केंद्र शासन का अभिनंदनीय निर्णय !
अब प्रत्येक राज्य के पाठ्यक्रम में भी इस प्रकार का परिवर्तन करने के लिए भाजपा शासित राज्यों में भी प्रयास होने चाहिए, ऐसा हिन्दुओं को लगता है !
नई दिल्ली – इतिहास के पाठ्यक्रम का नया अभ्यासक्रम विश्व विद्यालय अनुदान आयोग अर्थात ‘यूजीसी’ ने तैयार किया है । इसमें भारत पर आक्रमण करनेवाले और यहां के अनेक स्थानों को उद्ध्वस्त करनेवाले मुसलमान आक्रमणकारियों के स्थान पर भारतीय राज्यकर्ताओं के विशेष काम और उनके गौरवशाली इतिहास पर अधिक प्रकाश डाला जाएगा । ‘हिस्ट्री ऑफ इंडिया (वर्ष १२०६ से १७०७)’ अंतर्गत बताए जानेवाले इतिहास में अब मुगलों के स्थान पर उनके विरोध में लडनेवाले महाराणा प्रताप और हेमू विक्रमादित्य आदि हिन्दू राजाओं का पराक्रम राज्यकर्ताओं को बताया जाएगा ।
सूत्रों द्वारा दी जानकारी के अनुसार ‘आइडिया ऑफ भारत’ में भारत के राजनीतिक सूत्रों के स्थान पर नए पाठ्यक्रम में धार्मिक विषयों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है । ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की संकल्पना पर नया प्रस्तावित पाठ्यक्रम होगा । इस माध्यम से डिग्री के पहले विद्यार्थियों को धर्म के विषय में ज्ञान देने का प्रयास किया जाएगा । प्राचीन भारत का विज्ञान और तंत्रज्ञान के संबंध में जानकारी भी इस पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की संभावना है । ‘वैदिक काल में भारत कैसा था ?’, साथ ही वेद और उपनिषद की जानकारी विद्यार्थियों को देने की दृष्टि से पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया जाएगा । (१६.७.२०२१)
‘इतिहास को धार्मिक और जातीयवाद के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है !’ – कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत की अनावश्यक टिप्पणी
जिस कांग्रेस को मुगल, टीपू सुलतान के विषय में प्रेम है और स्वयं को उनका वंशज मानते हैं, उस कांग्रेस को हिन्दू राजाओं का इतिहास सिखाया जाना और हिन्दू धर्म का इतिहास सिखाया जाना गलत ही लगेगा !
कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस विषय पर ट्वीट कर टिप्पणी की है । उन्होंने कहा है कि इतिहास को धार्मिक और जातिवाद के दृष्टिकोण से देखनेवाली मोदी सरकार भारत की कभी भी न भरपाई कर पानेवाली हानि कर रही है । रा.स्व. संघ के विचारों से प्रेरित राजनीतिक लाभ के लिए शिक्षा क्षेत्र का विकृतीकरण करना नई पीढी के लिए घातक है । कांग्रेस ने देश बनाया, सहिष्णु वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिया । भाजपा देश का चेहरा बिगाड रही है । (१६ जुलाई २०२१)