‘अशोभनीय वेशभूषा में प्रवेश न करें !’ ऐसे फलक लगाए गए !
(वस्त्रसंहिता अर्थात मंदिर में प्रवेश करते समय परिधान किए जानेवाले वस्त्रों के संदर्भ में नियम)
अकोला – अमरावती के उपरांत अब अकोला के कुछ मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करने का निर्णय लिया गया है । अकोलावासियों के आराध्य श्री राजेश्वर मंदिर एवं पुराने नगर के ३१९ वर्ष पुरातन श्री विठ्ठल मंदिर में इस विषय के फलक लगाए गए है । फलकों पर सूचित किया गया है ‘देहप्रदर्शन करनेवाली वेशभूषा में मंदिर में प्रवेश न करें एवं भारतीय संस्कृति का पालन कर सात्त्विक वेशभूषा में ही दर्शन का लाभ लें’ ।
हिन्दुत्वनिष्ठों का कहना है ‘मंदिरों की पवित्रता, मंगलता, शिष्टाचार, संस्कृति संजोने के लिए वस्त्रसंहिता आवश्यक है । सरकारी कार्यालय में वस्त्रसंहिता लागू है तथा धार्मिक, प्रार्थनास्थल, निजी कंपनी, पाठशाला-महाविद्यालय, न्यायालय, पुलिस आदि क्षेत्रों में वस्त्रसंहिता लागू है’ । महाराष्ट्र मंदिर महासंघ द्वारा कुछ दिनों पूर्व ही मत रखकर घोषित किया गया था कि, मंदिरों में भी वस्त्रसंहिता होनी चाहिए ।
न्यासियों का मत !
१. श्री. गजानन घोंगे, न्यासी, श्री राजेश्वर संस्थान – वस्त्रसंहिता के संदर्भ में सामाजिक, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से पत्र प्राप्त हुए थे । इस पर मंदिर न्यासियों में चर्चा हुई । तदनंतर ही वेशभूषा के संदर्भ में निर्णय लिया गया । भक्तों को वस्त्रसंहिता का पालन करना अपेक्षित है; परंतु वेशभूषा के कारण कोई भी दर्शन से वंचित नहीं रहेगा ।
२. श्री. रमेश अलकरी, न्यासी, श्री विठ्ठल-रखुमाई संस्थान – भारतीय संस्कृति को संजोना एवं पवित्रता संजोते हुए भावनाओं का आदर होना आवश्यक है । मंदिर एक पवित्र स्थान है। वह पर्यटन अथवा घुमने का स्थान नहीं है । मंदिर की पवित्रता संजोना आवश्यक है । इसलिए मंदिर में वस्त्रसंहिता लागू की गई है ।
संपादकीय भूमिकामहाराष्ट्र के सभी मंदिर न्यासी इसका आदर्श रखें ! |