बेंगलुरु में एक बस में एक महिला ने एक मुस्लिम वाहक (कंडक्टर)को उसकी गोल टोपी उतारने के लिए विवश किया !

‘अपने धर्म का पालन घर पर करें अथवा मस्जिद में !’ इन शब्दों में उसे फटकारा !

बेंगलुरु (कर्नाटक) – यहां एक महिला यात्री ने एक मुस्लिम बस वाहक (कंडक्टर) के गोल टोपी पहनने पर आपत्ति जताई एवं उसे टोपी उतारने के लिए विवश किया । सामाजिक माध्यम पर घटना का वीडियो प्रसारित किया गया है । दोनों में प्रथम वाद-विवाद हुआ, जब महिला ने वाहक से टोपी निकालने के लिए कहा, किन्तु उसके उपरांत वाहक ने टोपी निकाली, उस वीडियो में यह स्पष्ट दिखता है । महिला यात्री ने मुस्लिम वाहक से कहा, ‘यदि आप अपने धर्म का पालन करना चाहते हैं, तो घर अथवा मस्जिद जाएं  ।’

महिला ने गोल टोपी पर आपत्ति जताई क्योंकि मुस्लिम वाहक ने काम के समय वर्दी के साथ गोल टोपी पहन रखी थी । उन्होंने वाहक से पूछा, ‘क्या वर्दी के साथ टोपी परिधान करने की अनुमति है? क्या यह टोपी आपकी वर्दी (यूनिफॉर्म) का भाग है ?’ मुस्लिम वाहक ने उत्तर दिया, ‘मैं अनेक वर्षों से टोपी पहन रहा हूं, इससे पूर्व किसी ने इस पर आपत्ति नहीं दर्शाई है ।’ वाहक ने कहा, ‘मैं टोपी पहन सकता हूं ।’ आपको टोपी हटाकर नियमों का पालन करना होगा ।’ अंततः वाहक ने टोपी हटा दी । (क्या कोई विश्वास दिलाएगा कि यह मुस्लिम बस वाहक पुन: टोपी नहीं पहनेगा? ऐसे कर्मचारी को नियमानुसार दंडित किया जाना चाहिए ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

जब यह नियम है कि बस वाहक वर्दी (यूनिफॉर्म) में गोल धार्मिक टोपी नहीं पहन सकते, तो क्या संबंधित अधिकारियों को यह नहीं दिखा ? अथवा भयग्रस्त होकर मुंह में दही जमा कर चुप बैठे थे !