RSS On Bangladeshi Hindus : बांग्लादेश के हिन्दुओं का दायित्व भारत का है तथा वह इससे भाग नहीं सकता !

राष्ट्रीय.स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने किया स्पष्ट !

संघ के संयुक्त प्रधान सचिव अरुण कुमार

बेंगलुरू (कर्नाटक) – यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा चल रही है । इस सभा द्वारा आयोजित पत्रकार परिषद में संघ के संयुक्त प्रधान सचिव अरुण कुमार ने कहा कि बांग्लादेश के हिन्दुओं का दायित्व भारत का है तथा इस कर्तव्य से हम भाग नहीं सकते ।

‘क्या पीडित हिन्दुओं का भारत को स्वीकार करना चाहिए ?’, इस प्रश्न का उत्तर देते हुए अरुण कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि,

१. जिस भारत काे हम अभिमान से अपना देश कहते हैं, उसे जितना भारत के हिन्दुओं ने बनाया है, उतना ही योगदान बांग्लादेश के हिन्दुओं ने भी दिया है ।

२. बांग्लादेश के हिन्दुओं को शांति तथा आनंद में जीवन बिताना चाहिए । देश के लिए योगदान देना चाहिए; परंतु यदि भविष्य में कोई भी कठिन परिस्थिति उत्पन्न हुई, तो हम (भारत के हिन्दू) पीछे नहीं हट सकते । यदि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई, ताे हम उस पर हल निकालेंगे ।

३. वर्ष १९४७ में विभाजन हुआ, जो दुर्भाग्यपूर्ण था । हमने जनसंख्या का नहीं, अपितु भूमि का विभाजन किया । दोनोंं ही देशों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सहमति दर्शाई थी । नेहरू-लियाकत करार पर ये हस्ताक्षर हुए । बांग्लादेश ने उसका सम्मान नहीं किया । यह दुर्भाग्यपूर्ण है । हम चाहते हैं कि अल्पसंख्यक जहां रहते हैं, वहां उनको सम्मान के साथ, सुरक्षा में तथा धार्मिक पहचान से जीना चाहिए । यह लक्ष्य प्राप्त करने हेतु हमें प्रयास करने चाहिएं ।

४. इसकी ओर राजनीतिक सूत्र के रूपमें नहीं देखना चाहिए । सरकार बदल गई है; परंतु हिंसा का यह एकमात्र कारण नहीं है । उसके धार्मिक कारण भी हैं । हिन्दू एवं अन्य अल्पसंख्यक (वहां के कट्टरपंथियों के) प्राथमिक एवं निरंतर के लक्ष्य हैं । हिन्दू एवं अन्य अल्पसंख्यकाें का छल कोई नई बात नहीं ।

५. बांग्लादेश के हिन्दू समुदाय के लिए यह एक अस्तित्व का संकट है । अभी-अभी की हिंसा से दिखाई दिया है कि बांग्लादेशी सरकार तथा उनकी संस्थाएं हिन्दू एवं अन्य अल्पसंख्यकाें पर होनेवाले आक्रमणों में सम्मिलित हैं , जो गंभीर चिंता की बात है ।

६. इस हिंसा के लिए उत्तरदायी लोग केवल हिन्दूविरोधी नहीं, अपितु भारतविरोधी भी बनाने का प्रयास कर रहे हैं । इस संदर्भ में अनेक नेताओं ने वक्तव्य दिए हैं । पडोसी देशों के साथ सहस्त्रों वषों से हमारे सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंध हैं । भारत तथा उसके पडोसी देशों में अविश्वास तथा अंतर उत्पन्न करने के प्रयास किए जा रहे हैं । इसके पीछे अनेक अंतर्राष्ट्रीय शक्तियांं हैं । हमने पाकिस्तान तथा ‘अमेरिकन डीप स्टेट’ की भूमिका पर चर्चा की है । बांग्लादेश को हिन्दू समुदाय के साथ एकजुट होकर खडे रहने का आवाहन किया गया है ।

स्थिति पूर्ववत् होने तक प्रयास चालू रहने चाहिए !

क्या बांग्लादेश की परिस्थिति के विषय में केंद्र सरकार के प्रतिसाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास समाधान है ? ऐसा पूछने पर उन्होंने कहा कि यह एक निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है, यह प्रश्न पूर्ण रूप से हल नहीं हुआ है । सरकार अपना काम कर रही है तथा हमने संभवत: सभी कदम उठाने का आवाहन किया है । केंद्र सरकार ने इस समस्या की गंभीरता को समझा है । विदेश मंत्री को विविध स्थानोें पर भेजा है । व्यक्तिगत चर्चा की है तथा अंतर्राष्ट्रीय मंचाें का उपयोग किया है । इस विषय में हमें समाधान है । हमने हमारे प्रस्ताव में यह चिंता पंजीकृत की है । सामान्य स्थिति पूर्ण रूप से पूर्ववत् होने तक प्रयास चालू ही रहने चाहिए ।

क्या बांग्लादेश की भूतपूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पुन: सत्ता में लाने के लिए भारत को हस्तक्षेप करना चाहिए ? ऐसा प्रश्न करने पर अरुण कुमार ने कहा कि शेख हसीना को पुन: सत्ता में लाने का निर्णय बांग्लादेश की जनता लेगी । उनका अपना संविधान तथा व्यवस्था है । मुझे ऐसा प्रतीत नहीं होता कि अन्य किसी भी देश को इस प्रकरण में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है ।