भाजपा की महिला नेता अधिवक्ता लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी की मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ती के पद पर नियुक्ति

नियुक्ति के विरोध में याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दी !

नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ता लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी की मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तीपद पर नियुक्ति होने के विरोध में याचिका अस्विकृत कर दी है । गौरी ‘भाजपा महिला मोर्चा’ की महासचिव हैं । उनकी मद्रास ऊच्च न्यायालय में न्यायमूर्ती के पद पर नियुक्ति की तो न्यायपालिका की स्वंतत्रता संकट में पड जाएगी । उन्होंने इस्लाम का उल्लेख हरा आतंकवाद और इसाई समुदाय का उल्लेख सफेद आतंकवाद किया था । हमारा इस विधान पर आक्षेप है’, ऐसा दावा मद्रास उच्च न्यायालय के २२ अधिवक्ताओं के एक समूह ने किया था । इसपर सर्वाेच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि, ‘इसके पूर्व भी राजनैतिक पार्श्वभूमि वाले व्यक्तियों की न्यायमूर्ती के पद पर नियुक्ति हुई है ।’ केवळ २२ मिनट तक चली सुनवाई के उपरांत नयायलय को यह याचिका अस्वीकार करनी पडी । विशेष यह है कि सुनवाई जब आरंभ थी तब मद्रास उच्च न्यायालय में अधिवक्त्या लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी की शपथविधि हुई ।

सुनावाई के समय न्यायमूर्ती बी.आर्. गवई ने कहा कि, न्यायमूर्ती होने से पहले मेरी भी राजनैतिक पार्श्वभूमि थी । मैं २० वर्ष से न्यायधीश हूं; पर मैंने कभी भी मेरी राजनैतिक पार्श्वभूमि मेरे कर्तव्य के आडे नहीं आने दी ।