देहराडून (उत्तराखंड) के डॉ. कुलदीप दत्ता (आयु ७५ वर्ष) एक विख्यात हृदयरोग विशेषज्ञ हैं । उन्होंने वर्ष १९७६ से १९९८ के दौरान उत्तरप्रदेश में ‘चिकित्सकीय निदेशक’के रूप में सरकारी नौकरी की । उसके उपरांत स्वेच्छा सेवानिवृत्ति लेकर उन्होंने इंद्रेश चिकित्सकीय महाविद्यालय एवं आर्.जी. स्टोन के साथ कार्य किया । वर्तमान में वे ‘शाश्वत भारत ट्रस्ट’ के अध्यक्ष हैं ।

विशेष स्तंभ
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज हेतु जिस प्रकार उनके सैनिकों एवं सेनापतियों का त्याग सर्वोच्च है, उस प्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक हिन्दू धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा हेतु ‘सैनिक’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । धर्मनिरपेक्षतावादी सरकारों, साथ ही प्रशासन एवं पुलिस के द्वारा होनेवाला उत्पीडन सहन करते हुए वे निस्वार्थ भाव से दिनरात संघर्ष कर रहे हैं । वर्तमान समय में राष्ट्रविरोधी शक्तियां धर्मनिरपेक्षतावादियों के समर्थन से बलवान होकर जहां हिन्दूविरोधी तथा राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र रच रहे हैं, वहां हमारे मन में ‘आगे जाकर हिन्दुओं का तथा इस राष्ट्र का क्या होगा ?’, इसकी चिंता होती है । ऐसी स्थिति में हमने यदि हिन्दुत्व के लिए तथा राष्ट्र की रक्षा हेतु लडनेवाले इन सैनिकों के संघर्ष के उदाहरण पढे, तो निश्चित ही हमारे मन की चिंता दूर होकर उत्साह निर्माण होगा । इसीलिए हमने ऐसे सैनिकों की तथा हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु उनके संघर्ष की जानकारी करानेवाला ‘हिन्दुत्व के वीर योद्धा’ स्तंभ आरंभ किया है । इस माध्यम से भारत में सुराज्य की स्थापना करने हेतु प्रयास करनेवालों की सभी को जानकारी मिलेगी तथा उस परिप्रेक्ष्य में कार्य करने की प्रेरणा भी मिलेगी ! – संपादक
१. ‘शाश्वत भारत ट्रस्ट’का उद्देश्य
‘शाश्वत भारत ट्रस्ट’के अंतर्गत सनातन संस्कृति के सशक्तिकरण का प्रयास किया जाता है । ‘शाश्वत भारत’ की ओर से हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं एवं जीवनशैली पर मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है । पिछली शताब्दी में शाश्वत सनातन संस्कृति का विध्वंस किया गया । अनेक आक्रमण झेलकर भी सनातन धर्म के इस विशाल वृक्ष ने अनादि काल से सभी को आश्रय दिया है । ‘शाश्वत भारत ट्रस्ट’ के माध्यम से भी आवश्यक साधनों का उपयोग कर इस दिव्य वृक्ष के पुनरुद्धार के प्रयास किए जा रहे हैं ।
२. ‘शाश्वत भारत संवाद’ परिषद का आयोजन
‘शाश्वत भारत’की ओर से अब तक २ परिषदों का आयोजन किया गया है । ‘शाश्वत भारत संवाद’ एक दिवसीय उपक्रम है । इस ‘शाश्वत भारत संवाद’ में राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों के संदर्भ में गणमान्य व्यक्तियों के साथ चर्चा की जाती है ।
हमारे यहां उत्तराखंड की जनसंख्या में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है । वहां बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बढ रही है । उनके कारण हमारी आंतरिक सुरक्षा को संकट उत्पन्न हुआ है । हिन्दुओं के आस्था के केंद्र पर्वतीय क्षेत्रों में हैं । चारों पवित्र स्थान भी पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित हैं । किसी भी आक्रमणकारी ने वहां कभी आक्रमण करने का प्रयास नहीं किया था; परंतु वर्तमान समय में इस पर्वतीय क्षेत्र में धर्मांध अपनी जनसंख्या बढाने का सचेत प्रयास कर रहे हैं । उसके कारण इन संकटों के प्रति समाज में जागरूकता लाना तथा इन संकटों का सामना करने हेतु सक्रिय सहभागी होने की योजना बनाना, इन विषयों पर ‘शाश्वत भारत ट्रस्ट’की ओर से जागृति की जाती है ।
३. व्याख्यानों के माध्यम से जागृति
‘शाश्वत भारत ट्रस्ट’के माध्यम से व्याख्यान भी लिए जाते हैं । इन व्याख्यानों में भारतीय संस्कृति की महिमा एवं वैदिक परंपराओं के विषय में जागृति की जाती है । पंजाब, हरियाणा एवं देहली के परिसर में अनेक राजनीतिक विदेशी आक्रमण होने से वहां १०० से अधिक वर्ष पूर्व पुराना एक भी मंदिर नहीं है । अब हिमालय की पर्वतशृंखलाओं में जनसंख्या बढाकर हिन्दुओं के चारधाम जैसे प्राचीन धार्मिक स्थलों को नियंत्रण में लेने का योजनाबद्ध षड्यंत्र रचा जा रहा है । ‘मुसलमानों की जन्मदर ४.८ प्रतिशत से २.६ प्रतिशत तक नीचे आई है’, ऐसा बताया जाता है; परंतु तब भी मुसलमान जनसंख्या कैसे बढ रही है ? बाहर से आनेवाले मुसलमानों के कारण भारत में मुसलमानों की जनसंख्या बढ रही है । वार्षिक परिषद, मासिक व्याख्यान आदि माध्यमों से लोगों में इसके बारे में जागृति लाई जाती है ।

४. हिन्दुत्व के कार्य की ओर मुडने का कारण
डॉ. कुलदीप दत्ता की माता की ओर के परिजन पाकिस्तान के सियालकोट में रहते थे । वर्ष १९४७ में हुए देश के विभाजन के समय अनेक अत्याचार सहन कर वे जम्मू-कश्मीर में बस गए । वर्ष १९९० में जिहादी आतंकियों द्वारा कश्मीरी हिन्दुओं का जो वंशविच्छेद किया गया, उसमें उनके संबंधी शिकार बने, साथ ही उनकी चाची के संबंधी भी जम्मू-कश्मीर में ही रहते थे । डॉ. दत्ता को जब ‘उनके संबंधियों को जिहादी आतंकियों के कारण क्या क्या सहना पडा ?’, यह ज्ञात हुआ, तब उन्होंने समाज में हिन्दुत्व के कार्य के प्रति जागृति लाना सुनिश्चित किया ।