Question Against HALAL In SC : कुछ लोगों की मांग के लिए अन्यों को भी महंगे हलाल प्रमाणित उत्पाद लेने पडते हैं !

देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय में उठाया प्रश्‍न !

देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता

नई देहली – सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई के समय प्रश्न उठाते हुए कहा ‘‘हलाल मांस आदि के विषय में, किसी को भी किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं होनी चाहिए; परंतु ‘हलाल’ के नाम पर उनके द्वारा निर्माण किया गया प्रभुत्व देखकर मैं अचंभित रहे गया था । ‘सिमेंट भी हलाल प्रमाणित होना चाहिए । लोहे के सलाखें हलाल प्रमाणित होनी चाहिए । हमें मिल रही पानी की बोतल्स भी हलाल प्रमाणित होनी चाहिए’, ऐसा इन लोगों का कहना हैं । हलाल प्रमाणन संस्थाओं ने प्रमाणन प्रक्रिया के द्वारा कुछ लाख करोड रुपए कमाये हैं । गेहूंका आटा, बेसन (चने का आटा) भी हलाल प्रमाणित होना चाहिए । बेसन हलाल अथवा गैर-हलाल कैसे हो सकता है ?’’ हलाल प्रमाणित उत्पादों पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देनेवाली याचिका की सुनवाई के समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ये प्रश्‍न उपस्थित किए । उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में विनंती करते हुए कहा ‘हलाल प्रमाणित उत्पाद महंगे हैं एवं देशभर के लोगों को केवल कुछ लोग द्वारा मांग की गई है, इस कारण महंगे हलाल प्रमाणित उत्पाद क्रय करने पड रहे हैं । इस सूत्र का न्यायालय को विचार करना चाहिए ।’

सुनवाई के समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मांसाहारी उत्पादों के व्यतिरिक्त (अलावा) अन्य उत्पादों को हलाल प्रमाणित के रूप में विक्रय करने का प्रयास किया जा रहा है, इस बारे में आश्‍चर्य व्यक्त किया । इसपर आगे की सुनवाई २४ मार्च को होगी ।

१. तुषार मेहता के सूत्र के उत्तर देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने कहा ‘केंद्र सरकार की नीति में हलाल की व्याख्या विस्तृत रूप से की गई है । तथा हलाल प्रमाणपत्र केवल मांसाहारी अन्न से संबंधित नहीं है । केंद्र सरकार की नीति ही कहती है कि यह जीवनशैली का विषय है ।’

२. तदनंतर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा ‘देश के अन्य क्षेत्रो में अविश्‍वासू लोगों को (जो हलाल का प्रयोग नहीं करते) हलाल-प्रमाणित उत्पादों के लिए अधिक मूल्य क्यों देना पडता है ?

३. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शमशाद ने कहा ‘हलाल-प्रमाणित उत्पाद खाना अनिवार्य नहीं है । इसके विपरित वह पसंद की बात है ।’


क्या है प्रकरण ?

उत्तर प्रदेश की भाजप सरकार के अन्न सुरक्षा एवं औषध प्रशासन द्वारा हलाल प्रमाणित उत्पादों का उत्पादन, विक्रय, संग्रह एवं वितरण’ पर प्रतिबंध लगाया गया है, साथ ही सरकार ने भाजप युवा संगठन के प्रतिनिधि ने लक्ष्मणपुरी में प्रविष्ट याचिका का उदाहरण देकर हलाल प्रमाणित संस्थाओं पर मुसलमानों में क्रय वृद्धि हेतु ‘फर्जी’ प्रमाणपत्र जारी करने का आरोप लगाते हुए सरकार का निर्णय उचित होने का कहा है । महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रतिबंध केवल उत्तर प्रदेश का विक्रय, उत्पाद एवं संग्रह हेतु लागू है तथा निर्यात उत्पादों पर लागू नहीं होता ।

इस्लाम के अनुयाइयों को संबंधित उत्पादों का उपयोग करने की अनुमति हैं, यह दर्शानेवाले हलाल प्रमाणपत्र जमियत उलेमा-ए-हिन्द के हलाल युनिट एवं हलाल शरीयत इस्लामिक लॉ बोर्ड जैसी संस्थाओं के द्वारा जारी किए जाते हैं । राष्ट्रीय प्रमाणन मंडल ने स्वीकार करने से इन संस्थाओं ने सरकार के प्रतिबंध के निर्णय की आलोचना की है । सरकार के इस निर्णय के कारण ‘हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ एवं ‘जमियत उलेमा-ए-महाराष्ट्र’ ने सर्वोच्च न्यायालय में संवैधानिक चुनौति दी है । इन याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिकाओं में प्रतिबंध को चुनौति देते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कानूनी हस्तक्षेप की मांग की है ।

संपादकीय भूमिका

हलाल प्रमाणित उत्पादों पर उत्तर प्रदेश में प्रतिबंध हैं, उसी प्रकार संपूर्ण देश में कब प्रतिबंधित किए जाएंगे ?