‘उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड’ के भूतपूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अपनाया हिन्दू धर्म !

‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी’ होगा नया नाम !

वसीम रिजवी : हो गये अब ‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी !’

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के भूतपूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने यहां डासना देवी मंदिर स्थित पुराने अखाडे के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरी सरस्वती की उपस्थिति में हिन्दू धर्म में प्रवेश किया। नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्हें सनातन धर्म में दीक्षित किया तथा उसके पश्चात, रिजवी का नाम परिवर्तित कर ‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी’ रखा। इस समय वसीम रिजवी का शुद्धीकरण किया गया। साथ ही, हवन एवं यज्ञ भी किए गए।

(सौजन्य : DO Politics)

मुझे ‘मुसलमान’ के रूप में रहने पर लज्जा आती थी ! – जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्वाश्रम के वसीम रिजवी)

हिन्दू धर्म स्वीकार करने के पश्चात जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने कहा कि, “यहां धर्मांतरण का कोई सूत्र नहीं है। मेरे सामने यह प्रश्न था कि, इस्लाम से निकाल दिए जाने के पश्चात मैं कौन से धर्म स्वीकार करुं ? सनातन, विश्व का प्रथम धर्म है एवं यहां जितनी अच्छी बातें हैं, उतनी अन्य किसी भी धर्म में नहीं है। ‘जुम्मा’ (शुक्रवार) के दिन नमाज पठन के पश्चात, मुझे मारने के लिए पुरस्कारों की घोषणा की गई। सिर काटने का फतवा निकाला गया। ऐसी स्थिति में मुझे ‘मुसलमान’ होने पर लज्जा आती थी !”

केंद्र सरकार जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को सुरक्षा प्रदान करें ! – अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का सनातन धर्म में स्वागत किया एवं कहा कि उनका निर्णय उचित है। उन्होंने कहा कि, “वसीम रिजवी अब ‘हिन्दू’ हो गए हैं तथा किसी को भी उनके विरुद्ध फतवा निकालने का साहस नहीं करना चाहिए !” उन्होंने मांग की है कि, केंद्र सरकार को उन्हें उचित सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।

मुसलमानोंद्वारा जान से मारने का फतवा निकालने के कारण, रिजवी ने हिन्दू पद्धति से अग्नि देकर अंतिम संस्कार करने के संबंध में सिद्ध किया था इच्छापत्र !

वसीम रिजवी ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका प्रविष्ट कर कुरान से २६ आयतें हटाने की मांग की थी ; परंतु, न्यायालय ने इसे अस्वीकार कर दिया था। तदुपरांत, बरेली के ‘अखिल भारतीय फैजान-ए-मदीना परिषद’ ने एक फतवा निकाला था जिसमें कहा गया था कि, “जो कोई भी वसीम रिजवी का सिर काट देगा, उसे १० लाख रुपए दिए जाएंगे तथा ‘हज’ की विनाशुल्क यात्रा की जाएगी !” मुसलमान संगठनों के अनुसार, “रिजवी का इस्लाम अथवा शिया समुदाय से कुछ भी संबंध नहीं है !” इसके पश्चात, रिजवी ने धर्म परिवर्तन करने का निर्णय किया। उन्होंने अपने इच्छापत्र में लिखा था कि, ‘मेरी मृत्यु के पश्चात मुझे दफन ना करें, मुझ पर हिन्दू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किए जाएं। कुछ लोग मुझे मारना चाहते हैं। मुसलमान मुझे कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं देंगे। ऐसी स्थिति में, मुझे किसी भी कब्रिस्तान में ना दफनाए, अपितु मेरे शरीर को अग्नि देकर अंतिम संस्कार कर दिया जाए। महंत नरसिंहानंदद्वारा मेरी चिता पर अंतिम संस्कार किए जाए !”

१. वसीम रिजवी इससे पूर्व वर्ष २००० में लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) के कश्मीरी क्षेत्र से समाजवादी दल के टिकट पर पार्षद चुने गए थे। तत्पश्चात, २००८ में वे ‘शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड’ के सदस्य बने ; परंतु, मौलवी (इस्लाम के धार्मिक नेता ) कल्बे जावेद के साथ हुए विवाद के कारण, रिजवी को २०१२ में समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

२. वसीम रिजवी पर वित्तीय घोटाले का आरोप लगाया गया था। घोटाले का प्रकरण न्यायालय में भी गया था ; परंतु, इस प्रकरण में उन्हें निर्दोष मुक्त कर दिया गया था।

३. वर्ष २०१८ में, रिजवी ने बडा आरोप भी लगाया था कि, ‘मदरसों में समलैंगिक संबंध बढते हैं !’ इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मदरसों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी। उन्होंने मदरसों पर आतंकवाद भडकाने का भी आरोप लगाया था।