देहली के जसोला में हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा का आयोजन
देहली – ‘‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना विश्व के कल्याण के लिए है । अनिष्ट विचारों से अच्छे विचारों की ओर अग्रसर होने का अर्थ ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की ओर जाना है ! अतः जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे समाज को अच्छे कार्य की ओर जाने से वंचित रख रहे हैं, इसे हमें समझ लेना होगा’’; ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति और समस्त जसोला ग्रामवासियों की ओर से आयोजित हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा में मार्गदर्शन करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे । जसोला विहार के दुर्गामाता मंदिर के बारातघर नाम के सभागार में यह सभा संपन्न हुई । इस सभा में सनातन संस्था की प्रवक्ता कु. कृतिका खत्री ने भी संबोधित किया । इस सभा को धर्मप्रेमियों का अच्छा प्रत्युत्तर प्राप्त हुआ ।
सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने आगे कहा कि
१. भारत में हिन्दुओं को असहिष्णु कहा जाता है । मोहम्मद अली जिन्नाह ने धर्म के आधार पर अलग पाकिस्तान की मांग की, उसके अनुसार मुसलमानों को इस्लामी राष्ट्र मिला, तो हिन्दुओं के भारत को धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) घोषित किया गया । तब भी हिन्दू ही असहिष्णु कैसे हो सकते हैं ? गोहत्या रोकने का कार्य करनेवाले गोरक्षकों की हत्या की जाती है, तो तब भी हिन्दू असहिष्णु कैसे हुए ?
२. इस्लामिक राष्ट्रों का लक्ष्य ‘विश्व को इस्लामी बनाना’ है, तो ईसाई लोग पोप के आदेश पर ‘संपूर्ण विश्व को ईसाई’ बनाने का प्रयास कर रहे हैं । विश्व में १५० से अधिक ईसाई, ५२ इस्लामी, १२ बौद्ध और ८० लाख यहूदियों का स्वतंत्र इजरायल राष्ट्र है; परंतु समस्त विश्व में १३० करोड हिन्दुओं का एक भी हिन्दू राष्ट्र नहीं है; इसलिए हमें भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने में प्रधानता लेनी चाहिए ।
३. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जो अधिकार किसी एक समुदाय को दिए जाते हैं, उन सभी अधिकारों से हिन्दुओं को वंचित रखा जा रहा है ।
जहां विदेशी लोग हिन्दू धर्म का आचरण करने लगे हैं, वहीं हिन्दू अपने धर्म से दूर होते जा रहे हैं ! – कु. – कृतिका खत्री, प्रवक्ता, सनातन संस्था
हिन्दुओं ने अन्य पंथों का सम्मान करते हुए धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का स्वीकार किया; परंतु विगत ७४ वर्षाें में इसी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं को धार्मिक शिक्षा, प्रथाओं, परंपराओं और संस्कृति से वंचित रखा गया । हिन्दुओं को कहीं से भी धर्मशिक्षा लेने का अवसर नहीं मिलने दिया । उसके कारण हिन्दू समाज अपने धर्म से दूर होता चला गया । इसके फलस्वरूप हिन्दू लडकियां बडी संख्या में ‘लव जिहाद’ की बलि चढ रही हैं । इसे रोकने हेतु हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देना अनिवार्य बन गया है । आज हिन्दुओं को अपने माथे पर तिलक लगाने में लज्जा प्रतीत होती है; परंतु गले में टाई लटकाने में गर्व प्रतीत होता है । हिन्दू धर्म में दीप बुझाने की नहीं, अपितु दीप प्रज्वलित करने की परंपरा है; परंतु वे जन्मदिन मनाते समय मोमबत्तियां बुझाते हैं । हिन्दू नववर्षारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाने के स्थान पर ३१ दिसंबर को रात्रिभोज आयोजित कर मनाते हैं । इस प्रकार से हिन्दू समाज पश्चिमियों की संस्कृति आत्मसात कर रहे हैं और इसके विपरीत विदेशी लोग हिन्दू धर्म के अनुसार आचरण करने लगे हैं ।
क्षणिकाएं१. इस सभा में भाजपा के स्थानीय पार्षद श्री. मनोष चौधरी उपस्थित थे । २. सभा के उपरांत हुई बैठक में ३० धर्मप्रेमी उपस्थित थे । इन सभी ने हिन्दू-संगठन के लिए प्रयास करना सुनिश्चित किया, साथ ही प्रति मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ संपन्न होने के उपरांत धर्मशिक्षावर्ग में उपस्थित रहने की तैयारी दर्शाई । |