कर्नाटक इस वर्ष ‘महिष दशहरा’ (महिषासुर का जन्मदिन) मनाएगा !

सेवानिवृत्त प्रो. महेश चंद्र गुरु और पूर्व महापौर पुरुषोत्तम

मैसूर (कर्नाटक) – पूर्व महापौर पुरुषोत्तम ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस वर्ष ‘महिष दशहरा समिति’ की ओर से महिष दशहरा मनाने का निर्णय लिया गया है । पुरुषोत्तम ने कहा कि महिष दशहरा २०१५ से मनाया जा रहा है । गत ५ वर्षों में बीजेपी सरकार के विरोध के कारण इसे नहीं मनाया गया । इस वर्ष से महिष दशहरा मनाने का निर्णय लिया गया है । (कांग्रेस को चुनने वाले हिन्दुओं को ध्यान देना चाहिए कि जब कांग्रेस की सरकार आती है तो समाज में हिन्दू धर्म से घृणा एवं द्वेष करनेवाले पनपने लगते हैं ! – संपादक) महिष दशहरा मनाने के संबंध में समिति की ओर से अभी तक कोई आवेदन नहीं दिया गया है । जिला प्रभारी मंत्री ने आश्वासन दिया है कि महिष दशहरा मनाने की अनुमति दी जाएगी ।

(अब इनकी सुनिए ! ) ‘महिष सत्य है, चामुंडा मिथ्या है ! – सेवानिवृत्त प्रो. महेश चंद्र गुरु

‘महिष दशहरा’ मनाना है, किंतु पारंपरिक ´दशहरा´ का विरोध करने के लिए नहीं । असुर राक्षस नहीं अपितु रक्षक थे । (इस ‘शोध ‘ के लिए उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिए ! – संपादक) महिष सत्य तो चामुंडा मिथ्या है । यदि आप चामुंडा की पूजा करते हैं तो अवश्य करें । सेवानिवृत्त प्रोफेसर महेश चंद्रगुरु ने वक्तव्य दिया कि हम महिष दशहरा मनाते हैं, आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं ?

उन्होंने आगे कहा,

१. महिष हमारा चरित्र पुरुष है । (यदि कोई असुरों को चरित्रवान मानने वालों के चरित्र पर संदेह करे तो आश्चर्य न होना चाहिए ! – संपादक)

२. इस भूमि के महापुरुषों का महिमामंडन करना तथा उनका स्मरण करना हमारा धार्मिक कर्तव्य है । संविधान ने हमें धार्मिक स्वतंत्रता दी है । (संवैधानिक अधिकारों के नाम पर कुछ भी कहने वालों का विरोध करने का अधिकार संविधान ने ही लोगों को दिया है ! – संपादक)

३. गत ५ वर्षों में हमें महिष दशहरा मनाने का अवसर नहीं मिला । हमें इतिहास एवं अपनी परंपराओं का विस्मरण नहीं होना चाहिए । चामुंडा माता पुराण प्रसिद्ध हैं, किंतु महिष एक ऐतिहासिक पुरुष हैं । पुराण मनगढंत कहानियों का संग्रह है, जबकि इतिहास में सत्य कथाएं हैं । (इस देश में ऐसे निंदकों का अभाव नहीं है । हिन्दुओं को ज्ञात है कि ऐसे लोगों को कितना महत्त्व देना चाहिए ! – संपादक)

४. यह सत्य एवं असत्य का संघर्ष है । आने वाली पीढी को हम इतिहास नहीं बताएंगे तो कौन बताएगा ? आप जो भी दशहरा मनाएं, हम विरोध नहीं करेंगे । (ऐसे लोगों को यह सदैव स्मरण रखना चाहिए कि हिन्दुओं के दशहरा उत्सव का काोई कितना भी विरोध करे, हिन्दू अपने संकल्प पर अडिग ही रहेंगे ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

यदि कोई कहता है, कि हिन्दू धर्म के विरुद्ध कृति करने वाले तथा राक्षसों का महिमामंडन कर उन्हें आदर्श दर्शाने वाले उसी मानसिकता के हैं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए !