नई देहली – विश्वभर का ज्ञान नि:शुल्क उपलब्ध करवानेवाले ऑनलाइन स्रोतों की उपयोगिता मान्य है; किंतु कानूनी विवादों को सुलझाने के लिए ऐसे स्रोतों का उपयोग करते समय सावधान रहे, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय ने एक अभियोग की सुनवाई करते समय किया । केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, १९८५ की पहली अनुसूची के अंतर्गत आयात किया हुआ ‘ऑल इन वन इंटीग्रेटेड डेस्कटॉप कंप्यूटर’ के उचित वर्गीकरण से संबंधित एक अभियोग के निमित्त न्यायालय द्वारा यह प्रतिपादन किया गया ।
न्यायालय ने आगे कहा कि, ‘ विकिपीडिया’ जैसे ऑनलाइन स्त्रोत पर निर्भर रहना उचित नहीं है । भले ही ये स्रोत ज्ञान के कोष हैं तब भी वे विभिन्न लोगों द्वारा प्रदान की गई जानकारी एवं उपयोगकर्ताओं द्वारा संपादित की गई जानकारी पर निर्भर होते हैं । इसलिए सत्यता की दृष्टि से ऐसे ऑनलाइन स्रोतों पर पुर्णतः निर्भर रहना उचित नहीं है । ये स्रोत पथभ्रष्ट (गुमराह) कर सकते हैं । अधिवक्ता अधिक विश्वसनीय एवं प्रामाणिक (ईमानदार) स्रोतों पर निर्भर रहें, इसलिए न्यायालयों एवं न्यायिक अधिकारियों को प्रयास करना चाहिए ।