बिदर (कर्नाटक) में ५६२ वर्ष पुराने मदरसे में वृहत् जनसमूह द्वारा पूजा ।

  • मदरसे में वर्ष में दो बार की जाती है पूजा !

  • मुसलमानों ने किया विरोध !

बिदर (कर्नाटक) – ५६२ वर्ष पुराने महमूद गवान मदरसे में ६ अक्टूबर की रात्रि वृहत् जनसमूह द्वारा पूजा करने की घटना हुई । इस घटना के उपरांत वहां तनाव का वातावरण बन गया । मुसलमान संगठनों ने इस घटना की निंदा की है । घटना का वीडियो आजकल सामाजिक माध्यमों पर तीव्रगति से प्रसारित हो रहा है । इस मदरसे को वर्ष १४६० में बनाया गया था । यह वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नियंत्रण में है । यहां एक स्थान पर वर्ष में दो बार पूजा की अनुमति दी जाती है, किन्तु उसका विरोध किया जा रहा है क्योंकि उस जगह के बदले मदरसे में पूजा हो रही है । पूजा की घटना के उपरांत पुलिस ने ९ लोगों के विरुद्ध प्रकरण प्रविष्ट कर अब तक ४ लोगों को बंदी बनाया है साथ ही अन्य ५ लोगों का खोजा जा रहा है ।

१. पुलिस अधीक्षक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार निजाम के समय से ही दशहरे की पूजा करने की परंपरा है । मदरसा परिसर में एक मीनार है । वर्ष में दो बार २ से ४ लोग पूजा करने के लिए अंदर जाते हैं किन्तु इस बार अधिक  संख्या में लोग अंदर गए थे । किसी ने भी प्रवेश द्वार तोड़कर अवैध रूप से अंदर प्रवेश नहीं किया है । हमने प्रकरण प्रविष्ट कर लिया है ।

२. पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि हिन्दू सदा मदरसे के एक पेड़ के पास पूजा करते हैं  किन्तु इस बार वहां कोई पेड़ था ही नहीं । यदि वहां हिन्दू गए हैं, तो इसमें कोई नई बात नहीं है । हर विजयादशमी पर वे पूजा करने जाते हैं ।

असदुद्दीन ओवैसी द्वारा आलोचना

एम.आई.एम. अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की आलोचना की है । ओवैसी ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने घटना के लिए भीड़ को प्रोत्साहित किया ।

संपादकीय भूमिका

  • मुसलमानों को हिन्दुओं के मंदिर में इफ्तार निमंत्रण (दावत) करना साथ ही नमाज पढना कैसे स्वीकार है !
  • ध्यान दें कि जो लोग ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ की दवा का उपदेश सदा हिन्दुओं को पिलाते हैं, वे अब मुसलमानों के विरोध में एक शब्द का उच्चारण भी नहीं कर रहे हैं! (हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच कथित एकता निर्माण करनेवाली संस्कृति अर्थात ‘गंगा जमुनी तहजीब’ है । किंतु इसका पालन करने के लिए केवल हिन्दुओं पर दबाव डाला जाता है !)