७०० से अधिक आतंकवादियों तथा दंगे के आरोपियों को छुडवाने के लिए किया जा रहा है । इसलिए इस अधिवेशन में हलाल प्रमाणपत्र पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की गई ।
६. देश में समान नागरिक संहिता बनाने की मांग
देश में समान नागरिक संहिता बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सूचनाएं मंगवाई हैं, यह स्वागत योग्य है; परंतु ‘हम पांच हमारे पच्चीस’ द्वारा जनसंख्या की अप्राकृतिक तथा अप्रत्याशित वृद्धि होकर अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं । ‘डेमोग्राफी’ ही ‘डेमोक्रेसी’ बन गई है । (जनसंख्या ही लोकतंत्र है) इसलिए समान नागरिक संहिता के साथ ही ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ पारित करना भी उतना ही आवश्यक है, इस अधिवेशन में ऐसी मांग की गई ।
७. हिन्दुत्व के कार्य के साथ ही साधना भी आवश्यक
अधिकांश हिन्दुत्वनिष्ठ राष्ट्र एवं धर्म की समस्याओं के विरुद्ध संघर्ष करते समय तन, मन, धन एवं समय आने पर प्राण भी अर्पित करने हेतु तैयार रहते हैं । परंतु उनका आध्यात्मिक बल न्यून (कम) पडता है । रामदासस्वामी रचित ग्रंथ दासबोध के दशक २०, समास ४, छंद २६ में वचन है कि ‘प्रत्येक व्यक्ति में बडा अभियान करने का सामर्थ्य होता है । कुछ लोग उस दृष्टि से प्रयत्न भी करते हैं; परंतु उसे सफल होने के लिए उन प्रयत्नों के साथ ईश्वर का अधिष्ठान अत्यंत आवश्यक है ।’ इसलिए प्रत्येक हिन्दुत्वनिष्ठ ने साधना करने एवं अन्यों को साधना के लिए प्रेरित करने का निश्चय व्यक्त किया है । अधिवेशन का यह सूत्र महत्त्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय है ।
८. हिन्दुत्वनिष्ठों में निर्माण हुआ संघभाव !
भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए अब हिन्दुओं ने कमर कस ली है । इस वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के माध्यम से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को वैचारिक एवं वैध कृति कार्यक्रम की आश्वासक दिशा मिलती है । इस अधिवेशन के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी लोग पद, पक्ष, जाति, भाषा, प्रांत आदि भेद भूलकर केवल हिन्दू बनकर एकत्र आते हैं । इसलिए उनमें उत्तम संघभाव निर्माण हो गया है । यह एकजुटता भारत को शीघ्र ही हिन्दू राष्ट्र बनाएगी, यह निश्चित है ।
– श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति