आगामी आपातकाल में सहायता का वरदान प्रमाणित होनेवाली सनातन की महत्त्वपूर्ण ग्रंथसंपदा !

पू. संदीप आळशी

     ‘संतों की भविष्यवाणी है कि ‘आगामी तीसरे विश्वयुद्ध में करोडों लोगों की परमाणु बम के संहार के कारण मृत्यु हो जाएगी ।’ भावी काल में भीषण प्राकृतिक आपदाएं भी आएंगी । इस आपातकाल का सामना करने की तैयारी स्वरूप सनातन संस्था ने ‘आपातकाल में संजीवनी सिद्ध होनेवाली ग्रंथमाला’ बनाई है । इस ग्रंथमाला से सीखी हुई उपचार-पद्धतियां केवल आपातकाल की दृष्टि से ही नहीं, अपितु अन्य समय भी उपयुक्त हैं; क्योंकि वे मनुष्य को स्वयंपूर्ण और कुछ मात्रा में परिपूर्ण भी बनाती हैं । ग्रंथमाला का आप भी लाभ उठा सकते हैं । इस ग्रंथमाला से संबंधित कुछ विवेचन यहां दिया है ।

१. अग्निशमन, प्राथमिक उपचार एवं आपातकालीन सहायता प्रशिक्षण देनेवाले ग्रंथ

     इन विषयों का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य हो गया है; क्योंकि इसके कारण ही हम जीवित रह सकते हैं और धन की होनेवाली अपरिमित हानि रोक सकते हैं ।

२. बिंदुदाब उपचार से संबंधित ग्रंथ

     शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर दाब देने से शरीर की चेतनाशक्ति के प्रवाह की बाधाएं दूर होकर विविध शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कष्टों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं ।

३. ग्रंथमाला ‘व्याधियों के निराकरण के लिए विविध उपचार-पद्धतियां’

     इनमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कष्टों पर उपयुक्त विविध उपचार-पद्धतियां दी हैं । पाठक को प्रत्येक व्याधि पर उपयुक्त घरेलू आयुर्वेदीय उपचार, आसन, प्राणायाम, मुद्रा-उपचार, देवताओं के नामजप, मंत्रोपचार आदि उपचार-पद्धतियों के संबंध में एक ही स्थान पर जानकारी मिलेगी । इस ग्रंथमाला की कुछ उपचार-पद्धतियों का संक्षेप में तर्कपूर्ण विवेचन आगे दिया है ।

३ अ. घरेलू आयुर्वेदीय उपचार : इस ग्रंथमाला में विविध विकारों पर बाजार में मिलनेवाली औषधियां बताई गई हैं तथा इसके साथ ही आंगन में सहजता से लगाई जानेवाली औषधीय वनस्पतियां, आहार-उपचार और पथ्य-अपथ्य बताया है । आगामी आपातकाल में औैषधीय वनस्पतियां उपलब्ध होने के लिए अभी से उनका रोपण घर के आंगन अथवा परिसर में करना आवश्यक है । यह विषय अनेकों तक पहुंचाकर उन्हें भी इस संदर्भ में सक्रिय बनाएं ।

३ आ. सरल व्यायाम के प्रकार, योगासन, बंध, प्राणायाम और शुद्धिक्रिया (षट्क्रिया) : विविध शारीरिक, मानसिक तथा मनोकायिक विकारों पर योगोपचार पद्धति से उपचार कैसे करना चाहिए, इसका विवेचन इस ग्रंथ में किया है ।

३ इ. मुद्रा-उपचार : हाथ की उंगलियों की विशिष्ट मुद्रा के कारण मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कष्टों का निराकरण होने में सहायता मिलती है ।

३ ई. देवताओं के नामजप और बीजमंत्र तथा पुराणोक्त एवं वेदोक्त मंत्र : शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कष्टों के निराकरण के लिए नामजप और मंत्रजप दिए हैं । साथ ही उत्तम स्वास्थ्य मिलने और भविष्य में आनेवाले संकट रोकने के लिए भी मंत्र दिए हैं ।

३ उ. ‘अग्निहोत्र’ से संबंधित ग्रंथ : आगामी तीसरे विश्वयुद्ध में परमाणु अस्त्रों से प्रक्षेपित किरणोत्सर्ग का प्रभाव नष्ट कर सकनेवाले सरल और कम समय में होनेवाले यज्ञ ‘अग्निहोत्र’ की जानकारी इस ग्रंथ में दी गई है ।

४. सम्मोहन उपचार से संबंधित ग्रंथ

     अनेक लोगों को निरर्थक विचार करना, निराशा, व्यसनाधीनता आदि मानसिक समस्याएं होती हैं । तुतलाना, दमा, यौन समस्याओं जैसी शारीरिक समस्याओं के पीछे भी अनेक बार मानसिक कारण ही होता है । इन समस्याओं पर सम्मोहन उपचार करने से वे ठीक होने में सहायता मिलती है ।

– (पू.) श्री. संदीप आळशी, सनातन आश्रम, गोवा.