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माणगांव, ८ फरवरी (वार्ता.) – ‘हिन्दुओं के मंदिरों पर मुगलों के काल से आक्रमण शुरू हैं । मंदिरों के कारण यह देश शक्तिशाली बनेगा, यह भांप लेने से इस्लामी आक्रमकों ने प्रथम मंदिरों को अपना लक्ष्य कर उन्हें उद्ध्वस्त किया; परंतु अब केंद्र में और राज्य में प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार है । मैं कट्टर हिन्दुत्वनिष्ठ पालकमंत्री हूं । इसलिए हिन्दू बिना घबराए कार्य करें । हिन्दुओं के मंदिरों की ओर वक्र दृष्टि से देखने का किसी में दुस्साहस न हो, ऐसा संगठन बनाएंगे’, ऐसे स्पष्ट उद्गार राज्य के मत्स्यव्यवसाय एवं बंदरगाह विकास मंत्री एवं सिंधुदुर्ग जिले के पालकमंत्री श्री. नितेश राणे ने यहां मंदिर परिषद में किए ।

हिन्दू जनजागृति समिति, श्री दत्त मंदिर न्यास, माणगांव एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के संयुक्त विद्यमान से ८ फरवरी को माणगांव में श्री दत्त मंदिर के सभागृह में ‘द्वितीय सिंधुदुर्ग जिलास्तरीय मंदिर परिषद’ संपन्न हुई । इस परिषद में पालकमंत्री श्री. राणे की प्रमुख उपस्थिति थी । इस परिषद का उद्घाटन सनातन के धर्मप्रचारक सद्गुरु सत्यवान कदमजी, श्री दत्तमंदिर संस्थान के अध्यक्ष श्री. सुभाष भिसे, सचिव श्री. दीपक साधले, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री. सुनील घनवट एवं महासंघ के श्री. अनूप जयस्वाल के हस्तों किया गया । इस परिषद में ६०० से भी अधिक विश्वस्त उपस्थित थे । सनातन की सद्गुरु स्वाती खाडयेजी की भी वंदनीय उपस्थिति थी ।
🛕 @NiteshNRane Guardian Minister, Sindhudurg District vows to protect Hindu temples!
“We’ll build an organization so strong that no one dares to harm our temples”.
Over 600 temple trustees unite in Mangaon, Sindhudurg, Maharashtra to take proactive steps against temple… pic.twitter.com/vA5SPFrrlb
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 8, 2025
सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने इस मंदिर परिषद के निमित्त से भेजे गए संदेश को श्री. भरत राऊळ ने पढकर सुनाया । प्रास्तावना हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजेंद्र पाटील ने की । इस अवसर पर उन्होंने कहा, ‘‘व्यक्तिगत जीवन के साथ ही सामाजिक जीवन में मंदिराें का विशेष महत्त्व है । धर्म से संबंधित इन मंदिरों के लिए मंदिर परिषद होना, यह बात हिन्दू समाज के लिए बडे ही गौरव की बात है । मंदिरों के कारण ही हिन्दुओं में धर्म का अधिष्ठान निर्माण होता है ।’’
इस अवसर पर मंदिर महासंघ की ओर से पालकमंत्री श्री. राणे को कुछ मांगाें का निवेदन दिया गया । ‘इन मांगों के संदर्भ में सरकार के स्तर पर अनुवर्ती प्रयास (फॉलोअप) कर योग्य कार्यवाही की जाएगी’, ऐसा आश्वासन राणे ने मंदिर महासंघ को दिया ।
मंदिर भी उपासना के केंद्र बनने चाहिए ! – सदगुरु सत्यवान कदमजी, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

सदगुरु सत्यवान कदमजी बोले, भारतीय संस्कृति की गर्भनाल मंदिरों से जुडी है । मंदिर समाज के लिए चैतन्य के स्रोत हैं; परंतु आज मंदिरों का सरकारीकरण एवं मंदिरों के भ्रष्टाचार के कारण अनेक समस्याएं निर्माण हो गईं हैं । इसलिए मंदिर संस्कृति पर होनेवाले आघात समय पर ही रोकने की आवश्यकता निर्माण हुई है । मंदिर संस्कृति पर अंकुश लगाने के लिए जो भी विकृतियां हैं, उनका समूल उच्चाटन करना और मंदिरों का सुव्यवस्थापन करने के लिए सक्रीय होना, यह वर्तमानकाल की आवश्यकता है । आज हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न होने से लडकियां लव जिहाद की बलि चढ जाती हैं । हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन हो रहा है । मंदिरों से छोटे बच्चों को बालसंस्कारवर्ग, किशोरों के लिए सुसंस्कारवर्ग, युवकों के लिए स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग और बडों के लिए सत्संग आरंभ करना आवश्यक है । हमारे मंदिर उपासना के केंद्र बनने चाहिए ।


देवस्थान की भूमि देवस्थान को ही मिले, इस हेतु सरकार ठोस भूमिका अपनाए ! – सुनील घनवट, राष्ट्रीय संगठक, मंदिर महासंघ

श्री. सुनील घनवट ने कहा कि ‘सेक्युलर’ कहलवानेवाली सरकारें मंदिरों को कोई निधि नहीं देतीं, धर्म के संदर्भ में कोई सहायता अथवा कार्य नहीं करतीं, तो फिर उन्हें मंदिर चलाने का अधिकार कैसे प्राप्त होता है ? ‘सेक्युलर’ राजनीति कोई भी मस्जिद अथवा चर्च सरकार के नियंत्रण में नहीं ले सकती । फिर हिन्दू मंदिरों के संदर्भ में ही ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों ? कुछ लोगों के माध्यम से सिंधुदुर्ग जिले के अनेक देवस्थानों की भूमि हथियाने का प्रयत्न किया जा रहा है । इस ओर जिला प्रशासन एवं पालकमंत्री नितेश राणे ध्यान देकर देवस्थानों की भूमि देवस्थानों को ही मिले, ऐसी ठोस भूमिका अपनाएं । प्रत्येक मंदिर की समस्या भिन्न है, अत: उन समस्याओं पर उपाय ढूंढना आवश्यक है और वह हमें मंदिर महासंघ के माध्यम से साध्य करना है । हिन्दुओं का सर्वाधिक एकत्रीकरण मंदिरों में होता है । इसलिए मंदिरों के संगठन, यह हिन्दू संगठन की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण हैं । उस दृष्टि से मंदिरों के विश्वस्तों को निश्चितरूप से प्रयत्न करने की आवश्यकता है ।
मंदिरों के वाद-विवाद समाप्त करने के लिए होंगे प्रयत्न !श्री. सुनील घनवट ने आगे कहा, ‘सिंधुदुर्ग के कुछ मंदिरों में मान-अपमान पर वाद-विवाद चल रहे हैं । इसलिए वे मंदिर बंद हैं । आगामी २ महिनों में मंदिर महासंघ के पहल से आपसी मनमुटाव को दूर कर मंदिर आरंभ करने के लिए प्रयत्न किए जाएंगे । हममें से कौन पहल करेगा ?’ इस पर कुछ विश्वस्तों ने हाथ ऊपर कर प्रतिसाद दिया कि वे वाद-विवाद सुलझाने के लिए पहल करेंगे । |