पितृपक्ष के उपलक्ष्य में श्राद्धविधि और तर्पण विधि के विषय में ‘ऑनलाइन’ संवाद का आयोजन

पितृपक्ष में हमारे पितरों के लिए पितृतर्पण करना
एक शुभकर्म ही है ! – श्री. सोबन सेनगुप्‍ता शास्‍त्र धर्म प्रचार सभा

कोलकाता (बंगाल) – ‘भारत वर्ष वैकुंठ का प्रांगण है’, ऐसा शास्‍त्र वचन है । अन्‍य स्‍थानों पर जन्‍म व्‍यर्थ है एवं यातायात भी निष्‍फल है; परंतु भारत वर्ष में जन्‍म लेना सार्थक है । भारत वर्ष में जन्‍म लिया है, इसलिए बहुत सारे सार्थक शुभकर्मों के उत्तराधिकारी हो पाए हैं । इन शुभकर्मों में से एक है पितृपक्ष में हमारे पितरों के लिए पितृतर्पण करना ।’ ऐसा वक्‍तव्‍य शास्‍त्र धर्म प्रचार सभा के श्री. सोवन सेनगुप्‍ता ने किया ।

पितृपक्ष के उपलक्ष्य में श्राद्ध, तर्पण विधि का महत्त्व बताने हेतु ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद का आयोजन किया गया था । इसका लाभ फेसबुक तथा यूट्यूब के माध्‍यम से सहस्रों जिज्ञासुआें ने लिया ।

आगे उन्‍होंने बताया कि हमारे माता-पिता के कारण ही हमें यह देह मिली है, यह हमपर उनका ऋण है । इसलिए उनके मृत्‍यु उपरांत उन्‍हें सद़्‍गति मिलने हेतु श्राद्धविधि कर पितृऋण चुकाया जा सकता है ।

ब्राम्‍हण और वैष्‍णव समाज इस संगठन के श्री पाचू गोपाल बंदोपाध्‍याय श्री पाचू गोपाल ने तर्पण करने का संक्षिप पद्धति बताई । इस समय हिन्‍दू जनजागृति समिति के श्री सुमंत देबनाथ ने सभी बताते हुए कहा कि जो श्रद्धा से किया जाता है वह श्राद्ध है । कोरोना काल में अगर यातायात बंदी के कारण श्राद्ध करना संभव नहीं हो, तो आपादधर्म अनुसार आमश्राद्ध, हिरण्‍य श्राद्ध, गोग्रास देना अथवा किसी अध्‍यात्‍मिक संगठन को धन अर्पण करना इन पर्यायों का अवलंब कर सकते है ।

क्षणिकाएं : इस कार्यक्रम में ढाका बांग्‍लादेश से बांग्‍लादेश माइनॉरिटी वाच इस संगठन के संस्‍थापक अध्‍यक्ष पूजनीय अधिवक्‍ता रबिन्‍द्र घोष जी की फेसबुक के माध्‍यम वंदनीय उपस्‍थिति रही । उन्‍होंने बताया कि इस प्रकार का कार्यक्रम बांग्‍लादेश में भी होना चाहिए ।