सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले 

मंदिर का धन लूटनेवाले नेता !

‘भक्तों द्वारा भक्तिभाव से मंदिरों में अर्पण किए धन को मंदिरों का सरकारीकरण कर लूटनेवाले सर्वदलीय नेता, अर्थात माता-पिता की संपत्ति हडपकर उसे खर्च कर देनेवाले निकम्मे बच्चे !’

हिन्दुत्ववादियों की दयनीय वर्तमान स्थिति !

‘गायों की हत्या हो जाए, तो गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगों को उसका कुछ नहीं लगता और गंगा प्रदूषण रोकने के लिए कार्यरत लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, तो गोरक्षकों के ऊपर उसका कोई असर नहीं पडता ! जब प्रत्येक को ऐसा लगेगा कि ‘हिन्दुओं की सभी समस्याएं मेरी ही हैं, तभी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की दिशा में हिन्दुओं का मार्गक्रमण होगा ।’

पश्चिमी एवं हिन्दू संस्कृति में भेद !

‘पश्चिमी संस्कृति शिक्षा को प्रोत्साहित करनेवाली व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन करती है और दुख को निमंत्रण देती है, जबकि हिन्दू संस्कृति स्वेच्छा नष्ट कर सत्-चित्-आनंद अवस्था कैसे प्राप्त करें, यह सिखाती है ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले