न्यायालय के समक्ष उपस्थित प्रश्न तथा मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी द्वारा दिए उत्तर !
१. हिजाब पहनना, धारा 25 के अंतर्गत इस्लाम धर्म में अनिवार्य है अथवा नहीं ?
उत्तर : मुसलमान महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लामी श्रद्धा की अत्यावश्यक प्रथा नहीं है ।
२. शालेय गणवेश की अनिवार्यता अधिकारों का उल्लंघन है क्या ?
उत्तर : शालेय गणवेश की अनिवार्यता, एक उपयुक्त बंधन है तथा संवैधानिक दृष्टि से उचित है । इस पर विद्यार्थी आक्षेप नहीं उठा सकते ।
३. ५ फरवरी २०२२ का हिजाब बंदी का अंतरिम आदेश अनुच्छेद १४ एवं १४ का उल्लंघन करता है अथवा नहीं ?
उत्तर : ५ फरवरी २०२२ का आदेश जारी करने का अधिकार शासन को है, वह अवैध नहीं ।
४. महाविद्यालय के अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासन भंग की जांच करने की स्थिति तक कोई भी प्रकरण पहुंचा है क्या ?
उत्तर : प्रतिवादियों के विरुद्ध अनुशासन भंग की कार्यवाही करने की स्थिति तक कोई भी प्रकरण नहीं है ।
चेन्नई में विद्यार्थियों द्वारा विरोध
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के ‘न्यू कॉलेज’ में कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय के विरोध में प्रदर्शन किए गए । कुछ विद्यार्थियों ने महाविद्यालय के बाहर निकल कर विरोध किया । (न्यायालय के निर्णय का विरोध करनेवाले कानूनद्रोही विद्यार्थियों पर कार्यवाही की जाए ! – संपादक)
न्यायालय के निर्णय के उपरांत सुरपुरा (कर्नाटक) महाविद्यालय की मुसलमान छात्राओं द्वारा महाविद्यालय का बहिष्कार !
कर्नाटक के सुरपुरा तहसील के पीयू महाविद्यालय की मुसलमान छात्राओं ने कक्षा का बहिष्कार किया । यहां परीक्षा थी, परंतु छात्राओं ने उसका बहिष्कार किया । छात्राओं ने कहा, ‘हम अभिभावकों से चर्चा करेंगे और आगे महाविद्यालय में आने के विषय में निर्णय लेंगे । हम हिजाब पहनकर ही परीक्षा देंगे । यदि हमें हिजाब निकालने के लिए बाध्य किया गया, तो हम परीक्षा नहीं देंगे । (ऐसे लोगों से कोई सहानुभूति ना रखें । यदि वे परीक्षा में नहीं बैठे, तो उन्हें महाविद्यालय प्रबंधन अनुत्तीर्ण करें । -संपादक)
सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे !
इस प्रकरण में छात्राओं के अधिवक्ता अनस तनवीर ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है । हिजाब पहनने का अधिकार चुनकर ये लडकियां अपनी शिक्षा जारी रखेंगी । इन लडकियों ने ‘न्यायालय एवं संविधान से आशा नहीं छोडी है’, ऐसा अधिवक्ता तनवीर ने कहा ।
न्यायालय का निर्णय निराशाजनक ! – महबूबा मुफ्ती
कश्मीर की ‘पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी)’ की प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करके कहा है कि हिजाबबंदी जारी रखने का कर्नाटक उच्च न्यायालय का निर्णय अत्यंत निराशाजनक है । एक ओर हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें करते हैं और दूसरी ओर सरल विकल्प का अधिकार नहीं देते । यह केवल धर्म का नहीं; अपितु चुनाव की स्वतंत्रता का विषय है ।’ (हिजाब पहनकर मुसलमान महिलाएं कैसे सशक्त होंगी ?, इसका उत्तर सबसे पहले मुफ्ती दें ! कर्नाटक के हिजाब प्रकरण के उपरांत भारत की मुसलमान महिलाएं बडी संख्या में हिजाब पहनने लगी हैं । यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता नहीं; अपितु धर्मांधता है ! – संपादक)
‘न्यायालय ने मूलभूत अधिकार नहीं दिया !’- उमर अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय से अत्यंत निराश हूं । आप हिजाब के विषय में क्या विचार करते हैं ? यह केवल कपडों का विषय नहीं है । कैसे कपडे पहनना है, यह स्त्री का अधिकार है । (धर्मांध कट्टरतावादियों के विरोध के कारण कश्मीर में अनेक मुसलमान लडकियों को खेल अथवा गायन आदि में सम्मिलित नहीं होने दिया जाता अथवा अपनी रुचियों को पूरा नहीं करने दिया जाता, तब अब्दुल्ला को स्त्रियों के अधिकारों का स्मरण नहीं होता क्या ? – संपादक)
‘कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय से मैं असहमत हूं !’ – असदुद्दीन ओवैसी
एम आई एम के अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मैं इस निर्णय से असहमत हूं । निर्णय से असहमत होना, मेरा अधिकार है । यह निर्णय संविधान की धार्मिक स्वतंत्रता के विरोध में है । (उच्च न्यायालय ने स्वयं की इच्छा के विरुद्ध निर्णय दिया, तो ओवैसी को संविधान का स्मरण होता है, यह ध्यान में रखें ! – संपादक)