श्री. प्रमोद मुतालिक का जन्म बेळगांव जिले की हुक्केरी तालुका में वर्ष १९६३ में एक संप्रदायस्त ब्राह्मण कुटुंब में हुआ । उनके पिता हनुमंतराव मुतालिक एवं माता सुमतीबाई, ये दोनों की राष्ट्र एवं धर्म कार्य के प्रति निष्ठावान थे । उनके पिता रा.स्व.संघ में प्रचारक के रूप में कार्यरत थे । इसलिए उन्होंने बचपन से ही अपने पुत्र को राष्ट्रभक्ति के संस्कार दिए । परिणामस्वरूप वे बहुत ही छोटी आयु, यानी १३वें वर्ष में ही रा.स्व.संघ में सम्मिलित हो गए । उन्होंने अपनी शिक्षा ‘एस.एस.एल.सी., हुक्केरी’ में पूर्ण की तथा वाणिज्य शाखा की पदवी बेळगांव से ली । उन्होंने दिवंगत विठ्ठल अडके (सनदी लेखपाल) की प्रेरणा से अपने को हिन्दुत्व के कार्य में झोंक देने का निश्चय किया । राष्ट्र-धर्म के कार्य के लिए उन्हें लगन से कार्य करते देख संघ ने वर्ष २००४ में बजरंग दल के दक्षिण भारत के प्रचारक के रूप में नियुक्त किया । उन्होंने दक्षिण भारत में भाषण, संपर्क अभियान एवं हिन्दुत्व का कार्य करते हुए लाखों युवकों को बजरंग दल में सम्मिलित किया । उस काल में बजरंग दल का नाम सुनते ही केवल जिहादी ही नहीं, अपितु सरकार, लोकप्रतिनिधि भी थरथर कांपते थे । दक्षिण भारत में ऐसे शक्तिशाली संगठन की निर्मिति श्री. प्रमोद मुतालिक ने की ।
वे २२ वर्षाें तक कर्नाटक में संघ के प्रचारक के रूप में कार्यरत थे । तदुपरांत वे विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के राज्य संगठक बने । तदुपरांत उन्होंने दक्षिण भारत (कर्नाटक,तमिळनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल) बजरंग दल के संयोजक के रूप में दायित्व निभाया । उन्होंने कर्नाटक में बजरंग दल के माध्यम से हिन्दू समाज में संगठन का महत्त्व बढाया । इससे गांव-गांव में भगवे ध्वज और केसरी शाल का भारी मात्रा में प्रसार हुआ । जिहादी, धर्मांतर करनेवाले ईसाई, मुसलमानों का तुष्टीकरण करनेवाले कांग्रेसी एवं नास्तिक साम्यवादियों का तीव्र विरोध कर, हिन्दू युवकों में धैर्य निर्माण करने का श्रेय श्री. प्रमोद मुतालिक को जाता है । आगे बजरंग दल से विचारों में मतभेद होने से उन्हें वह संगठन छोडना पडा । फिर उन्होंने ‘श्रीराम सेना’ नामक नया हिन्दू संगठन वर्ष २००५ में स्थापित किया । तब से आज तक गत २० वर्षाें से कोई भी समझौता किए बिना वे हिन्दुत्व के कार्य के लिए लड रहे हैं । हिन्दुत्व के इस कार्य में उन्हें अनेक ज्येष्ठ व्यक्तियों तथा संतों के आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन मिला है ।

विशेष लेख
छत्रपति शिवाजी महाराजजी के हिंदवी स्वराज्य के लिए मावळे (शिवाजी के सैनिक) और शूरवीर योद्धाओं का त्याग सर्वोच्च है, उसीप्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ और राष्ट्रप्रेमी नागरिक धर्म-राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘शूरवीर योद्धा’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनका और उनके हिन्दू धर्मरक्षा के कार्य से परिचय करवाने के लिए ‘हिन्दुत्व के शिलेदार’ अर्थात ‘हिन्दुत्व के वीर योद्धा’, इस स्तंभ से अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी ! – संपादक
१. चिक्कमंगळूर (कर्नाटक) में दत्तपीठ की रक्षा के लिए संघर्ष !
चिक्कमंगळूर जिले के चंद्रद्रोण पर्वत पर दत्तपीठ है । इस स्थान पर अत्री ऋषि और उनके शिष्यों ने तपस्या की थी । अत: वह अत्यंत पवित्र क्षेत्र है; परंतु मुसलमानों ने अतिक्रमण कर वहां बाबा बुडन गिरी दरगाह बना दी है । वहां प्रतिवर्ष उरूस (मेला) होता है; परंतु हिन्दुओं को दत्तजयंती पर तथा नित्य पूजा करने की अनुमति नहीं थी । वहां अवैधरूप से कुछ कब्रें भी बनी दी गई हैं । हिन्दू क्षेत्र होते हुए भी वहां हिन्दू पुजारी नहीं थे । तब श्री. प्रमोद मुतालिक ने दत्तपीठ की मुक्ति के लिए बडा आंदोलन आरंभ किया । लाखों युवकों ने दत्तजयंती पर दत्तमाला धारण कर, दत्तपीठ पर जाना प्रारंभ किया । इसलिए हिन्दू भी लाखों की संख्या में दत्तपीठ पर जाने लगे । परिणामस्वरूप आज इस कार्य में ९० प्रतिशत सफलता मिली है ।
२. विदेशी विकृति और अनधिकृत पब विरुद्ध संघर्ष !
वर्ष २००९ में मंगळुरू में एक प्रतिष्ठित वैद्यकीय महाविद्यालय के सामने एक अनधिकृत पब चल रहा था । महाविद्यालय के युवक-युवती पब में समय बिताते थे । अनेक बार विनती करने के पश्चात भी पुलिस और पब मालिक ने कोई भी कार्रवाई नहीं की । परिणामस्वरूप श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने पब में घुसकर महाविद्यालय का वर्ग छोडकर पब में मौजमस्ती करनेवाले युवक-युवतियों को इस विषय में पूछा । पब में बैठे युवकों के साथ वाद-विवाद भी हो गया । इस घटना को ‘पब पर आक्रमण’ कहते हुए जोरदार प्रसिद्धी दी गई । श्रीराम सेना के २५ कार्यकर्ताओं को बंदी बनाया गया । इस प्रकार पब की बुरी प्रवृत्ति को विरुद्ध संघर्ष आरंभ हो गया । इस अवसर पर पब में उपस्थित कुछ युवतियों की मांओं ने श्री. प्रमोद मुतालिक की प्रशंसा की और कहा, ‘आपने बहुत अच्छा कार्य किया है । आपने हमारी बेटी को पब से बचा लिया । हमारी बेटी पब में जाती है, यह हमें पता ही नहीं था । बच्चों के माता-पिता को जो कार्य करना चाहिए था, वह आपने किया ।’ इस प्रकार एक पब पर आक्रमण के कारण अन्य पब जो अवैध थे, उन्हें भी चेतावनी मिली । वर्ष २०१८ में मंगळुरू के न्यायालय ने इस प्रकरण में श्री. मुतालिक के साथ श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं को निर्दोष घोषित किया ।
विदेशी विकृत संस्कृति के विरोध में जनजागृति करते समय आगे उन्होंने कथित ‘वैलेंटाईन डे’(प्रेमदिवस), ‘रोज डे’(गुलाब देने का दिन), ‘फ्रेंडशिप डे’(मित्रता करने का दिन), ‘किस डे’(चुंबन लेने का दिन) जैसी पश्चिमी संकल्पनाओं के पीछे ईसाई षड्यंत्र का स्वरूप उजागर करते हुए समाज को जागरूक किया ।

३. हिन्दुत्व के कार्य के लिए ११७ से भी अधिक अपराध प्रविष्ट होने के पश्चात भी बिना डगमगाए लडनेवाले हिन्दू नेता !
श्री. प्रमोद मुतालिक हिन्दू समाज को जागृत करने के लिए, इसके साथ ही हिन्दू समाज पर होनेवाले आघात जैसे लव जिहाद, हलाल जिहाद, धर्मपरिवर्तन, आतंकवाद और हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या इत्यादि पर बोलते हैं । इसलिए अनेक स्थानों पर पुलिस ने उन पर अनेक अपराध प्रविष्ट किए हैं । उन्होंने हिन्दुओं को अपनी बहन और अपनी रक्षा के लिए घर में शस्त्र रखने का आवाहन किया, तो पुलिस ने उन पर अनेक स्थानों पर द्वेषपूर्ण भाषण करने का अपराध प्रविष्ट कर दिया । ‘वन्दे मातरम’ न कहनेवाले, गोहत्या करनेवाले, श्रीराममंदिर का विरोध करनेवालों के साथ व्यापार न करें’, ऐसा आवाहन करने से उनपर अनेक स्थानों पर अपराध प्रविष्ट हुए । इस प्रकार उन पर कर्नाटक राज्य में ११७ से अधिक अपराध प्रविष्ट हुए हैं । इन सभी अपराधों के विरुद्ध उन्होंने वैधानिक मार्ग से लडाई की । उनमें से ९० प्रतिशत अपराधों में न्यायालय ने उन्हें निर्दोष बताया है ।
४. कर्नाटक के अनेक जिले और अनेक राज्यों में प्रवेश बंदी
श्री. मुतालिक ने गोवा सरकार को पब और कैसिनो संस्कृति रोकने का आवाहन करने के कारण गोवा सरकार ने उनके साथ श्रीराम सेना पर १२ वर्ष प्रतिबंध लगा दिया था । इसके साथ ही पब पर आक्रमण करने के प्रकरण के पश्चात दक्षिण कन्नड जिला, हरिहर, बैलहोंगल, कोलार साथ ही कर्नाटक के १५ से भी अधिक जिलों में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया; परंतु इन सभी प्रतिबंधाें के विरुद्ध उन्होंने वैधानिक मार्ग से सामना किया और न्यायालय ने अधिकांश जिलों पर से बंदी उठा ली । इस प्रकार हिन्दुत्व के कार्य के लिए अनेक जिलों में प्रवेश बंदी का जिन्हें कटु अनुभव आया, ऐसे वे एकमेव नेता हैं ।
५. लव जिहाद रोकने के लिए ‘हेल्पलाईन’(सहायता कक्ष) क्रमांक और पुस्तक का प्रकाशन
श्री. प्रमोद मुतालिक लव जिहाद के विरोध में अनेक वर्षाें से लड रहे हैं । लव जिहाद के प्रकरण रोकने में कर्नाटक पुलिस प्रशासन असफल रही । इसलिए श्रीराम सेना की ओर से लव जिहाद रोकने के लिए ‘लव जिहाद हेल्पलाईन क्रमांक’ प्रसारित किया गया । यदि लव जिहाद के प्रकरण में हिन्दू युवती फंसी होें और वे हेल्पलाईन क्रमांक पर संपर्क साधे तो श्रीराम सेना के कार्यकर्ता उसकी सहायता करते हैं । यह हेल्पलाईन आरंभ होने के पश्चात सैकडों दूरभाष आए । श्रीराम सेना के २० वर्षाें के कार्यकाल में उन्होंने ४,७६० हिन्दू लडकियों को इस्लाम के जाल से बाहर निकाला है । अनेक प्रकरणों में शिकायत प्रविष्ट होने के पश्चात भी पुलिस द्वारा कोई भी कार्रवाई न करने पर, जब श्रीराम सेना के कार्यकर्ता पुलिस थाने में गए तो उन्हें न्याय मिलने की घटनाएं हुई हैं । उदाहरणार्थ हुब्बळी की नेहा हिरेमठ प्रकरण में धर्मांध मुसलमान युवक द्वारा हिन्दू युवती की हत्या करने के पश्चात भी उसे महाविद्यालय से निकाला नहीं था । श्री. मुतालिक के ध्यान में आते ही वे जाकर प्राचार्यं से मिले तथा हिन्दू युवती की हत्या करनेवाले धर्मांध युवक को महाविद्यालय से बाहर निकाल दिया गया ।
हाल ही में श्री. मुतालिक ने ‘लव जिहाद’ नामक कन्नड भाषा की पुस्तक प्रकाशित कर उस विषय में जनजागृति की है ।
६. गोरक्षा के लिए उनका संघर्ष
श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने रात-दिन प्राणों की परवाह किए बिना अवैधरूप से गोवंश यातायात करनेवाले धर्मांधों के विरुद्ध संघर्ष किया तथा १३ सहस्र गायों की रक्षा की । ३० सहस्र से अधिक कार्यकर्ताओं को गोरक्षा की दीक्षा दी है । गोरक्षा के अनेक प्रकरणों में पुलिस में झूठे अभियोग तथा राजकीय दबाव के कारण उनके कार्यकर्ताओं को अनेक महिने कारावास भोगना पडा है । इस प्रकार श्रीराम सेना गोरक्षा के लिए अविरतरूप से कार्य कर रही है ।

७. धर्मांतर के विरोध में लडाई
भोले-भाले हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करनेवाले धूर्त ईसाई मिशनरियों के विरुद्ध भी उन्होंने अनेक बार संघर्ष किया है । अनेक स्वामीजी, संतों को साथ में लेकर तत्कालीन कर्नाटक सरकार के मुख्यमंत्री से मिले और ‘धर्मांतरविरोधी कानून’ लागू करने की मांग की, जिससे कर्नाटक में ‘धर्मांतरविरोधी कानून’ लागू किया गया ।
८. किसी भी हिन्दू पर अन्याय होने पर उसके लिए लडनेवाले एकमेव नेता श्री. प्रमोद मुतालिक !
श्री. प्रमोद मुतालिक समाज के किसी भी हिन्दू पर अन्याय होने पर उसका साथ देते हुए संघर्ष करते हैं । वह हिन्दू किसी भी संगठन अथवा किसी भी पक्ष का हो, हिन्दू समाज की रक्षा के लिए उनका मन तडप उठता है । वे पक्ष, संगठन, जातिभेद भुलाकर हिन्दुत्व की रक्षा का कार्य करनेवाले एकमेव नेता हैं ।
श्री. प्रमोद मुतालिक : हिन्दुओं के संगठन हेतु एक शक्ति !

श्री. प्रमोद मुतालिक कर्नाटक के प्रत्येक कोने में, गांव-गली में परिचित व्यक्तित्व है । वाणी में निर्भयता, बातों में सुस्पष्टता और बिना कोई समझौता कर वे हिन्दुत्व का समर्थन करने के लिए कर्नाटक राज्य में प्रसिद्ध हैं । हिन्दुत्व पर कहीं भी आघात हो अथवा अपप्रचार हो, श्री. प्रमोद मुतालिक और उनकी श्रीराम सेना के कार्यकर्ता अपने प्राणों की परवाह न करते हुए, किसी भी संगठन, जाति, पक्ष इत्यादि पर विचार न करते हुए उसकी रक्षा के लिए तुरंत दौडकर जानेवाले एकमेव हिन्दू नेता हैं । वे केवल एक व्यक्ति नहीं, अपितु हिन्दू समाज की शक्ति हैं । आज भी श्री. मुतालिक को माननेवाले अनेक लोग हैं । उनके साथ हिन्दू समाज को खडे रहने की आवश्यकता है । अपने संघर्षभरे जीवन के कारण उन्होंने हिन्दू युवकों में धैर्य, शौर्य तथा जुझारूवृत्ति निर्माण की है ।
आज आयु के ६२वें वर्ष में भी श्री. मुतालिक हिन्दू राष्ट्र के लिए रात-दिन वैचारिक आंदोलन कर रहे हैं । भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रार्थना है कि वे हिन्दू धर्म रक्षा का कार्य करनेवाले श्री. प्रमोद मुतालिक को शक्ति एवं चैतन्य दें !
देशभर में हिन्दुत्व के संघर्ष में सर्वाधिक अभियोग तथा सीमापार का सामना करनेवाले नेता श्री. प्रमोद मुतालिक हैं ।’
– डॉ. प्रवीण तोगाडिया, अध्यक्ष, आंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद
संपादकीय भूमिकासमाज के किसी भी हिन्दू पर अन्याय होने पर पक्ष, संगठन, जाति भुलाकर हिन्दुत्व की रक्षा का कार्य करनेवाले श्री. प्रमोद मुतालिक का आदर्श रखें ! |