प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नए संसद भवन का उद्घाटन !

मंत्रोच्चारों के सात्त्विक स्वरों में लोकसभा में सेंगोल की स्थापना : प्रधान मंत्री ने किया साष्टांग दंडवत

नए संसद भवन

नई देहली – प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने २८ मई को यहां केंद्र सरकार की महत्त्वकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना के अंतर्गत ९७० करोड रुपए व्यय कर निर्मित नए संसद भवन का उद्घाटन किया । हवन तथा पूजन के साथ धार्मिक विधियों द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया । इस अवसर पर कर्नाटक के विख्यात शृंगेरी मठ के पुजारियों ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया । इसके साथ गणपति होम भी किया गया । इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विज्ञान तथा तंत्रज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह, विभिन्न राज्यों के मुख्य मंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा उपस्थित थे ।

ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ की स्थानपा !

ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ अर्थाात् राजदंड’ को साष्टांग दंडवत करते प्रधानमंत्री मोदी

इस अवसर पर मंत्रोच्चारों के सात्त्विक स्वरों में तमिलनाडू के शैव पुरोहितों के हाथों प्रधान मंत्री ने ‘सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक’ ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ अर्थात ‘राजदंड’ को स्वीकार किया । इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने सेंगोल को साष्टांग दंडवत किया । तत्पश्चात यह राजदंड लोकसभा अध्यक्ष की सीट (आसन) की दाईं ओर स्थापित किया गया ।

राजदंड का (‘सेंगोल’ का ) इतिहास !

राजदंड अर्थात ‘सेंगोल’

भारत के राजदंड का इतिहास  प्राचीन काल से ढूंढा जा सकता है । राजदंड को तमिल भाषा में ‘सेंगोल’ कहा जाता है । इसका अर्थ है ‘सत्य का साथ देनेवाला’। राजदंड का प्रथम ज्ञात उपयोग मौर्य साम्राज्य ने किया था । मौर्य सम्राट ने अपने विशाल साम्राज्य पर स्वयं का अधिकार दर्शाने हेतु राजदंड का प्रयोग किया । गुप्त साम्राज्य, चोल साम्राज्य तथा विजय नगर साम्राज्य ने भी राजदंड का प्रयोग किया था । भारतीयों को सत्ता का हस्तांतरण करते समय ब्रिटिशों ने तमिलनाडू से राजदंड तैयार करवाया था । वर्ष १९४७ में ब्रिटिशों ने यह राजदंड भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंप दिया था । उसे उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के संग्रहालय में रखा गया था । राजदंड जिन्हें सौंपा जाता है, उनसे न्याय तथा निष्पक्ष सरकार की अपेक्षा की जाती है ।

नया संसद भवन १४० करोड भारतीयों की आकांक्षा तथा स्वप्नों का प्रतिबिंब है ! – प्रधान मंत्री मोदी

नया संसद भवन केवल एक इमारत नहीं, अपितु १४० करोड भारतीयों की आकांक्षा तथा स्वप्नों का प्रतिबिंब है । यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है, जो विश्व को भारत के निर्णय का संदेश देता है । संसद की यह नई इमारत भारत के विकास को आवाज देगी । लोकसभा में पवित्र सेंगोल भी स्थापित किया गया है । चोल साम्राज्य में राजदंड कर्तव्य तथा सेवा का प्रतीक माना जाता था । हम इस पवित्र राजदंड की प्रतिष्ठा पुन: प्राप्त कर पाए, यह हमारा सौभाग्य है । जब संसद की कार्यवाही आरंभ होगी, तब यह राजदंड सभी को प्रेरणा देते रहेगा ।

सर्वधर्मीय प्रार्थनासभा का आयोजन !

इस अवसर कर सर्वधर्मों की प्रार्थना का आयोजन किया गया था । यह प्रार्थना विभिन्न भाषाओं में की गई ।

श्रमजीवियों का सम्मान !

इस अवसर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के निर्माण में सम्मिलित श्रमजीवियों का सम्मान किया ।


विरोधी दलों ने बहिष्कार किया !

नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधान मंत्री के हाथों नहीं, अपितु राष्ट्रपति के हाथों करना चाहिए । कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल तथा एम.आई.एम. के साथ अनेक विरोधी दलों ने ऐसी मांग करते हुए इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया ।


तमिल समाज तथा संस्कृति का अभिमान बढाने हेतु प्रधान मंत्री मोदी के प्रति कृतज्ञता ! – अभिनेता रजनीकांत

‘तमिल सत्ता का पारंपरिक प्रतीक राजदंड भारत की नई संसद में शोभायमान होगा ।

तमिल समाज तथा संस्कृति का अभिमान बढाने हेतु प्रधान मंत्री मोदी के प्रति बहुत बहुत कृतज्ञता ।’,अभिनेता रजनीकांत ने ऐसा ट्वीट किया है ।


राजनीतिक मतांतर अलग रख कर नए संसद भवन के उद्घाटन हेतु राष्ट्रीय एकात्मता दिखाएं ! – अभिनेता कमल हासन

अभिनेता कमल हासन ने कहा कि इस कार्यक्रम के विषय में मतांतर संसद के दोनों भी सभागृहों में प्रस्तुत कर सकते हैं ।

नई संसद के उद्घाटन के उपलक्ष्य में पूरे विश्व के लोगों का ध्यान हमारी ओर रहेगा । एक दिन के लिए अपने राजनीतिक मतांतर अलग रख कर नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रीय एकता दर्शाएं ।

नई संसद में ‘ज्ञान द्वार’, ‘शक्ति द्वार’ तथा ‘कर्म द्वार’ ३ द्वारों का समावेश !

नए संसद भवन की इमारत त्रिकोणाकार तथा ४ तल्ले (मंजिला) का है । इसका क्षेत्रफल ६४ सहस्र ५०० वर्ग मीटर है । इस संसद भवन में तीन प्रवेशद्वार हैं । प्रवेशद्वारों के नाम हैं ‘ज्ञान द्वार’, ‘शक्ति द्वार’ तथा ‘कर्म द्वार’। इसके साथ सामान्य व्यक्ति तथा महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए भिन्न-भिन्न प्रवेशद्वार हैं । ‘टाटा प्रोजेक्टस लिमिटेड’ द्वारा नए संसद भवन का निर्माण किया गया है । इस संसद भवन में लोकसभा तथा राज्यसभा के साथ विशाल संविधान कक्ष, विशाल ग्रंथालय, समिति कक्ष, भोजन कक्ष, वाहन व्यवस्था आदि सुविधाएं हैं ।