कुम्भ क्षेत्र में युवा साधु- साध्वियों के दर्शन
कुम्भनगरी प्रयागराज – महाकुम्भ की नगरी में बड़ी संख्या में साधु-संतों का आगमन हुआ है । इन साधुओं में कुछ युवा साधु तथा साध्वियां भी सम्मिलित हैं। उन्होंने युवावस्था में ही सांसारिक जीवन त्याग दिया और आध्यात्म का मार्ग अपना लिया । ये साधु- साध्वियां उच्च शिक्षित हैं और दीक्षा लेने के उपरांत वर्तमान में आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर हैं ।
आईआईटी मुंबई के पूर्व छात्र और वहां एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के छात्र अभय सिंह को कुम्भ क्षेत्र में ‘इंजीनियर बाबा’ के नाम से जाना जाता है। अपने वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करते हुए, वे विभिन्न आकृतियों और जानकारी के माध्यम से समझाते हैं कि, ‘आध्यात्मिकता और विज्ञान में क्या संबंध है ?’ अभय सिंह ने कहा कि विज्ञान केवल भौतिक चीजों की बात करता है; लेकिन यदि आप इसका गहन अध्ययन करें तो यह आपको आध्यात्मिकता की ओर ले जाएगा ।
मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हर्षा मॉडलिंग के क्षेत्र से जुड़ी हैं और इसके लिए देश-विदेश की यात्रा करती रहती हैं; उन्होंने महाकुंभ के दौरान स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ली है । हर्षा ने कहा कि वह व्यवसायिक जीवन की दिखावटी और भव्य जिंदगी से थक चुकी हैं । मैंने अनुभव किया है कि सच्चा सुख और संतोष केवल सनातन धर्म के प्रति समर्पण से ही मिल सकता है । स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा लेने के उपरांत मुझे जीवन का एक नया अर्थ समझ में आया ।