
मुंबई, ११ मार्च (संवाददाता) : वर्तमान में महाराष्ट्र विधानसभा का अर्थसंकल्पीय सत्र चल रहा है । उसके कारण एक ओर विधानसभा तथा उसके परिसर में बडे स्तर पर सुरक्षाव्यवस्था रखी गई है; परंतु दुसरी ओर विधानसभा के मुख्य प्रवेशद्वार से बहुत ही निकट का फुटपाथ नियमित रोजा छोडने के लिए १ घंटे तक रोका जा रहा है । किसी के धार्मिक कार्यक्रम पर किसी को आपत्ति होने का कोई कारण नहीं है; परंतु विधानसभा जैसे संवेदनशील तथा अतिमहत्त्वपूर्ण स्थान पर सामान्य नागरिकों के लिए उपयोग की जानेवाली सडक रोककर कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न करना अत्यंत गंभीर बात है । भविष्य में यदि यह प्रथा बन गई अथवा अन्य धर्मियों ने भी इस सडक को रोककर उनका धार्मिक कार्यक्रम करना आरंभ किया, तो उसका समाधान निकालना सरकार के लिए कठिन हो सकता है ।
विधानसभा के मुख्य प्रवेशद्वार के बाहर स्थित डॉ. उषा मेहता चौक पर येस बैंक के बाजू में स्थित फुटपाथ, रमजान के आरंभ होने के कारण नियमितरूप से सायंकाल में रोजा छोडने के लिए रोका जा रहा है । सायंकाल ६ बजे इस फुटपाथ पर फलाहार रखकर वहां बैठक बिछाकर अनेक मुसलमान रोजा छोडने का कार्यक्रम कर रहे हैं । इसके कारण यह फुटपाथ १ घंटे से अधिक समय तक संपूर्णरूप से बंद रखा जाता है । इसके कारण इस मार्ग से पैदल जानेवाले लोगों, साथ ही यहां स्थित छोटे-बडे व्यावसायिकों को समस्या हो रही है ।
विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस अपने दायित्व से बचती है !‘सनातन प्रभात’ ने वहां तैनात पुलिस को बताया कि बजट सत्र के दौरान विधानसभा जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण क्षेत्र में फुटपाथ को ‘ऱोजा छोडने ’के लिए बंद किया जा रहा है । ‘हम विधानसभा की सुरक्षा के लिए हैं । ‘पुलिस ने इस मुद्दे को यह कहते हुए टाल दिया कि “फुटपाथ का मुद्दा स्थानीय पुलिस के पास आता है ।” (एक पत्रकार को इतना बेबाक उत्तर देने वाली पुलिस आम जनता के साथ कैसा व्यवहार करती होगी, यह न सोचना ही अच्छा है ! – संपादक) |
दैनिक ‘सनातन प्रभात’के प्रतिनिधि ने इस विषय में जब यहां के छोटे व्यावसायिकों को पूछा, तो उन्होंने कहा कि यहां समस्या होती है; परंतु इस विषय में कोई नहीं बोल रहा है । विशेष बात यह कि विधानसभा का अर्थसंकल्पीय सत्र चल रहा है, उसके कारण यहां बडी संख्या में पुलिसकर्मी ऱहते हैं । इन पुलिसकर्मियों के सामने ही यह पैदल मार्ग संपूर्णरूप से रोका जा रहा है । विधानसभा के मुख्य प्रवेशद्वार के कुछ ही कदम दूरी पर यह सब चल रहा है ।
संपादकीय भूमिका
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