(और इनकी सुनिए…)  ‘अजमेर ९२’ चित्रपट पर प्रदर्शन के पूर्व ही प्रतिबंध लगाएं !

 ‘जमीयत उलमा-ए- हिंद’ संगठन की मांग

नई देहली – मुसलमानों के ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद’ इस संगठन ने ‘अजमेर ९२’ इस आने वाले हिन्दी चित्रपट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की । यह चित्रपट अभी प्रदर्शित होना है । इस चित्रपट में वर्ष १९९२ में अजमेर में महाविद्यालय में पढने वाली हिन्दू छात्राओं को जाल में फंसा कर उनका शारीरिक शोषण किए जाने की घटना प्रस्तुत की है ।

महमूद मदनी

२५० से अधिक हिन्दू छात्राओं का इसमें शोषण किया गया था । शोषण करने वालों में अजमेर दरगाह के सेवकों का समावेश था । इनमें से अनेकों को अभी तक दंड नहीं मिला है । ऐसा होते हुए अब ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद’ ने चित्रपट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है ।

जमीयत के अध्यक्ष मौलाना (मुसलमान जानकार) महमूद मदनी ने कहा कि, अजमेर शरीफ दरगाह को अपमानित करने के लिए बनाए जाने वाले इस चित्रपट पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए । अपराध की घटनाओं को धर्म से जोडने के स्थान पर अपराध के विरोध में संगठित होकर कार्यवाही करने की आवश्यकता है । ऐसे चित्रपट समाज में फूट डाल सकते हैं । अभिव्यक्ति स्वतंत्रता एक वरदान होकर किसी भी लोकतंत्र की शक्ति है; लेकिन इसकी आड में देश तोडने वाले विचारों को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता । अजमेर दरगाह हिन्दू और मुसलमान एकता का जीवित उदाहरण है । जिन लोगों ने इस दरगाह का अपमान करने का प्रयास किया, वे स्वत: अपमानित हुए हैं ।

संपादकीय भूमिका 

पूर्व में हिन्दू-मुसलमान भाईचारे की झूठी बातें बताने वाले चित्रपट प्रदर्शित कर हिन्दुओं को भ्रम में रखकर उनका आत्मघात किया जाता था । अब हिन्दुओं को सत्य इतिहास बताकर वास्तविकता दर्शाने वाले चित्रपट प्रदर्शित होने से मुसलमान संगठनों और उनके नेताओं को मिर्ची लगेगी ही ! इसमें से अब ‘द कश्मीर फाइल्स’, ‘द केरल स्टोरी’ और अब ‘अजमेर ९२’ इन चित्रपटों पर प्रतिबंध की मांग होने लगी है,  यह ध्यान में लें !