१३ नए महाविद्यालय प्रारंभ करने के लिए आवेदन
बेंगलुरु : कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले हिजाब विवाद को हवा देने का प्रयत्न किया जा रहा है। राज्य के दक्षिणीवर्ती जिलों के मुस्लिम संगठनों ने राज्य में १३ नए निजी महाविद्यालय खोलने के लिए आवेदन किया है । इन महाविद्यालयों में हिजाब पर प्रतिबंध नहीं होगा । राज्य के सभी सरकारी शिक्षा संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध है ।
First in Karnataka: Mysuru college cancels uniform rule to allow hijabs
A historical private college in Mysuru city cancelled its uniform rule on Friday to allow Muslim students to attend classes with the hijab.https://t.co/0pp8es3Hqp
— The Times Of India (@timesofindia) February 19, 2022
कर्नाटक में पिछली कांग्रेस सरकार ने सरकारी शिक्षा संस्थानों के लिए गणवेश अनिवार्य कर दिया था । निजी विद्यालयों को गणवेश निश्चित करने की स्वतंत्रता है । यद्यपि अब सरकारी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में धार्मिक प्रतीकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, किन्तु यह निजी शिक्षण संस्थानों पर निर्भर है कि वे हिजाब की अनुमति दें या नहीं । इसलिए मुस्लिम संगठनों ने अपने महाविद्यालय खोलने का निर्णय किया है ।
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले ५ वर्षों में मुसलमान संगठनों की ओर से महाविद्यालय प्रारंभ करने के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया । यदि आवेदक महाविद्यालय प्रारंभ करने के सभी मानदंडों को पूरा करते हैं, तो उन्हें अनुमति दी जा सकती है ।
क्या था हिजाब विवाद ?जनवरी २०२२ में हिजाब परिधान करने के फलस्वरूप ६ छात्राओं को उडुपी के एक महाविद्यालय में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था । इसके उपरांत जिहादी आतंकवादी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ की छात्र शाखा ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ ने पूरे राज्य में विवाद को धार्मिक संघर्ष का स्वरूप दे दिया । कुछ मुसमलमान छात्राऒ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक याचिका प्रविष्ट कर उन्हें हिजाब परिधान करने की अनुमति देने की मांग की थी । फरवरी २०२२ में न्यायालय ने छात्राऒ की मांग को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया । कहा गया कि इसके विरोध में कई मुस्लिम छात्राएं विद्यालय की परीक्षा में सम्मिलित नहीं हुई । ‘मुसलमान लड़कियों का विद्यालय में न जाना’ और ‘बिना हिजाब के परीक्षा देने से नकार ‘यह भी इस आंदोलन के बिंदु थे । |
संपादकीय भूमिकापिछले ७५ वर्षों में सभी दलों के शासकों ने मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने के लिए तुष्टीकरण द्वारा कई प्रयास किए किन्तु दिखाई यही देता है कि ‘किसी की पूंछ यदि टेढ़ी होती है, तो वह टेढ़ी ही रहती है’ ! |