‘मदरसा’ शब्द का अस्तित्व अब समाप्त होना चाहिए ! – असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

नई दिल्ली – ‘मदरसा’ शब्द का अस्तित्व अब समाप्त होना चाहिए, ऐसा विधान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में किया । सभी विद्यालयों में सामान्य शिक्षा पर जोर देना चाहिए, ऐसा भी उन्होंने कहा ।

सरमा ने आगे कहा, ‘‘जब तक ‘मदरसा’ शब्द रहेगा, तब तक विद्यार्थी डॉक्टर, अभियंता आदि बनने का विचार भी नहीं कर सकते । मुसलमानों को अपने बच्चों को कुरान पढानी चाहिए; परंतु अपने घर पर । विद्यार्थियों को मदरसों में भर्ती करना, यह उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है । विद्यार्थियों में विज्ञान, गणित, जैव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान आदि सीखने की ललक होनी चाहिए । मदरसों में पढनेवाले विद्यार्थी बहुत होशियार हैं । उन्हें कुरान का प्रत्येक शब्द कंठस्थ होता है । भारत के सभी मुसलमान पहले हिन्दू ही थे । एक भी मुसलमान भारत में जन्मा नहीं है । भारत में प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू ही था । इसलिए मुसलमान विद्यार्थी यदि होशियार होंगे, तो मैं कुछ मात्रा में इसका श्रेय उनके हिन्दू पूर्वजों को दूंगा ।’’

वर्ष २०२० में असम सरकार ने धर्मनिरपेक्ष शिक्षा व्यवस्था को लागू कर एक वर्ष में राज्य के सभी सरकारी मदरसे बंद कर उनका रूपांतर सामान्य शिक्षा संस्थाओं में करने का निर्णय लिया । गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी असम सरकार के इस निर्णय को जारी रखा है ।

संपादकीय भूमिका

भाजपा शासित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी ऐसी ठोस भूमिका लेकर सच्चे अर्थ से विकास करना चाहिए !