पुनः औरंगजेबी आक्रमण !

पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में क्रूरकर्मा एवं हिन्दूद्वेषी मुगल बादशाह औरंगजेब का महिमामंडन चल रहा है । ‘चल-दूरभाष पर औरंगजेब का स्टेटस रखना, शोभायात्रा में औरंगजेब का चित्र फहराना’ जैसी घटनाएं खुलेआम हो रही हैं । इसमें भी कोई एकाध-दूसरे मुसलमान ने नहीं, अपितु उस समुदाय का नेतृत्व करनेवालों ने भी औरंगजेब का समर्थन किया । समाजवादी दल के विधायक अबू आजमी ने तो वक्तव्य दिया, ‘मैं औरंगबेज के साथ हूं ।’ मुसलमानों को अल्पसंख्यक मानकर उनके लिए अभी तक देश के करोडों रुपए उडाकर भी उनमें से एक भी मान्यवर मुसलमान ने ‘औरंगजेब हमारा आदर्श नहीं है’, ऐसा बोलने का शिष्टाचार भी नहीं दिखाया । ऐसे लोगों को सुविधाएं देकर यदि उनमें से औरंगजेब की विरासत तैयार होती हो, तो ‘हिन्दुओं का पैसा अपनी ही कब्र खोदने में खर्च हो रही है’, ऐसा कहे बिना अन्य कोई विकल्प नहीं बचता । इसका करण है कि मुसलमान जिसका महिमामंडन कर रहे हैं, वह वही क्रूरकर्मा है जिसने, सिखों के धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह ने हिन्दू धर्म नहीं छोडा, इसलिए उन्हें उनके बच्चों सहित दीवार में गाढकर उनकी निर्मम हत्या की तथा धर्मवीर संभाजी महाराज की भी निर्मम हत्या की । औरंगजेब के महिमामंडन का खुला समर्थन करनेवाले आधुनिकतावादियों की भूमिका हिन्दुओं को समझ लेनी चाहिए, साथ ही यह विवाद इस पर ही थमेगा; ऐसा हिन्दू न समझें । हिन्दुओं को समय रहते ही यह समझ लेना चाहिए कि यह भविष्य के औरंगबेज के कुकर्माें का आरंभ है ।

केवल मुसलमान नेताओं ने ही नहीं, अपितु आधुनिकतावादी के रूप में परिचित राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने भी घोषित किया, ‘मैं संभाजीनगर को औरंगाबाद ही बोलूंगा ।’ उन्हीं के दल के एक और नेता जितेंद्र आव्हाड ने तो उससे पूर्व ही वक्तव्य दिया ‘औरंगजेब क्रूर नहीं था ।’ इन लोगों को धर्मवीर संभाजी महाराज की हत्या क्रूर नहीं प्रतीत होती । धर्मांधों ने साक्षी एवं श्रद्धा जैसी सहस्रों हिन्दू लडकियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनकी हत्याएं कीं, तब भी उन्हें ‘लव जिहाद’ दिखेगा ही नहीं ! आव्हाड एवं तथाकथित आधुनिकतावादी लोग उन्हीं के ही एक अंग हैं । जिस औरंगजेब ने धर्मवीर संभाजी महाराज की आंखों में गर्म सरिए डालकर तथा उनके शरीर की चमडी छीलकर हिन्दुओं के नववर्षारंभ दिवस से एक दिन पूर्व उनके शरीर के टुकडे किए; उसके हिन्दूद्वेष के तथा क्रूरता के और कितने उदाहरण दिए जाएं ? हिन्दुओं को ऐसा लगता होगा, ‘मुसलमानों को दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का आदर्श अपने सामने रखना चाहिए’ तथा ‘मुसलमानों को धर्मांधता छोडकर अन्य धर्मोें का सम्मान करना चाहिए; परंतु स्वयं को क्या लगता है, इसकी अपेक्षा मुसलमानों की मानसिकता क्या है ?, इसे हिन्दुओं को समझ लेना चाहिए । हिन्दुओं को औरंगजेब के क्रूर कुकृत्य भले ही धर्मांधता लगते होें; परंतु मुसलमानों की दृष्टि से औरंगजेब इस्लाम का प्रसार करनेवाला सूफी संत है । उसके कारण छत्रपति शिवाजी महाराज हिन्दुओं के लिए चाहे कितने भी वंदनीय क्यों न हों; परंतु तब भी मुसलमानों के लिए औरंगजेब ही ‘रहमतुल्लाह अलैह’ (अल्लाह का प्रिय व्यक्ति) है, यह हिन्दू समझ लें ।

षड्यंत्र पहचानें !

जितेंद्र आव्हाड

‘हिन्दुओं के मन में छत्रपति शिवाजी महाराज की ‘हिन्दवी साम्राज्य के संस्थापक एवं मुगलों के काल’, यह जो प्रतिमा है; उसे मिटाए बिना हिन्दुत्व की भावना नष्ट नहीं की जा सकेगी’, यह बात आधुनिकतावादी लोगों की समझ में आई है । उसके कारण ही शरद पवार, जितेंद्र आव्हाड, संभाजी ब्रिगेडवाले तथा तथाकथित अन्य आधुनिकतावादी लोगों ने जानबूझकर छत्रपति शिवाजी महाराज को आधुनिकतावादी दिखाने का प्रयास आरंभ किया । ‘छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिकों में मुसलमान भी थे’, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की लडाई हिन्दुत्व के लिए नहीं थी’; इस प्रकार से दुष्प्रचार करनेवालों के प्रचार का अगला चरण है औरंगजेब का महिमामंडन ! कुछ माह पूर्व जितेंद्र आव्हाड ने कहा था, ‘औरंगजेब हिन्दूद्वेषी नहीं था’ । यह भी उसी का एक भाग है । हिन्दुओं को ‘हिन्दू’ के रूप में उनका परिचय मिटाने का यह षड्यंत्र समय रहते ही समझ लें ।

दोष किसका है ?

गुजरात का सोमनाथ मंदिर, मथुरा का श्रीकृष्ण मंदिर, काशी का विश्वनाथ मंदिर जैसे अनेक प्रसिद्ध मंदिर औरंगजेब ने ध्वस्त किए । हिन्दुओं को हिन्दू के रूप में बने रहने के लिए उन पर ‘जिजिया’ कर लगाया । कोई भी धर्माभिमानी हिन्दू ऐसे धर्मांध औरंगजेब का महिमामंडन सहन नहीं करेगा । ऐसा होते हुए भी हिन्दुओं की धर्मभावनाओं का सम्मान न कर मुसलमान जब औरंगजेब का महिमामंडन करते हैं, तब उनकी मानसिकता को समझ लेना आवश्यक होता है । औरंगजेब भले कितना भी क्रूर हो, तब भी वह भारत को ‘दार-उल-इस्लाम’ (जहां इस्लाम का शासन चलता है, ऐसा प्रदेश) बनाने के लिए आया था तथा इस्लाम का प्रसार केवल तलवार के बल पर ही किया गया है । ‘भारत का इस्लामीकरण’ औरंगजेब का सपना था, जो अब आज के मुसलमानों का भी है । ‘भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में रहकर उनका यह सपना बदल जाएगा’, इस भ्रम में हिन्दुओं को नहीं रहना चाहिए । अबू आजमी जैसे मुसलमान नेता चाहे वे समाजवादी, कांग्रेस अथवा राष्ट्रवादी कांग्रेस में हों अथवा स्वयं को आधुनिकतावादी कहलानेवाले होें; उनके लिए उनका लक्ष्य स्पष्ट है । उसके कारण शरद पवार, जितेंद्र आव्हाड, नसीरुद्दीन शाह जैसे लोग औरंगजेब का समर्थन करते हैं, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है । यह दोष उनका है, जो उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज के अनुयायी मानते हैं ।

छत्रपति शिवाजी महाराज

दुर्भाग्य की बात यह है कि एक ओर जहां देश में छत्रपति शिवाजी महाराज का ३५० वां राज्याभिषेक समारोह बडे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है; परंतु दूसरी ओर औरंगजेब का महिमामंडन भी चल रहा है तथा देशद्रोह का महिमामंडन करनेवालों को सीधे रास्ते पर नहीं लाया जा सकता । इसके विपरीत, औरंगजेब का चित्र जलानेवालों पर अपराध प्रविष्ट किए जाते हैं । लोकतंत्र में तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर औरंगजेब का महिमामंडन करना किसी राष्ट्रप्रेमी को रास आनेवाला नहीं है । इसलिए छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस लोककल्याणकारी हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की थी, उसकी पुनः स्थापना करने के लिए हिन्दुओं को अभी से कमर कसनी चाहिए । इस हिन्दवी स्वराज्य में औरंगजेब के देशद्रोही वंशज बिलबिला नहीं पाएंगे ।

अल्पसंख्यक कहकर छूट लेकर भी औरंगजेब का किया जा रहा उदात्तीकरण, भारत के इस्लामीकरण का नियोजित षड्यंत्र है !