घुसपैठ का जाल तथा बंगाल के सत्ताधारियों का कुटिलतापूर्ण खेल !

बंगाल की कोलकाता पुलिस के गुप्तचर विभाग ने अलीपुर न्यायालय में प्रविष्ट आरोपपत्र के साथ बांग्लादेशी घुसपैठियों तथा आरोपियों के आपराधिक कृत्यों के प्रमाण प्रस्तुत किए; परंतु यह घटना केवल एक गिरोह तक सीमित नहीं है, अपितु यह आरोपपत्र राज्य की भ्रष्ट नौकरशाही, दलालों का जाल तथा अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करनेवाले राजनीतिक सत्ताधारियों, उनके अंतरराष्ट्रीय साम्यवादियों तथा उदारमतवादी समर्थकों का देशविघातक षड्यंत्र उजागर करता है । घुसपैठ एक कानूनी विषय होते हुए भी उसके परिणाम देश की संप्रभुता तथा देश की सुरक्षा पर आघात करनेवाले हैं । बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा अन्य इस्लामी देशों से हो रही घुसपैठ केवल आर्थिक उद्देश्य से नहीं हो रही है, अपितु वह सांस्कृतिक एवं राजनीतिक उद्देश्यों से भी हो रही है तथा कुछ सत्ताधारी दल इसका समर्थन कर रहे हैं ।

इन घुसपैठियों को संरक्षण देने के लिए तैयार अभद्र गठबंधन, भ्रष्ट प्रशासक, सत्ता के लालच में अंधे हुए राजनेता तथा भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय समूह, ये सभी पूरे देश की सुरक्षा के लिए बहुत बडा संकट बन गए हैं । इस संकट को रोकने हेतु राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण प्रक्रिया (एनआरसी) को तुरंत लागू करना आवश्यक है; क्योंकि उससे प्रत्येक नागरिक की नागरिकता की पडताल होगी तथा घुसपैठ रोकी जा सकेगी ।

१. बांग्लादेशी घुसपैठियों को बनावटी (नकली) कागदपत्र
बनाकर देने के संबंध में कोलकाता पुलिस द्वारा सामने लाई गई वास्तविकता

बंगाल की कोलकाता पुलिस के गुप्तचर विभाग ने २० मार्च २०२५ को अलीपुर न्यायालय में एक आरोपपत्र प्रविष्ट कर एक गंभीर वास्तविकता सामने लाई है । इसमें १२० बांग्लादेशी घुसपैठियों तथा १३० आरोपियों के विरुद्ध आपराधिक कृत्यों के प्रमाण दिए गए हैं; परंतु इस घटना से केवल एक ही गिरोह का भांडाफोड नहीं हुआ, अपितु बंगाल में कार्यरत भ्रष्ट नौकरशाही तथा देशविघातक षड्यंत्र को भी पूर्णतया उजागर किया गया है ।

न्यायालय में प्रस्तुत किए गए आरोपपत्र में आरोपी के रूप में कोलकाता में पुलिस उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत अब्दुल हाजी तथा पारपत्र (पासपोर्ट) सेवा केंद्र में कार्यरत २ कर्मचारियों का समावेश किया गया है । ‘पारपत्र (पासपोर्ट) सेवा केंद्र में कार्यरत ये कर्मचारी केवल २,००० से ३,००० रुपए की रिश्वत लेकर बांग्लादेशी शरणार्थियों द्वारा पारपत्र (पासपोर्ट) के लिए प्रविष्ट आवेदनों तथा उनके साथ जोडे गए बनावटी (नकली) कागदपत्रों को आवेदकों की सूची में घुसा देते थे, जबकि पुलिस की सुरक्षा शाखा के कर्मचारी ऊपरी (फर्जी) पडताल ब्योरे जोडकर इन घुसपैठियों को भारतीय पारपत्र (पासपोर्ट) दिलाने में उनकी सहायता करते थे’, इस आरोपपत्र में ऐसा उल्लेख किया गया है ।

इस गिरोह पर यह आरोप भी लगाया गया है कि उन्होंने केवल कोलकाता शहर में ही न्यूनतम २०० बांग्लादेशी घुसपैठियों को बनावटी (नकली) पारपत्र (पासपोर्ट) दिलाया । इस गिरोह के दलाल तथा उनके सहयोगी बनावटी (नकली) पारपत्र (पासपोर्ट) दिलाने के लिए २,५०० से ४,००० रुपए दलाली लेते थे, जबकि पारपत्र (पासपोर्ट) प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जानेवाले बनावटी (नकली) कागदपत्र बनाने के लिए नियुक्त लोग ६,००० से ७,००० रुपए लेकर बनावटी (नकली) आधार कार्ड तथा बनावटी (नकली) राशन कार्ड बनाकर देते थे । बनावटी (नकली) आधार कार्ड बनाने के लिए जिसका आधार कार्ड पहले से ही बनाया गया है, ऐसे वैध नागरिक का आधार कार्ड क्रमांक, गैरकानूनी शरणार्थी व्यक्ति का नाम, पता तथा छायाचित्र का उपयोग किया जाता था ।

२. बंगाल पुलिस तथा वहां की सरकार के द्वारा घुसपैठ के अनेक प्रकरणों को दबा देना

बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए बंगाल में बनावटी (नकली) पारपत्र (पासपोर्ट) तथा अन्य कागदपत्र तैयार कर दिए जाते हैं, यह बात इससे पहले की अनेक घटनाओं में देश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की पुलिस के ध्यान में आई थी; परंतु बंगाल पुलिस तथा वहां की सरकार ने राज्य के बाहर की पुलिस को बंगाल जाकर अन्वेषण करने की अनुमति तथा सहायता करना अस्वीकार कर दिया, जिससे ऐसे अनेक प्रकरण दबा दिए गए हैं ।

२ अ. महाराष्ट्र के अनेक घुसपैठियों के पास बंगाल से दिए गए कागदपत्र : महाराष्ट्र पुलिस ने विगत ३ महीने में राज्य के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से ४३० बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया । उस समय की गई जांच में पुलिस द्वारा पकडे गए अधिकांश घुसपैठियों से उनके नाम से बंगाल में जारी किए गए बनावटी (नकली) पारपत्र (पासपोर्ट), साथ ही जन्म प्रमाणपत्र, विद्यालय छोडने के प्रमाणपत्र जैसे कागदपत्र जप्त किए गए थे । गिरफ्तार किए घुसपैठियों की उस समय की गई जांच में इस प्रकार के बनावटी (नकली) प्रमाणपत्रों की आपूर्ति करनेवाले गिरोह बंगाल में सक्रिय होने की बात सामने आई थी; परंतु इस संदर्भ में पुलिस एवं गुप्तचर विभागों द्वारा जानकारी देने पर भी बंगाल पुलिस तथा वहां की सरकार ने इस संदर्भ में किसी प्रकार की कार्यवाही करना टाल दिया था ।

२ आ. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में भी बंगाल में बनावटी (नकली) कागदपत्र मिलना : इसके अतिरिक्त पिछले वर्ष नवंबर के महीने में प्रवर्तन निदेशालय ने (ईडी ने) काले धन (ब्लैक मनी) के संदर्भ में जो जांच की थी, उसमें भी बंगाल में बांग्लादेशी तथा रोहिंग्या घुसपैठियों को बनावटी (नकली) कागदपत्र बनाकर दिए गए, साथ ही यह बात भी सामने आई थी कि बांग्लादेशी घुसपैठिए द्वारा लडकियों को देश के भिन्न-भिन्न शहरों में वेश्यावृत्ति हेतु भेजे जाने के काम में बंगाल के सक्रिय गिरोहों का हाथ है ।

२ इ. देहली पुलिस को भी बंगाल के कागदपत्र मिलना : पिछले वर्ष दिसंबर महीने में देहली पुलिस द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध चलाए अभियान में पकडे गए सभी घुसपैठियों के पास बंगाल से बनाकर दिए गए बनावटी (नकली) कागदपत्र मिले थे । इसके संदर्भ में भी बंगाल की पुलिस तथा वहां की सरकार ने इसमें सहयोग करने से मना कर दिया था ।

३. साम्यवादी तथा विदेशी समाचार वाहिनियों के द्वारा जानबूझकर भारत को कलंकित करने का प्रयास !

बांग्लादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध जब बडे स्तर पर कार्यवाही होती है, उस समय साम्यवादी तथा उदारमतवादी संगठनों की ओर से इन घुसपैठियों को सहानुभूति मिले, इस प्रकार से दुष्प्रचार किया जाता है । उसी समय इस प्रकार की कार्यवाही को राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानबूझकर भारत को कलंकित करने के प्रयास किए जाते हैं, यह इससे पहले भी स्पष्ट हो चुका है ।

पिछले वर्ष जब देहली पुलिस ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध अभियान चलाया, उस समय स्वयं को अरब जगत की एकमात्र स्वतंत्र समाचार वाहिनी कहलानेवाली ‘अल जजीरा’ ने ‘प्राकृतिक आपदा तथा विपरीत परिस्थितियों के कारण बांग्लादेश के निर्धन लोगों को जीविका की खोज में किस प्रकार भारत में शरण लेनी पडती है तथा भारत पहुंचने पर भी उन्हें किस प्रकार से अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है’, इसका ह्रदयविदारक समाचार दिखाया था; परंतु उन समाचारों में भी कैसे ये घुसपैठिए बंगाल में कार्यरत दलालों के माध्यम से बनावटी (नकली) कागदपत्र प्राप्त करते हैं, इसका उल्लेख करने के लिए उन्हें बाध्य किया गया था ।

इसके अतिरिक्त जर्मन जालस्थल ‘डॉइश वर्ल्ड (डीडब्ल्यू)’ ने तो इससे भी आगे जाकर देहली में पुलिस द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध चलाए गए अभियान के संबंध में समाचार प्रसारित करते हुए इस कार्यवाही का वर्णन ‘बांग्ला भाषी लोग फंसे ‘इमिग्रेशन’ के (शरणार्थियों के) चंगुल में’, यह शीर्षक दिया, साथ ही उसमें ‘अनेक लोग इस कार्यवाही को राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताते हैं’, उन्होंने ऐसी टिप्पणी भी की थी ।

४. बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत में प्रवेश कैसे करते हैं ?

भारत एवं बांग्लादेश की सीमा की कुल लंबाई ४०९६.७ किलोमीटर है तथा उसमें से कुछ सीमावर्ती क्षेत्र जंगलों से व्याप्त पर्वतीय क्षेत्र में आता है, जबकि कुछ स्थानों पर सीमा गांवों के बहुत ही निकट है तथा वह गांवों को विभाजित करती है । उसके अतिरिक्त जब विभाजन हुआ, तब से भारत एवं बांग्लादेश में सीमाविवाद चल रहा है । सीमावर्ती क्षेत्र के कुछ भूप्रदेश का आपस में लेन-देन कर उसका समाधान निकालने के विषय में बांग्लादेश बनने से पहले भारत एवं पाकिस्तान में समझौता हुआ था । इसलिए अनेक स्थानों पर सीमारेखा पर घेरा नहीं बनाया गया है तथा सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को उनके नित्य व्यवहार के लिए दोनों देशों में आना-जाना पडता है ।

असम, मेघालय, मिजोरम एवं त्रिपुरा भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर स्थित हैं । भारत-बांग्लादेश सीमा असम में २६३ कि.मी., ४४३ कि.मी. की सीमा मेघालय में, ३१८ कि.मी. की सीमा मिजोरम में, जबकि त्रिपुरा में ८५३ कि.मी. की सीमा है । इन सभी राज्यों से पहले से ही घुसपैठ होती आ रही है । यह घुसपैठ संगठित गिरोहों के माध्यम से होती है; परंतु विगत कुछ दशकों में इस क्षेत्र में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की संख्या बढने से असम एवं मिजोरम के स्थानीय लोगों में असंतोष उत्पन्न हुआ तथा इससे वहां बांग्लादेशी लोगों की घुसपैठ का कडा विरोध हो रहा है । इसलिए विगत दो दशकों से बांग्लादेशी घुसपैठिए त्रिपुरा राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र की सीमा पार कर भारत में घुस जाते हैं तथा वहां से आगे बढते हुए वे बंगाल, बिहार एवं झारखंड आदि राज्यों में भी पहुंच जाते हैं ।

बिहार एवं झारखंड राज्यों में भी पिछले कुछ वर्षाें से इस घुसपैठ का विरोध हो रहा है, पर बंगाल में उन्हें सहानुभूति एवं सहयोग मिल रहा है; विशेषकर जहां साम्यवादी (कम्युनिस्ट) तथा तृणमूल कांग्रेस की सत्ता है । इसके परिणामस्वरूप ये घुसपैठिए बडी संख्या में बंगाल में बस जाते हैं ।

मानव तस्करी करनेवाले गिरोहों ने बंगाल के अनेक जिलों में ‘ट्रांजिट कैंप’ (अस्थायी शिविर) का निर्माण किया है, जहां बनावटी (नकली) कागदपत्र बनानेवाले गिरोहों के दलालों से इन घुसपैठियों का संपर्क होता है । इन दलालों से फर्जी कागदपत्र प्राप्त करने के उपरांत ये घुसपैठिए रेल तथा माल की ढुलाई करनेवाले वाहनों से यात्रा करते हुए देश के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं । वहां जाने पर वे स्थानीय दलालों से संपर्क कर वहां रहने की तथा रोजगार की सुविधा प्राप्त कर लेते हैं । उसके उपरांत वे स्थानीय दलालों से स्थानीय पते के फर्जी प्रमाण प्राप्त करते हैं तथा उसके द्वारा मतदाता पहचानपत्र, राशनकार्ड, सिमकार्ड आदि प्राप्त कर विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभधारी बन जाते हैं ।

५. घुसपैठ की समस्या तथा उन्हें संरक्षण देनेवाले लोग देश की सुरक्षा हेतु भारी संकट !

घुसपैठ केवल कानूनी विषय नहीं है, अपितु वह देश की संप्रभुता तथा सुरक्षा पर आघात करनेवाली समस्या है । बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा अन्य इस्लामी देशों से बडी संख्या में हो रही यह घुसपैठ केवल आर्थिक शरण के लिए नहीं, अपितु सांस्कृतिक एवं राजनीतिक घुसपैठ के लिए है । इन घुसपैठियों को राजनीतिक शरण दिलानेवाले कुछ सत्ताधारी दल तथा असामाजिक तत्त्वों का यह षड्यंत्र देश की सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है । इन घुसपैठियों को संरक्षण देने के लिए बना यह अभद्र गठबंधन पूरे देश की सुरक्षा के लिए बहुत बडा संकट बन गया है । इस बढते संकट पर लगाम लगानी हो, तो उसके लिए राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल लागू करना समय की मांग है ।

(साभार : ‘वायुवेग’ जालस्थल)