पी.एफ.आई. के ३ लाख बैंक खातों में इस्लामी देशों से प्रतिवर्ष जमा किए जाते हैं ५०० करोड रुपए !

नई देहली – राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग के (‘एन.आई.ए.’ के) सूत्रों के अनुसार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को (‘पी.एफ.आई.’ को) प्रतिवर्ष सउदी अरब, कतर, कुवैत, संयुक्त अरब अमिरात और बहारिन, इन देशों से ५०० करोड रुपए मिलते हैं । यह पैसा पारिवारिक खर्चे के नाम पर अलग-अलग खातों में ‘वेस्टर्न यूनियन’ के द्वारा भेजा जाता है । इसके लिए पी.एफ.आई. के सदस्यों के १ लाख तथा उनके संबंधियों, साथ ही परिचित लोगों के २ लाख बैंक खातों का उपयोग किया जाता है । यह धनराशि प्रतिमाह अलग-अलग खातों से आती है । इतनी बडी धनराशि कहां खर्च की जाती है ?, इसकी एन.आई.ए. जांच कर रही है । अभी तक के अन्वेषण से यह ध्यान में आया है कि पी.एफ.आई. ये पैसे युवकों का बुद्धिभ्रम कर उन्हें इस्लामी कट्टरता सिखानेवाले संगठनों को देती है ।

प्रवर्तन निदेशालय ने (‘ईडी’ ने) इसी वर्ष जून में आर्थिक अनियमितताओं का अपराध प्रविष्ट कर पी.एफ.आई. तथा उसके सहयोगी संगठन ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ के ३३ बैंक खाते सील किए हैं । उनके खातों में क्रमशः ६० करोड और ५८ करोड रुपए जमा किए गए थे । इस कार्यवाही से बचने के लिए यह धनराशि खातों से निकाली गई और ‘ईडी’ की कार्यवाही के समय इन खातों में केवल ६८ लाख रुपए ही शेष थे ।

मुसलमानों तथा सरकारी नीति के विरुद्ध चलाए जानेवाले आंदोलनों पर किया गया खर्चा !

पी.एफ.आई. मुसलमानों और सरकारी नीतियों के विरुद्ध चलाए जानेवाले आंदोलन पर बडा खर्चा करती है । इसमें मुसलमान कैदियों की कानूनी सहायता भी की जाती है । पी.एफ.आई.ने इसके लिए ‘सोशलिस्ट डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ इंडिया’, ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ जैसे संगठनों की स्थापना की है ।

गुप्तचर संस्था के एक अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पी.एफ.आई. संगठन प्रतिबंधित संगठन ‘सिमी’ द्वारा चलाई जानेवाली गतिविधियों की पुनरावृत्ति कर रही है । सिमी के कार्यकर्ता अब पी.एफ.आई. में सक्रिय हैं ।

पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना !

पी.एफ.आई. विदेशों से प्राप्त होनेवाले पैसों का उपयोग आतंकी गतिविधियों के लिए कर रहा था , यह प्रमाणित हुआ; तो उस पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना है । अनेक राज्यों के गुप्तचर संस्थाओं ने पी.एफ.आई. को संदिग्ध प्रमाणित किया है । झारखंड सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाए गए थे; परंतु उसके उपरांत उच्च न्यायालय ने उन्हें हटा दिया था । (१.८.२०२२)

संपादकीय भूमिका

  • इस प्रकरण में व्यापक जांच कर दोषियों पर तत्काल कार्यवाही करना आवश्यक !
  • एक इस्लामी संगठन को यदि इतने पैसे मिलते होंगे, तो अन्य इस्लामी संगठन, मदरसों और मस्जिदों को कितने पैसे मिलते होंगे, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती !