तमिलनाडु में हिन्‍दूद्वेषियों द्वारा हो रहे आघातों के विरुद्ध सडक पर उतरेंगे ! – जी. राधाकृष्‍णन्, शिवसेना राज्‍य अध्‍यक्ष, तमिलनाडु

हिन्‍दू जनजागृति समिति आयोजित (ऑनलाइन) ‘नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ का द्वितीय दिवस

जी. राधाकृष्‍णन्, शिवसेना राज्‍य अध्‍यक्ष, तमिलनाडु

फोंडा (गोवा) : तमिलनाडु में पेरियार, साथ ही द्रमुक के कार्यकर्ताआें ने भाषण की स्‍वतंत्रता के नाम पर हिन्‍दू धर्म, परंपरा, संस्‍कृति, स्‍तोत्र, साथ ही ब्राह्मण समुदाय को अपमानित कर हिन्‍दूद्वेष बढाया । आज भी तमिलनाडु में हिन्‍दू धर्म पर आघात हो रहे हैं; परंतु अब स्‍थिति पहले जैसी नहीं रही । अब हिन्‍दू जागृत होकर हिन्‍दू धर्म पर हो रहे आघातों का विरोध कर रहे हैं । कोरोना महामारी के काल में तमिलनाडु सरकार ने कोरोना के विरुद्ध संघर्ष के लिए हिन्‍दू मंदिरों को १० करोड रुपए देने का आदेश दिया; परंतु यह आदेश मस्‍जिद और चर्चेस को लागू नहीं था । इसके विरुद्ध धर्मप्रेमियों ने मद्रास उच्‍च न्‍यायालय में याचिका प्रविष्‍ट की । उस पर न्‍यायालय ने सरकार के आदेश को अवैध प्रमाणित किया । तमिलनाडु शिवसेना अध्‍यक्ष जी. राधाकृष्‍णन् ने ऐसा प्रतिपादित किया कि ‘जहां हिन्‍दू धर्म पर आघात होंगे, वहां हम सडक पर उतरेंगे और न्‍यायालयीन संघर्ष भी करेंगे ।’ ‘तमिलनाडु में जिहादी एवं धर्मांध ईसाईयों का बढता हुआ वर्चस्‍व’ विषय पर बोलते हुए उन्‍होंने उक्‍त विचार व्‍यक्‍त किए । हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से चल रहे ‘ऑनलाइन नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के द्वितीय दिवस के उद़्‍बोधन सत्र में ‘जिहादी आतंकवाद का प्रतिकार’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।

इस सत्र में ‘सुदर्शन न्‍यूज’ के मुख्‍य संपादक श्री. सुरेश चव्‍हाणके, तमिलनाडु के ‘हिन्‍दू मक्‍कल कत्‍छी’ के संस्‍थापक-अध्‍यक्ष श्री. अर्जुन संपथ ने भी संबोधित किया ।

हलाल प्रमाणपत्र व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से भारत
का इस्‍लामीकरण करने का षड्‍यंत्र ! – श्री. रमेश शिंदे

हलाल अर्थात इस्‍लाम की दृष्‍टि से खाने के लिए वैध मांस ! इसके अंतर्गत ‘कसाई का मुसलमान होना’, ‘पशु पर छुरा चलाने से पहले कसाई द्वारा कुरआन की आयतें बोलना, ‘पशु की गर्दन मक्‍का की दिशा मेें होना’ आदि नियम हैं । पश्‍चिमी देशों में अनेक पशुप्रेमी संगठन ‘हलाल’ संकल्‍पना का विरोध कर रहे हैं । आज यह संकल्‍पना केवल मांस तक सीमित नहीं है, अपितु सौंदर्यप्रसाधन, औषधियां, गृहनिर्माण परियोजनाएं आदि तक में उसकी व्‍यापकता बढ गई है । हलाल की अर्थव्‍यवस्‍था लगभग २.४ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर्स (१ ट्रिलियन का अर्थ १ के आगे १२ शून्‍य अर्थात १ सहस्र अरब) अर्थात आज के भारत की अर्थव्‍यवस्‍था जितनी बडी है । इस माध्‍यम से भारत पुनः एक बार गुलामी की दिशा में अग्रसर है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ वर्ष पूर्व शरिया विधि के अनुसार संचालित बैंकों पर प्रतिबंध लगाया था । आजकल हलाल प्रमाणपत्र के माध्‍यम से भारत का हो रहा इस्‍लामीकरण और जिहाद के लिए आर्थिक बल प्रदान करने का षड्‍यंत्र चल रहा है । संवैधानिक पद्धति से इसका विरोध होना चाहिए । ‘सेक्‍युलर’ भारत में इस्‍लामी अर्थकारण को गति प्रदान करने हेतु हलाल प्रमाणपत्र की व्‍यवस्‍था का कार्यरत होना ‘सेक्‍युलर’वाद की पराजय है । हिन्‍दू जनजागृति समिति के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता श्री. रमेश शिंदे ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

श्री. रमेश शिंदे ने आगे कहा कि

१. मुसलमान देशों ने उनके देश में व्‍यापार चलाने हेतु हलाल प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किया है । भारत में ‘जमियत उलेमा-ए-हिन्‍द’, ‘हलाल इंडिया’ जैसी मुसलमानों की निजी संस्‍थाएं यह प्रमाणपत्र देती हैं ।

२. भारत के अनेक प्रतिष्‍ठान आज अपना व्‍यापार चलाने हेतु पैसे देकर हलाल प्रमाणपत्र ले रहे हैं । इससे मिलनेवाला पैसा इस्‍लाम के प्रसार हेतु उपयोग किया जाता है ।

३. हलाल प्रमाणपत्र तो इस आधुनिक काल का ‘जिजिया कर’ ही है । आश्‍चर्य की बात यह कि ‘एयर इंडिया’, ‘अपेडा’ (कृषि और प्रकियाकृत अन्‍न निर्यात विकास प्राधिकरण), ‘आईआरसीटीसी’ (भारतीय रेल) जैसे सरकारी संगठन भी हलाल मांस को मान्‍यता प्रदान करते हैं ।

४. खाद्यान्‍नों को प्रमाणपत्र देने हेतु ‘एफएसएसएआइ’ (भारतीय अन्‍न सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण), ‘एफडीए’ (अन्‍न एवं औषधीय प्रशासन) जैसी सरकारी संस्‍थाएं होते हुए भी हलाल प्रमाणपत्र की समानांतर व्‍यवस्‍था किसलिए ?

५. हलाल प्रमाणपत्र के कारण हिन्‍दू कसाई समाज का व्‍यापार संकट में आ गया है । इसके कारण मांस का व्‍यापार पूर्णतया मुसलमानों के नियंत्रण में चला गया है । एक प्रकार से यह हिन्‍दू ‘खटक’ समुदाय का बहिष्‍कार करने की ही योजना है । ‘अनुसूचित जाति-जनजाति अत्‍याचार निवारण संशोधन अधिनियम’ के अनुसार यह अपराध प्रमाणित होता है ।

६. हलाल के कारण ‘सेक्‍युलर’ भारत में हिन्‍दुआें के साथ अन्‍याय होकर इस्‍लामी अर्थव्‍यवस्‍था को बल मिल रहा है । इसके विरुद्ध सभी को आवाज उठानी चाहिए ।’’

‘ऑनलाइन’ अधिवेशन में
५० सहस्र से अधिक धर्मप्रेमी उपस्‍थित !

अधिवेशन के द्वितीय दिवस के सत्र में ५० सहस्र से अधिक धर्मप्रेमी उपस्‍थित थे । ३ लाख १० सहस्र ४५३ लोगों तक कार्यक्रम की जानकारी (रिच) पहुंचाई गई । इस कार्यक्रम के लिए ‘यू ट्यूब’ ‘फेसबूक’ और ‘ट्‍विटर’, इन सामाजिक माध्‍यमों द्वारा धर्मप्रेमी जुडे थे ।