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श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) – जम्मू-कश्मीर को विशेष योग्यता देनेवाली धारा ३७० हटाने के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करनेवाले भारतीय प्रशासकीय सेवा अधिकारी (आइ.ए.एस.) शाह फैसल ने याचिका वापस लेने की जानकारी पुनः एकबार दी है । इससे पूर्व सितंबर २०२२ में उन्होंने इस संदर्भ में निवेदन दिया था । ११ जुलाई को सरन्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय के ५ सदस्यीय खंडपीठ धारा ३७० के संदर्भ में प्रविष्ट की गई सभी २० याचिकाओं पर सुनवाई करेगा । इस पृष्ठभूमि पर शाह फैसल ने अपनी भूमिका स्पष्ट की है । अर्थात उनकी याचिका रहित करें अथवा नहीं ? यह निर्णय भी ११ जुलाई को न्यायाल ही देगा ।
370, for many Kashmiris like me, is a thing of the past.
Jhelum and Ganga have merged in the great Indian Ocean for good.
There is no going back. There is only marching forward. pic.twitter.com/3cgXRWSxW0
— Shah Faesal (@shahfaesal) July 4, 2023
इस संदर्भ में शाह फैसल ने कहा ‘धारा ३७०’ अब केवल इतिहास है । झेलम एवं गंगा नदियां सदैव के लिए महान हिन्द महासागर में मिल गईं हैं । इसलिए अब पीछे मुडकर देखने की आवश्यकता नहीं है । अब केवल आगे देखना चाहिए’ । इससे पूर्व फरवरी २०२१ में फैसल ने कहा था कि धारा ३७० हटाने का मैंने विरोध किया था, जिसका मुझे पछतावा हो रहा है ।
कौन है ये आइ.ए.एस. अधिकारी शाह फैसल ?मूलत: जम्मू-कश्मीर के आइ.ए.एस. अधिकारी शाह फैसल वर्ष २००९ में आइ.ए.एस. की परीक्षा में देश में प्रथम आए थे । उन्होंने कथित असहिष्णुता बढने के कारण जनवरी २०१९ में सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दल की स्थापना की थी । केंद्र सरकार ने उनका त्यागपत्र अस्वीकार कर दिया था । अगस्त २०२० में उन्होंने राजनीति छोडने की घोषणा की । उसके उपरांत उन्होंने केंद्रसरकार को पत्र लिखकर पुनः नौकरी करने के लिए निवेदन दिया था । उनकी नियुक्ति केंद्रसरकार के संस्कृति मंत्रालय में उपसचिव के रूप में की गई । |