‘धर्मांतरणविरोधी कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध !’ – पूर्व न्यायाधीश एस्. मुरलीधर

‘शहरी नक्सली’ गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने का आदेश देनेवाले पूर्व न्यायाधीश एस्. मुरलीधर का दावा

(बाएंसे) पूर्व न्यायाधीश एस्. मुरलीधर और ‘शहरी नक्सली’ गौतम नवलखा

नई देहली – ‘शहरी नक्सली’ गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने का आदेश देनेवाले पूर्व न्यायाधीश एस्. मुरलीधर अब धर्मांतरणविरोधी कानूनों के विरुद्ध बोल रहे हैं । उन्होंने यह दावा किया कि लालच देकर तथा बलपूर्वक किया जानेवाला धर्मांतरण रोकने हेतु बनाया गया कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध है । धर्मांतरणविरोधी कानूनों के विषय पर आयोजित चर्चा में वे ऐसा बोल रहे थे ।

पूर्व न्यायाधीश एस्. मुरलीधर ने कहा कि,

१. इस प्रकार के कानून बलपूर्वक धर्मांतरण रोकने के संदर्भ में अल्प; परंतु लोगों की स्वतंत्रता छीन लेने के लिए अधिक हैं ।

२. इन कानूनों में ऐसा मान लिया गया है कि यदि किसी ने अपना धर्म छोडकर अन्य धर्म स्वीकार किया, तो उसके पीछे भय अथवा दबाव हो सकता है । इन कानूनों में इसे सिद्ध करने का दायित्व उस व्यक्ति पर डाला गया है, जिस पर बलपूर्वक धर्मांतरण करने का आरोप है । (यह स्वाभाविक है तथा यह नैसर्गिक तर्क है, यह बात न्यायाधीश पद का निर्वहन करनेवाले विचारों के ध्यान में आना चाहिए; ऐसी किसी ने अपेक्षा की, तो उसमें अनुचित क्या है ! अर्थात इस प्रकरण में अपेक्षाभंग का दुख अधिक होगा, यह तो सच है ! – संपादक)

३. ये कानून दलितों तथा अल्पसंख्यकों के विरोध में हैं । अब किसी भी दलित को यदि बौद्ध धर्म स्वीकार करना हो, तो उसे जिला दंडाधिकारी को वह ऐसा क्यों कर रहा है ?, यह बताना पडेगा । पहले उसे पूरे विश्व को बताना पडेगा । ( कुछ भी अर्थहीन बोलनेवाले पूर्व न्यायाधीश ! – संपादक)

४. पहले केवल पीडित को ही बलपूर्वक धर्मांतरण किए जाने की शिकायत पंजीकृत करनी चाहिए, यह नियम था; परंतु यह कानून किसी को भी ऐसी शिकायत करने की अनुमति देता है, उदा. संबंधी अथवा दूरस्थ चचेरा भाई अथवा बहन ! (इससे बडा व्यंग क्या हो सकता है ! किसी को लालच देकर उसका धर्मांतरण किया गया हो, तो धर्मांतरित व्यक्ति उस विषय में कुछ नहीं बताएगा; परंतु कानून के अंतर्गत अपराध होने की बात अन्य लोग अथवा संबंधी ही उजागर कर सकते हैं । मूलतः यह पूर्व न्यायाधीश महोदय लालच देकर धर्मांतरण करनेवालों को संरक्षण देने का प्रयास कर रहे हैं, इसे भूलना नहीं चाहिए ! – संपादक)

५. इसके कारण कुछ गुंडा गिरोहों की गुंडागर्दी बढी है, जो जिलाधिकारी कार्यालय में लगाए गए सूचना फलक देखते हैं तथा कौन अंतरधर्मीय विवाह अथवा धर्मांतरण करने के इच्छुक हैं, उस व्यक्ति को धमकाते हैं ।

संपादकीय भूमिका 

  • जिनका बलपूर्वक धर्मांतरण किया जा रहा है, उनकी रक्षा हो; उनके प्रति मुरलीधर को कुछ नहीं लगता; परंतु जो धर्मांतरण करते हैं, उनके वे पक्षधर हैं । इससे उनकी मानसिकता ध्यान में आती है !
  • मुरलीधर की इस मानसिकता के कारण क्या उन्होंने न्यायाधीशपद के कार्यकाल में हिन्दूविरोधियों के पक्ष में निर्णय दिए थे ?, इसका भी अध्ययन होना आवश्यक है !
  • भविष्य में इसी न्यायाधीश ने बलात्कार, हत्या आदि अपराध करनेवालों को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर छोड देने का आवाहन किया, तो उसमें आश्चर्य कैसा !