‘बॉलीवुड का हिन्दूद्वेष’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद !
रामनाथी (गोवा) – ‘‘भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ । मुसलमानों को तो पाकिस्तान ‘इस्लामी राष्ट्र’ के रूप में मिला; परंतु कांग्रेस की तुच्छ राजनीति के कारण भारत हिन्दुओं का न होते हुए ‘सेक्युलर’ देश बनाया गया । इसके अनेक दूरगामी परिणाम हुए । इसमें से एक है कि बॉलीवुड के कुछ लोग जानबूझकर हिन्दू धर्म के विरोध में कृतियां कर रहे हैं । हिन्दू धर्म के विरोध में बोल रहे हैं । जब भारत देश ‘हिन्दू राष्ट्र’ होगा, तब ये लोग हिन्दू धर्म के विरोध में बोलने का साहस नहीं करेंगे । इस्लाम के विरोध में कुछ भी होने पर लोग रास्ते पर उतरते हैं । वैसा ही हिन्दुओं को करना चाहिए ।’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दुत्वनिष्ठ अभिनेता श्री. शरद पोंक्षे ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा २५ सितंबर को ‘बॉलीवुड का हिन्दूद्वेष !’ विषय पर आयोजित ‘ऑनलाइन संवाद’ में वे बोल रहे थे ।
हिन्दू विधिज्ञ परिषद की देहली स्थित अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया । यह ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रम ३ हजार २६१ लोगों ने देखा ।
चलचित्रों की नियमावली के संदर्भ में केंद्रीय चलचित्र परिनिरीक्षण बोर्ड को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता ! – सतीश कल्याणकर, पूर्व सदस्य, केंद्रीय चलचित्र परिनिरीक्षण बोर्ड
१. चलचित्रों द्वारा व्यापक स्तर पर प्रबोधन किया जाता है, इसलिए सेन्सर बोर्ड की जिम्मेदारी भी अधिक है । वर्तमान में चलचित्रों को सभी प्रकार की (नियमों का पालन न करते हुए) अनुमति दिए जाने के कारण निर्माताओं द्वारा नियमों का पालन न कर चलचित्र बनाए जा रहे हैं । इसलिए चलचित्रों की नियमावली के संदर्भ में केंद्रीय चलचित्र परिनिरीक्षण बोर्ड को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है ।
२. सबसे बडी शोकांतिका अर्थात मुझे तमिल भाषा नहीं आती, तब भी मुझे एक तमिल चलचित्र ‘सेन्सर’ करने का आग्रह ‘केंद्रीय चलचित्र परिनिरीक्षण बोर्ड’ के अधिकारियों ने किया । मेरे मना करने पर उन्होंने कहा, ‘केवल दृश्य (सीन) देखकर सेन्सर करें ।’ संक्षेप में सेन्सर बोर्ड को हास्यास्पद बना दिया गया है ।
‘बॉलीवुड’ जानबूझकर हिन्दू धर्म को निशाना बनाता है ! – रमेश सोलंकी, हिन्दू आइटी सेल
बॉलीवुड में निवेशित सारा पैसा अपराध जगत का है । इसीलिए जानबूझकर हिन्दू धर्म को निशाना बनानेवाले चलचित्र एवं वेबसीरीज बनाई जा रही हैं । इस माध्यम से हजारों करोड रुपए का काला धन सफेद किया जा रहा है । ‘रावण-लीला’ चलचित्र और ‘कन्यादान’ जैसे विज्ञापन बनानेवाले अन्य पंथियों के ‘हलाला’, ‘कन्फेशन’ (पाप स्वीकार करना), इन पद्धतियों द्वारा होनेवाले बलात्कारों पर चलचित्र क्यों नहीं बनाते ? (हलाला अर्थात पहले पति द्वारा तलाक दिए जाने पर पुन: उसी से विवाह करना हो, तो महिला को अन्य किसी से विवाह कर उससे शारीरिक संबंध स्थापित कर तदुपरांत उसके द्वारा तलाक देने पर प्रथम पति से विवाह करने की प्रथा)
चलचित्र-धारावाहिकों द्वारा हिन्दू धर्म, संस्कृति और कुटुंबव्यवस्था पर आघात करनेवालों को कारागृह में भेजना चाहिए ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति
१. आज केवल ‘रावण-लीला’ जैसे चलचित्र ही नहीं, अपितु मराठी-हिन्दी भाषा के ४८ से अधिक धारावाहिकों द्वारा हिन्दू धर्म, संस्कृति, कुटुंबव्यवस्था पर आक्रमण किया जा रहा है । ऐसे निर्माताओं को कारागृह में डालना चाहिए । तब ही अन्यों को सीख मिलेगी ।
२. ‘गदर’ नामक चलचित्र में अभिनेत्री का नाम ‘सकिना’ और दूसरे चलचित्र में जॉनी लिवर के ‘अब्दुल्ला’ नाम पर आपत्ति उठाई जाने पर तत्काल नाम बदल दिए गए । इसी प्रकार हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं के प्रति सेन्सर बोर्ड संवेदनशील क्यों नहीं है ?
३. इसीलिए हम (हिन्दुत्वनिष्ठ) ‘केंद्रीय चलचित्र परिनिरिक्षण बोर्ड में एक धार्मिक प्रतिनिधि नियुक्त किया जाए’, ऐसी मांग गत अनेक वर्षाें से कर रहे हैं ।