Dattatreya Hosabale : संघ के स्वयंसेवक काशी और मथुरा में होने वाले आंदोलनों में भाग ले सकते हैं।

आरएसएस पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबाळे का बयान

दत्तात्रेय होसबाळे

बेंगलुरु (कर्नाटक) –  यदि संघ के स्वयंसेवक मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी में ज्ञानवापी में होने वाले आंदोलनों में भाग लेते हैं तो संगठन को उन पर कोई आपत्ति नहीं होगी। संघ के आधिकारिक प्रवक्ता दत्तात्रेय होसबाळे ने कहा, हम उन्हें नहीं रोकेंगे। वह कन्नड़ पत्रिका ‘विक्रम’ को दिए साक्षात्कार में बोल रहे थे। इस समय होसबाळे ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ सभी मस्जिदों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर आंदोलन करने का विरोध करता है और सामाजिक अनुचित प्रयास से बचने पर बल देता है।

होसबाळे ने आगे कहा,

गौहत्या, लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर चिंताएं

गौहत्या, लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर चिंताएं अभी भी सामने हैं; लेकिन अब हमें अन्य महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए। जैसे अस्पृश्यता को समाप्त करना, युवाओं में अपनी संस्कृति को संरक्षित रखना और अपनी भाषाओं की रक्षा करना।

सभी को संस्कृत सीखनी चाहिए।

यह बहुत अच्छा होगा यदि इस विशाल देश में प्रत्येक व्यक्ति संस्कृत सीख ले। डॉ. आंबेडकर ने भी इसकी प्रशंसा की थी।

आज हमने भाषा को समस्या बना दिया है।

ऐसी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है जिसे बहुत से लोग बोलते हैं। आज हर सैनिक हिंदी सीखता है। जिन लोगों को रोजगार की आवश्यकता होती है, वे संबंधित राज्य की भाषा सीखते हैं। राजनीति और विरोध के कारण भाषा थोपने की नीति अपनाई गई और समस्याएं उत्पन्न हुईं। क्या भारत अपनी भाषाई विविधता के बावजूद सहस्राब्दियों से एकता में बंधा नहीं रहा है? ऐसा लगता है कि आज हमने भाषा को एक समस्या बना दिया है। हमारी सभी भाषाओं ने गहन साहित्यिक कृतियों को जन्म दिया है। यदि भावी पीढ़ियां इन भाषाओं में पढ़ना-लिखना नहीं सीखेंगी, तो वे जीवित कैसे रहेंगी?

अंग्रेजी को एक आर्थिक विकल्प की आवश्यकता है।

अंग्रेजी भाषा का आकर्षण मुख्यतः व्यावहारिक कारणों से है। एक ऐसा आर्थिक मॉडल सिद्ध किया जाना चाहिए जो भारतीय भाषाओं में शिक्षित लोगों को पर्याप्त रोजगार के अवसर प्रदान कर सके। वरिष्ठ बुद्धिजीवियों, न्यायाधीशों, शिक्षाविदों, लेखकों और राजनीतिक एवं धार्मिक नेताओं को इस विषय पर प्रगतिशील रास्ता अपनाना चाहिए।