‘शौच के लिए अधिक समय बैठना, साथ ही बल (जोर) देना, ये लक्षण हों, तो चौथाई चम्मच ‘सनातन यष्टीमधु (मुलेठी) चूर्ण’, चौथाई चम्मच ‘सनातन आमलकी (आंमला) चूर्ण’ एवं १ चुटकीभर सैंधव (सेंधा) नमक एकत्र कर आधी कटोरी पानी में दोनों समय के भोजन से पहले लें । इससे वात (वायु) एवं उपरोक्त लक्षण न्यून होने में सहायता मिलतीहै ।’
– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२४.२.२०२३)