मुसलमान संगठनों के विरोध के पश्चात मंगलुरू विश्वविद्यालय में भारतमाता का पूजन निरस्त !

यदि महाविद्यालयों में हिजाब प्रतिबंधित है, तो पूजा कैसे की जा सकती है ? – मुसलमान संगठनों का प्रश्न

मंगलुरू (कर्नाटक) – यहां मंगलुरू विश्वविद्यालय में ११ अगस्त को नियोजित भारतमाता की पूजा निरस्त कर दी गई है । जिहादी संगठन ‘पाप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (‘पी.एफ.आइ.’) की विद्यार्थी शाखा ‘कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (‘सी.एफ.आइ.’) ने इसका विरोध किया । इसलिए यह पूजा निरस्त की गई । विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संगठन ने इस पूजा के संदर्भ में भित्तीपत्रक लगाया था । उसमें भारतमाता के हाथ में तिरंगे के स्थान पर भगवा ध्वज दिखाया गया था । इसका विरोध किया गया । इस पूजा का आयोजन करनेवाले ‘विश्वविद्यालय स्टुडेंट युनियन’ के अध्यक्ष धीरज सपलिगा का कहना है कि वर्ष २०१४ से इस प्रकार की पूजा का आयोजन किया जा रहा है ।

१. सी.एफ.आइ. और सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एस.डी.पी.आइ.) से संबंधित छात्रों ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पूजा का कार्यक्रम निरस्त करने के विषय में निवेदन दिया । उनका कहना था कि भारतमाता के हाथ में तिरंगा होना चाहिए, न कि भगवा ध्वज ! क्योंकि यह कार्यक्रम धार्मिक है तथा भित्तीपत्रक पर लगा भारत का मानचित्र (नक्शा) भी मूल स्वरूप में नहीं है ।

२. एस.डी.पी.आइ. के कर्नाटक राज्य के प्रसारमाध्यम प्रमुख रियाज कदम्बु ने प्रश्न उठाया था कि यदि महाविद्यालयों में हिजाब (मुसलमान महिलाओं का सर एवं गर्दन ढंकने का वस्त्र) प्रतिबंधित है, तो पूजा कैसे की जा सकती है ?

३. दक्षिण कन्नड जिले के सी.एफ.आइ. के अध्यक्ष ताजुद्दीन ने कहा कि भारतमाता की पूजा हिन्दू संस्कृति के अनुसार की जाएगी । क्योंकि ‘हर घर तिरंगा’ के नाम पर भारतमाता की महिमा का गान करने का उत्सव मनाया जा रहा है ? हमारी मांग है कि सरकारी महाविद्यालयों में हाथ में भगवा ध्वज धारण की हुई भारतमाता की पूजा करने का धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करनेवालों पर कार्रवाई की जाए ।

संपादकीय भूमिका

हिजाब धार्मिक, जबकि भारतमाता राष्ट्रीय अस्मिता का विषय है । यदि कोई उनकी पूजा करता हो, तो इसमें अनुचित क्या है ? जो व्यक्ति भारतमाता को ही न मानता हो, वही इस प्रकार का विरोध करते हैं ! विश्वविद्यालय इस प्रकार के विरोध की बलि न चढें !