२३ देशों के लोग सम्मिलित होंगे; शंखनाद महोत्सव आध्यात्मिक पर्यटन में एक नया अध्याय होगा !

सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव के अवसर पर पणजी (गोवा) में प्रेस वार्ता आयोजित

बाएं से सर्वश्री युवराज गावकर, जयेश थली, राज शर्मा, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस, संजय घोडगे, नितिन फलदेसाई एवं अनिल नाइक

पणजी (गोवा) – सनातन संस्था द्वारा १७ से १९ मई तक गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय, फर्मागुडी, फोंडा के ‘इनफिनिटी ग्राउंड’ में आयोजित किया जाने वाला ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ न केवल धार्मिक महोत्सव होगा, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आध्यात्मिक जागृति का महोत्सव भी होगा । २३ देशों के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, विभिन्न संप्रदायों के संत-महंत, मंदिरों के न्यासी, २५.००० से अधिक साधकों एवं श्रद्धालुओं की सहभागिता तथा यज्ञ के साथ यह महोत्सव काशी, उज्जैन व अयोध्या के समान आध्यात्मिक पर्यटन में एक नया अध्याय लिखेगा । इससे विकास में भी गति आएगी, ऐसा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने आज पणजी में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी ।

शिवलिंग : १००० वर्ष पुरातन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के होंगे दुर्लभ दर्शन !

यहां ‘होटल मनोशांति’ में आयोजित पत्रकार परिषद में ’आर्ट ऑफ लिविंग’ के श्री संतोष घोडगे, सांस्कृतिक ट्रस्ट के श्री जयंत मिरिंगकर, अंतर्राष्ट्रीय बजरंग दल के श्री नितिन फलदेसाई, कुंडई तपोभूमि के श्री पद्मनाभ संप्रदाय । सुजन नायक, ब्राह्मण महासंघ के श्री. जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी नरेंद्राचार्यजी महाराज के अनुयायी राज शर्मा, श्री. अनिल नाईक, श्री. गोमंतक मंदिर महासंघ के. जयेश थली तथा हिन्दू जनजागृति समिति के श्री युवराज गावकर उपस्थित थे ।

मंदिर देश की आत्मा तथा अर्थव्यवस्था की रीढ हैं ।

श्री राजहंस ने आगे कहा कि काशी विश्वनाथ सीमांत मार्ग तथा अयोध्या में श्री राम मंदिर के कारण उत्तर प्रदेश को प्रति वर्ष अनुमानित २२,००० करोड रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है । इसलिए, उत्तर प्रदेश, जो पर्यटन के क्षेत्र में ७वें स्थान पर था, अब शीर्ष पर पहुंच गया है । इससे यह स्पष्ट होता है कि अकेले आध्यात्मिक पर्यटन ही राज्य की अर्थव्यवस्था को किस प्रकार बढावा दे सकता है । गोवा, जिसे पहले ‘दक्षिण काशी’ के नाम से जाना जाता था, निश्चित रूप से इससे लाभान्वित हो सकता है । जो लोग मंदिरों अथवा धार्मिक गतिविधियों को अंधविश्वास मानते हैं, उन्हें स्मरण में रखना चाहिए कि मंदिर देश की आत्मा और अर्थव्यवस्था की रीढ हैं । आज जबकि विश्वस्तर के औद्योगिक नगरों का पतन हो रहा है, वहीं उज्जैन, तिरुपति, रामेश्वरम एवं काशी जैसे तीर्थस्थल वाले नगर सहस्राब्दियों से सुरक्षित हैं तथा उनके आसपास का वातावरण भी विकसित हुआ है ।

इस तीन दिवसीय महोत्सव के लिए देश-विदेश से २५,००० से अधिक भक्त, साधक तथा गणमान्य व्यक्ति गोवा पहुंचेंगे । वे सभी यहां ३ से ५ दिन तक रहेंगे, यात्रा करेंगे, स्थानीय वाहनों का उपयोग करेंगे, मंदिरों के दर्शन करेंगे तथा होटलों, बाजारों, रेस्तरां और पर्यटक आकर्षणों का लाभ उठाएंगे । इससे सभी स्थानीय व्यवसायों एवं रोजगार को बढावा मिलेगा । इस पूरी प्रक्रिया से जी.एस.टी. (वस्तु एवं सेवा कर) का भुगतान होगा, जिससे राज्य सरकार को भी बडी आय होगी ।

यह महोत्सव उज्ज्वल आध्यात्मिक भविष्य का शंखनाद होगा !

अन्य व्यवसायों की तुलना में आध्यात्मिक पर्यटन सुरक्षित एवं सतत विकास के साथ-साथ समाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का भी साधन है । श्री राजहंस ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि, महोत्सव मंदिर परंपराओं, लोक कला, सांस्कृतिक पहचान के साथ-साथ आध्यात्मिक प्रथाओं, आध्यात्मिक विचार और देशभक्ति के मूल्यों को बढावा देगा । कुल मिलाकर ‘शंख महोत्सव’ एक उज्ज्वल आध्यात्मिक भविष्य का शंखनाद है । उन्होंने इस उत्सव के संबंध में अधिक जानकारी के लिए SanatanRashtraShankhnad.in संकेतस्थल पर जाने का भी आह्वान किया।

१,००० वर्ष पुराने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दुर्लभ दर्शन होंगे !

इस अवसर पर बोलते हुए श्री. राजहंस ने कहा कि ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ के समय सभी को १,००० वर्ष पुरातन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का दुर्लभ अवसर प्राप्त होगा । इस शिवलिंग को मूर्तिभंजक गजनी ने खंडित कर दिया था और उसके उपरांत अग्निहोत्र संप्रदाय के साधकों ने इसका पुनरुद्धार किया । आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के आशीर्वाद से इस शिवलिंग को अब महोत्सव स्थल पर जनता के दर्शनार्थ रखा जाएगा । इस अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज के समय के शस्त्रों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी ।