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( वस्त्र संहिता यानी मंदिर में प्रवेश करते समय पहने जाने वाले कपड़ों से संबंधित नियमों से है )
मुंबई – मंदिर में जाते समय मंदिरों को यह तय करने का अधिकार है कि किसी व्यक्ति को क्या पहनना चाहिए और मंदिर में प्रवेश करते समय उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए । यह उनका अधिकार है । इस महिला के झांसे में मत आओ । श्री. सिद्धि विनायक मंदिर ने जो भी निर्णय लिया है वह उसका अधिकार है और ऐसे नियम आवश्यक हैं। इसमें हस्तक्षेप मत करो । आप शांत रहें । हिन्दू महासंघ के अध्यक्ष आनंद दवे ने भू माता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई को धर्म से छेड़छाड़ न करने की चेतावनी दी है। (धर्म की रक्षा के लिए सजग एवं तत्पर रहने हेतु श्री आनंद दवे को बधाई ! – संपादक) मुंबई के श्री सिद्धि विनायक मंदिर में हाल ही में भक्तों के लिए ड्रेस कोड की घोषणा की गई। इस पृष्ठभूमि में तृप्ति देसाई ने कहा था, ‘सिद्धिविनायक मंदिर द्वारा ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय तुरंत वापस लिया जाना चाहिए । ‘ ( तृप्ति देसाई को ऐसा कहने का क्या अधिकार है ? क्या वे स्वयं को धर्म की ठेकेदार मानती हैं ? – संपादक ) संविधान ने सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार दिया है। जो भी मंदिर में आता है, आस्था लेकर आता है। किसी को अपने कपड़ों पर नहीं, अपितु अपनी श्रध्दा पर ध्यान देना चाहिए। सिद्धि विनायक मंदिर के पुजारी अर्धनग्न वस्त्रों में रहते हैं। तो क्या यह निर्णय केवल भक्तों पर ही लागू होगा ? ” ( धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मंदिरों में पुजारी सारंग पहनते हैं। इसके बावजूद उन्हें ‘अर्धनग्न’ कहने वाली तृप्ति देसाई अध्यात्म के बारे में अपनी अज्ञानता ही प्रकट कर रही है। अध्यात्म का ज्ञान ही नही तो फिर इसकी चर्चा क्यों ? – संपादक )
🔥Do Not Interfere in Hindu Dharma! – Hindu Mahasangh President Anand Dave’s strong message to Trupti Desai!
🛕Siddhivinayak Temple Trust’s dress code is its rightful decision—but Trupti Desai chooses to oppose it!
📖 As per Hindu scriptures, temple archakas wear sovale (sacred… https://t.co/XPU9SkRHEb pic.twitter.com/lkFKV7Ai5t
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 30, 2025