‘जमीयत उलमा-ए- हिंद’ संगठन की मांग
नई देहली – मुसलमानों के ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद’ इस संगठन ने ‘अजमेर ९२’ इस आने वाले हिन्दी चित्रपट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की । यह चित्रपट अभी प्रदर्शित होना है । इस चित्रपट में वर्ष १९९२ में अजमेर में महाविद्यालय में पढने वाली हिन्दू छात्राओं को जाल में फंसा कर उनका शारीरिक शोषण किए जाने की घटना प्रस्तुत की है ।
२५० से अधिक हिन्दू छात्राओं का इसमें शोषण किया गया था । शोषण करने वालों में अजमेर दरगाह के सेवकों का समावेश था । इनमें से अनेकों को अभी तक दंड नहीं मिला है । ऐसा होते हुए अब ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद’ ने चित्रपट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है ।
Jamiat Ulama-i-Hind calls for ban on ‘Ajmer 92’ film
JUH wants the central government to ban this movie and “discourage those who are trying to divide society on communal lines”.https://t.co/yKX7XXPRF2
— The Times Of India (@timesofindia) June 5, 2023
जमीयत के अध्यक्ष मौलाना (मुसलमान जानकार) महमूद मदनी ने कहा कि, अजमेर शरीफ दरगाह को अपमानित करने के लिए बनाए जाने वाले इस चित्रपट पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए । अपराध की घटनाओं को धर्म से जोडने के स्थान पर अपराध के विरोध में संगठित होकर कार्यवाही करने की आवश्यकता है । ऐसे चित्रपट समाज में फूट डाल सकते हैं । अभिव्यक्ति स्वतंत्रता एक वरदान होकर किसी भी लोकतंत्र की शक्ति है; लेकिन इसकी आड में देश तोडने वाले विचारों को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता । अजमेर दरगाह हिन्दू और मुसलमान एकता का जीवित उदाहरण है । जिन लोगों ने इस दरगाह का अपमान करने का प्रयास किया, वे स्वत: अपमानित हुए हैं ।
संपादकीय भूमिकापूर्व में हिन्दू-मुसलमान भाईचारे की झूठी बातें बताने वाले चित्रपट प्रदर्शित कर हिन्दुओं को भ्रम में रखकर उनका आत्मघात किया जाता था । अब हिन्दुओं को सत्य इतिहास बताकर वास्तविकता दर्शाने वाले चित्रपट प्रदर्शित होने से मुसलमान संगठनों और उनके नेताओं को मिर्ची लगेगी ही ! इसमें से अब ‘द कश्मीर फाइल्स’, ‘द केरल स्टोरी’ और अब ‘अजमेर ९२’ इन चित्रपटों पर प्रतिबंध की मांग होने लगी है, यह ध्यान में लें ! |